देश में कोरोना के R-वैल्यू में हो रही बढ़ोतरी, टॉप पर केरल और पूर्वोत्तर के राज्य

Covid-19 R Value, देश में कोरोना वायरस संक्रमण के फैलने की रफ्तार का संकेत देने वाले ‘आर-फैक्टर’ में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है। केरल और पूर्वोत्तर के राज्यों के आर-वैल्यू शीर्ष स्थान पर रहने से महामारी के फिर से सिर उठाने के बारे में चिंता बढ़ रही है। चेन्नई के गणितीय विज्ञान संस्थान के रिसर्चर्स के विश्लेषण में कहा गया है कि देश के दो महानगरों, पुणे और दिल्ली में ‘आर-वैल्यू’ एक के करीब है। आर-वैल्यू या संख्या, कोरोना वायरस के फैलने की क्षमता को प्रदर्शित करती है।

देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार तेज हो रही है। कई राज्यों में कोरोना के मामले एक बार फिर तेजी से सामने आ रहे हैं। कोरोना के फैलने व बढ़ते मामलों का संकेत देने वाला R फैक्टर में भी धीरे धीरे बढ़ोत्तरी हो रही है। केरल और पूर्वोत्तर के राज्यों में आर वैल्यू शीर्ष स्थान पर पहुंचने से महामारी के एक बार फिर फैलने की चिंता बढ़ गई है।

चेन्नई के गणितीय विज्ञान संस्थान के रिसर्चर्स के विश्लेषण में बताया गया है कि जब कोरोना महामारी देश में अपने चरम पर थी, यानी जब देश में 9 मार्च से 21 अप्रैल के बीच टोटल लॉकडाउन लगाया गया था तो 1.37 इसके रहने की उम्मीद थी। वहीं यह अप्रैल और 1 मई के बीच घटकर 1.18 प्रतिशत हो गई। ऐसे ही आर वैल्यू में बढ़ते महीने के साथ गिरावट दर्ज की जा रही थी लेकिन 20 जून से 7 जुलाई के बीच आर वैल्यू बढ़कर फिर से 0.88 प्रथिशत और तीन जुलाई से 22 जुलाई के बीच आर वैल्यू बढ़कर 0.95 प्रतिशत हो चुका है। इसका मतलब है कि कोरोना के मामलों में भी वृद्धि दर्ज की जा रही है।

क्या है आर-वैल्यू ?

आर-वैल्यू 0.95 होने का यह मतलब है कि प्रत्येक 100 संक्रमित व्यक्ति औसतन 95 अन्य लोगों को संक्रमित करेंगे। यदि आर-वैल्यू एक से कम है तो, इसका मतलब यह होगा कि नए संक्रमित लोगों की संख्या इससे पूर्व की अवधि में संक्रमित हुए लोगों की संख्या से कम होगी, जिसका मतलब है कि रोग के मामले घट रहे हैं। आर-वैल्यू जितनी कम होगी, उतनी तेजी से रोग घटेगा। इसके उलट, यदि ‘आर’ एक से अधिक होगा तो हर चरण में संक्रमितों की संख्या बढ़ेगी– तकनीकी रूप से, इसे महामारी का चरण कहा जाता है।

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