इस अशुभ योग में जन्म लेने के बावजूद मिलता है रूपवान और भाग्यवान होने का अवसर, जानिए….
ज्योतिष के मुताबिक़, कुल 27 प्रकार के योग होते हैं. ज्योतिष के अनुसार सूर्य और चंद्रमा के बीच के दूरी की जो विशेष स्थिति बनती है. इन विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है. इन्हीं दूरियों के आधार पर ही 27 योग बनते हैं. ये 27 योग नीचे दिए गए हैं. हिंदू मान्यता है कि इनमें से कुछ योग अशुभ होते हैं तो कुछ योग का बहुत ही शुभ प्रभाव पड़ता है. चुभ योग में किया गया कराय शिभ फल दायी होता है जबकि अशुभ योग में किया गया कार्य अशुभ फलदायी होता है. अर्थात इस योग में किये गए कार्य अशुभ फल देते हैं.
ज्योतिष में वर्णित 27 योग
- विष्कुम्भ
- प्रीति
- आयुष्मान
- सौभाग्य
- शोभन
- अतिगण्ड
- सुकर्मा
- धृति
- शूल
- गण्ड
- वृद्धि
- ध्रुव
- व्याघात
- हर्षण
- वज्र
- सिद्धि
- व्यतिपात
- वरीयान
- परिध
- शिव
- सिद्ध
- साध्य
- शुभ
- शुक्ल
- ब्रह्म
- इन्द्र
- वैधृति
विषकुम्भयोग
इन योग में सबसे पहला योग विषकुम्भ योग है. हिंदू धर्म में विषकुंभ योग को अशुभ योग माना गया है. इस योग में किसी भी तरह के शुभ कार्य करना वर्जित है. इस योग को विष के सामान माना गया है. इसी लिए इस योग का नाम विषकुंभ योग है. ज्योतिष की मान्यताओं के मुताबिक, इस योग में किया गया कोई कार्य सफल नहीं होता है.
इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति होता है बहुत भाग्यशाली
विषकुंभ योग को यद्यपि अशुभ योग माना गया है. इसके बावजूद इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति बहुत ही भाग्यवान होता है. मान्यता है कि इस योग में जन्म लेने लोग हर प्रकार के सांसारिक सुख भोगते हैं. ये लोग बहुत ही रूपवान होते हैं. भाग्यशाली होने के साथ-साथ ये विभिन्न अलंकारों से सुसज्जित होते हैं.