हम इंसानों की वजह से लुप्त होने की कगार पर आ चुके है ये जानवर, जानिए….
जानवरों से किसे प्यार नहीं होता है? चाहे वह पालतू जानवर हो या जंगली, हालांकि ये बात और है कि अधिकांश लोग जंगली जानवर से बहुत डरते है. लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि उन्हें जंगली जानवर पसंद नहीं होते. ऐसा भी कहा जाता है कि यदि कोई भी जंगली जानवर आपके सामने आ जाए तो जाहिर है कि आप डर जाएंगे. लेकिन क्या आप जानते है कि अब दुनियाभर में कई ऐसे जानवर है जिनकी प्रजातियां खत्म होने की कगार पर आ चुकी है. लेकिन जब इस बारें में लोगों से बात की जाती है तो वह भी इसका सही कारण नहीं बता पाते है कि ऐसा क्यों?… हम बता दें कि इन जानवरों के विलुप्त होने का सबसे बड़ा कारण इंसान ही है, लेकिन कैसे ये बात आज हम आपको बताने जा रहे है. आज हम आपके लिए कुछ ऐसे जानवर के नाम लेकर आए है, जो धरती से धीरे-धीरे कम होती जा रही है, और कुछ जानवरों की प्रजाति दुनिया के कुछ ही हिस्सों में देखने को मिलती है, तो चलिए जानते है….
गोरिला: वैसे तो गोरिला को लेकर कहा जाता है कि यह शाकाहारी जानवर है, जो ज्यादातर मध्य अफ्रीका के जंगलों में पाए जाते है. यूँ तो गोरिला को दो हिस्सों में (यानि प्रजाति में) बांटा गया है. एक पूर्वी गोरिला और दूसरा पश्चिमी गोरिला लेकिन ये दोनों ही विलुप्त होने की कगार पर आ चुके है. कहते है कि गोरिला का एक अलग ही जीवन होता है, और उनके जीवन में कोई दखल दे तो उन्हें यह भी पसंद नहीं आता है. यह बात तो बिल्कुल सच है की ज्यादातर गोरिला पहाड़ों और ऊचाई वाले इलाकों में पाए जाते है. इन जानवरों को ऐब्स की एक खास प्रजाति माना जाता है. जो कि आज पूरी तरह से विलुप्त होने की कगार पर है. शायद यह बात आप भी जानते होंगे कि गोरिला हमेशा ही झुंड में रहना पसंद करते है. जरुरी नहीं है कि उनके झुण्ड में बहुत सारे गोरिला ही शामिल हो, हो सकता है कि उनके इस ग्रुप में मादा, बच्चे गोरिला भी शामिल हो. कहते है कि गोरिला यूँ तो बड़े ही शांत स्वभाव के होते है, लेकिन तेंदुए को इनका शिकारी माना जाता है. और यही कारण है कि तेंदुए और इनके बीच हमेशा ही कड़ा मुकाबला देखने को मिलता है. अब हम बात करें गोरिला के विलुप्त होने के कारण की तो इसका सबसे बड़ा कारण हम इंसान ही है, क्यूंकि अपने स्वार्थ के लिए हम तेजी से जंगलों और पहाड़ों को नष्ट कर रहे है, जिसके कारण इनका जीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है.
अमूर तेंदुआ: अभी तक आपने तेंदुए की कुछ ही प्रजाति के बारें में सुना होगा, लेकिन आज हम जिस प्रजाति के बारें में बात कर रहे है, वह है अमूर तेंदुआ. अमूर तेंदुआ वह प्रजाति है जो अब लगभग पूरी तरह से विलुप्त होने वाली है. क्यूंकि इनकी संख्या दिन प्रतिदिन तेजी से घटी जा रही है. साल 1996 से IUCN के द्वारा इसे क्रिटिकली इनडेंजर घोषित किया जा चुका है. हालांकि आज इनकी संख्या कम हो गई है, सबसे हैरानी वाली बात तो यह है कि आज जंगलों में 70 से भी कम तेंदुए मौजूद है. रूस जैसे कई बड़े देशों में अमूर तेंदुए की संख्या को मिला दिया जाए तो इनकी संख्या में कुछ खास बढ़ोतरी देखने को नहीं मिलेगी.उत्तरी चीन और कोरिया में पाए जाने वाले तेंदुए से अमूर तेंदुए बहुत हद तक मेल खाते है. लेकिन आज इन तेंदुए का जीवन तेजी से विलुप्त होने की कगार तक पहुँचता जा रहा है. इन तेंदुए के विलुप्त होने का सबसे बड़ा कारण कही न कही स्वार्थी मानव और उनका बदलाव भरा जीवन है. रिपोर्ट्स में पाया गया है कि चीनी व्यापारी द्वारा इनका शिकार कर लिया जाता है, क्यूंकि इनकी खाल बहुत ही ऊँचे दाम में बिकती है, और यही कारण है कि पैसों की लालच में इंसान तेंदुएं का भारी मात्रा में शिकार कर रहा है. वहीं जंगलों की कटाई और मानवीय गति के कारण इनका जीवन पूरी तरह से तबाह होता जा रहा है.
समुद्री कछुआ: समुद्री कछुए एक ऐसे जानवर है, जो किसी को कोई भी तकलीफ नहीं देते है, वे हमेशा ही शांति से रहना पसंद करते है. आपको बता दें कि इस दुनिया में कई प्रकार के कछुए मौजूद है, ये उन जानवरों में से है. जो आने वाले समय में विलुप्त भी हो जाएंगे. जिसका सबसे मुख्य कारण यह है कि हर दिन इनकी जीवन शैली में आ रहे बदलाव और इंसानों द्वारा की जा रही समुद्रों में गंदगी के चलते इनकी तादाद भी तेजी से घट रही है. कछुओं की वैसे तो बहुत सी प्रजातियां है, लेकिन उनमे से 2 ऐसी प्रजातियां है जो विलुप्त होने की कगार पर आ चुकी है और वह हैं, हॉक्स फील और लेदर बैक टर्टल इनकी संख्या इतनी तेजी से कम हो रही है, कि पिछले कुछ सालों में ही 90 प्रतिशत इन प्रजातियों के कछुए खत्म हो गए है. इतना ही नहीं इनमे से 80 प्रतिशत कछुए बीते 10 वर्षों में ही विलुप्त हो चुकें है. साल 1996 में IUCN द्वारा इन कछुओं को विलुप्त होने वाले जानवरों कि सूची में डाला जा चुका है, जिसके बाद से लगातार इनकी प्रजातियां घटती जा रही है. कहा जाता है कि एक वक़्त था जब पूरी दुनिया में यह कछुए भारी मात्रा में पाए जाते थे, लेकिन अब इनका बजूद लगातार समाप्त होता हुआ नज़र आ रहा है.
ओरंगउटान: ओरंगउटान के बारें में आप में से बहुत ही कम लोगों ने सुना होगा, क्यूंकि इसका कारण और कुछ नहीं बल्कि इनकी संख्या का कम होना है, ओरंगउटान आम तौर पर इंडोनेशिया और मलेशिया में पाए जाते है. ओरंगउटान को बहुत ही विशेष जानवरों की श्रेणी में गिना जाता है, इनका व्यवहार और चाल ढाल बहुत ही अलग होती है. वैसे तो यह जंगलों में पेड़ों से भरे इलाकों के बीच रहना पसंद करते है, लेकिन तेजी से होती जा रही पेड़ों की कटाई इनकी जीवन का स्तर कम करती जा रही है. क्या आप जानते है की बीते कई वर्षों से इनकी तादाद हजारों की मात्रा में कम हो चुकी है. यह बात शायद आपको हैरान भी करें की तकनिकी उन्नति के कारण बीते 75 वर्षों में 80 प्रतिशत से अधिक प्रजातियां कम हो चुकी है. ओरंगउटान के जीवन यापन का एक मात्र सहारा है जंगल और जो कि तेजी से खत्म होता जा रहा है. इतना ही नहीं इनके विलुप्त होने का कारण भी एक तरह से इंसान ही है, इंसान अपनी मामूली सी उन्नति के कारण कई जानवरों के जीवन काल को बर्बाद कर रहे है.
सुमात्रन हाथी: सुमात्रन हाथी उन विलुप्त होने वाले जानवरों की सूची में शामिल होते जा रहे है, जिनकी तादाद बहुत ही कम हो गई है. इनकी विलुप्तता का अहम् कारण भी जंगलों की कटाई है, जिसके कारण इनका हैबिटेट बहुत ही बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. जंगल में बहुत से ऐसे भी जानवर है जो ख़त्म होने की कगार पर पूरी तरह से आ चुके है. सुमात्रन हाथी की जनसँख्या की बात की जाए तो इनकी संख्या 2400 से 2800 तक है. वहीँ 2011 में IUCN ने इन्हे भी जल्द ही विलुप्त होने वाले जानवरों की कैटेगिरी में शामिल कर लिया है. सुमात्रन हाथी का जीवन ख़त्म होने का और कुछ नहीं मानव द्वारा विकास के लिए काटा जा रहा जंगल है.
महत्वपूर्ण तथ्य: यदि हम इंसान थोड़ी सी समझदारी बरते और इन्ही जैसे कई जानवरों के जीवन के बारे में सोचे तो इनका जीवन कुछ हद तक बचाया जा सकता है.