प्रियंका गांधी के दौरे से पहले यूपी कांग्रेस में तकरार, प्रदेश अध्यक्ष ने कही यह बात
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का आरोप है कि जो लोग पार्टी को कमजोर समझ रहे हैं वे किसी एजेंडा के तहत ऐसा जान बूझ कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो चुनावी पंडित कांग्रेस की ताक़त को नहीं जानते हैं वे ग़लतफ़हमी में हैं. लखनऊ में आज पार्टी की बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को कांग्रेस की ज़मीनी तैयारी के बारे में कुछ नहीं पता है. प्रशिक्षण से पराक्रम अभियान के ख़त्म होने के बाद लल्लू ने कहा कि इस बार बीजेपी के ख़िलाफ़ समाजवादी पार्टी या बीएसपी कोई विकल्प नहीं है, कांग्रेस ही एकमात्र उपाय है.
कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण से पराक्रम ट्रैनिंग कैंप लगाए गए
पार्टी के प्रशिक्षण से पराक्रम अभियान में 700 ट्रेनिंग कैंप लगाए गए. जिसमें बीजेपी और संघ परिवार की विघटनकारी नीतियों के बारे में बताया गया. ऐसे कई कार्यक्रमों को प्रियंका गांधी ने भी वीडियो कंफ़्रेंस से संबोधित किया.
कांग्रेस लाख दावे कर ले लेकिन सच यही है कि पार्टी संगठन के रूप में भी बिखरा हुआ है और जनता के बीच भी बाक़ी पार्टियों के मुक़ाबले बहुत कमजोर है. पार्टी ने हर तरह के प्रयोग कर लिए लेकिन मिला कुछ नहीं. हालत ये है कि पिछले लोकसभा चुनाव में तो कांग्रेस बस रायबरेली की सीट ही बचा पाई. यहां से सोनिया गांधी अध्यक्ष है. राहुल गांधी तक अमेठी से चुनाव हार गए थे.
बगावती तेवर में अदिति सिंह
पार्टी ने पिछला विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ मिल कर लड़ा था लेकिन उसमें भी कांग्रेस का नुक़सान ही हो गया. पार्टी दहाईं का आंकड़ा तक नहीं छू पाई. कांग्रेस के बस 7 विधायक चुने गए जिसमें से 2 बग़ावती तेवर में हैं. सबसे बड़ा झटका पार्टी को रायबरेली में लगा जहॉं से विधायक अदिति सिंह को कांग्रेस में कुछ अच्छा नहीं लगता है.
इस बार कांग्रेस अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. यूपी में पिछले तीन दशकों से पार्टी सत्ता से बाहर है. अब सारी उम्मीदें प्रियंका गांधी से हैं. जो कांग्रेस महासचिव हैं और पार्टी की यूपी प्रभारी भी. कल से वे यूपी के दौरे पर हैं. लखनऊ में पार्टी पदाधिकारियों के संग उनका बैठक है. फिर उनका अमेठी जाने का भी कार्यक्रम है.
कांग्रेस पार्टी लगातार मोदी और योगी सरकार के ख़िलाफ़ कार्यक्रम कर रही है. लेकिन आज की तारीख़ में वोटों के हिसाब से कांग्रेस के पास अपना कोई सामाजिक आधार नहीं है. यही पार्टी की सबसे बड़ी चुनौती है.