राज्य मानवाधिकार आयोग ने बच्चों की फीस नहीं चुकाने वाले सरकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई के दिए निर्देश
राज्य मानवाधिकार आयोग ने कोरोना काल में लगातार वेतन लेने के बावजूद बच्चों की फीस नहीं चुकाने वाले सरकारी कर्मचारियों और अफसरों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। देहरादून निवासी एक समाजसेवी की शिकायत पर आयोग ने यह निर्देश दिए। नेहरू कॉलोनी निवासी समाजसेवी नरेश कुमार ने मानवाधिकार आयोग में याचिका दायर कर कहा था कि पिछले साल मार्च में लॉकडाउन के बाद से अब सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने बच्चों की स्कूल फीस नहीं दी है।
जबकि उनका वेतन हर माह समय पर मिल रहा है। नरेश कुमार ने कहा कि प्राइवेट नौकरी या अन्य काम धंधे वाले आर्थिक तंगी के चलते बच्चों की स्कूल फीस नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में स्कूलों को अगर सरकारी मुलाजिमों की ओर से फीस मिलती रहती तो अन्य लोगों को भी राहत मिलती। मामले की सुनवाई के बाद आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति अखिलेश चंद्र शर्मा ने कोरोना काल में फीस नहीं देने वाले सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों खिलाफ कार्रवाई के निर्देश डीएम देहरादून को दिए हैं।
छठी से 11 वीं तक के छात्रों से भी पूरी फीस ले सकेंगे स्कूल
उत्तराखंड में कक्षा 10वीं व 12वीं के बाद अब छठी से 11 वीं कक्षा तक के छात्रों को भी स्कूल की पूरी फीस अदा करनी होगी। आठ फरवरी 2021 के बाद से जो भी स्कूल जिस दिन से खुला होगा, उसी तारीख से वह टयूशन फीस के साथ बाकी फीस लेने का हकदार होगा। शनिवार को शिक्षा सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसका आदेश जल्द होगा। शिक्षा सचिव ने बताया कि यह मामला कोर्ट में भी चल रहा है। सरकार ने स्कूल बंद होने पर ऑनलाइन पढ़ाई के आधार पर स्कूलों को केवल ट्यूशन फीस लेने की इजाजत दी थी। नवंबर 2020 में कक्षा 10 और 12 के खुलने पर इन कक्षाओं की पूरी फीस लेने की अनुमति दे दी गई थी। आठ फरवरी 2021 से सरकार ने छठी से 11वीं तक की कक्षा को भी खोल दिया है। इनमें भी यही व्यवस्था लागू होगी।