अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने की शुक्र ग्रह पर दो नए मिशन भेजने की घोषणा, इस दशक के अंत तक किए जाएंगे लॉन्च
अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने शुक्र ग्रह पर दो नए मिशन भेजने की घोषणा की है. एजेंसी ने बुधवार को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि, इस दशक के अंत तक ये मिशन लॉन्च किए जाएंगे. इसमें से एक मिशन का नाम DAVINCI+ और दूसरे का नाम VERITAS रखा गया है. इन दोनों मिशन से वैज्ञानिक ये समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर कैसे ये ग्रह आग की भट्टी बन गया है. साथ ही ये इसका भी पता लगाने की कोशिश करेगा कि आखिर शुक्र ग्रह की उत्पत्ति कैसे हुई और क्या कभी इस ग्रह पर कोई समुद्र भी मौजूद था. इस मिशन के लिए नासा को उसके डिस्कवरी प्रोग्राम के अंतर्गत लगभग 36 अरब 52 करोड़ रुपये की फंडिंग भी मंजूर कर दी गई है.
नासा के एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन के मुताबिक, “इन मिशन से वैज्ञानिकों को एक ऐसे ग्रह को समझने का मौका मिलेगा जिस पर हम पिछले तीस वर्षों के दौरान नहीं पहुंच सके हैं.” साथ ही उन्होंने बताया, “इन दोनों मिशन का लक्ष्य ये जानना है कि आखिर कैसे शुक्र ग्रह आग की भट्टी बन गया, जिसकी सतह पर सीसा भी पिघल सकता है.” बता दें कि, साल 1990 में शुक्र ग्रह पर अंतरिक्षयान मैगलिन ऑर्बिटर भेजा गया था. हालांकि इसके बाद नासा के कुछ यान शुक्र ग्रह के नजदीक से गुजरे थे लेकिन इनकी मंजिल शुक्र ग्रह नहीं थी.
शुक्र ग्रह की बनावट और इतिहास का करेंगे अध्ययन
डीप एटमॉस्फेरिक वीनस इंवेस्टिगेशन ऑफ नोबल गैसेस, केमिस्ट्री एंड इमेजिंग (DAVINCI+) मिशन शुक्र ग्रह की बनावट का गहन अध्ययन करते हुए इसके बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करेगा. ये शुक्र ग्रह की ऊपरी सतह की हाई रेजूलेशन तस्वीरें भी भेजेगा. लूनर एंड प्लानेटरी इंस्टीट्यूट के मुताबिक ये शुक्र का सबसे ऊंचा और पुराना भूवैज्ञानिक क्षेत्र है. वैज्ञानिकों के अनुसार यहां की चट्टानें काफी कुछ पृथ्वी पर पाई जाने वाली चट्टानों की तरह ही दिखाई देती हैं जिसका अर्थ है कि शुक्र पर भी धरती की ही तरह टेक्टोनिक प्लेट्स मौजूद हो सकती हैं. बता दें कि धरती पर मौजूद ये विशाल प्लेट्स लगातार खिसकती रहती हैं और इनकी वजह से भूकंप आते हैं.
वहीं वीनस एमिसिविटी, रेडियो साइंस, इनसार, टोपोग्राफी एंड स्पेक्ट्रोस्कोपी (VERITAS) नाम के दूसरे मिशन का उद्देश्य शुक्र ग्रह के इतिहास को समझने की कोशिश करना है. साथ ही इसके अंतर्गत शुक्र ग्रह की एक पूरी तस्वीर बनाई जाएगी. इसके जरिये वैज्ञानिक ये जानने की कोशिश करेंगे की आखिर ये ग्रह पृथ्वी से इतना अलग कैसे है. नासा के वैज्ञानिक ये भी पता लगाएंगे कि क्या शुक्र ग्रह पर अब भी ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं और भूकंप आते हैं.
नासा के डिस्कवरी प्रोग्राम के वैज्ञानिक टॉम वैग्नर के अनुसार, “ये बेहद चौकानें वाली बात है कि हमें अब तक शुक्र ग्रह के बारे में इतना कम पता है. हालांकि इन दोनों मिशन के अध्ययन से हमें इसके बारे में कई अहम जानकारी मिल सकती हैं. ये ऐसा होगा जैसे हमनें दोबारा इस ग्रह की खोज कर ली हो.”