लोकसभा चुनाव 2019: चुनावी मौसम में राजस्थान सरकार के लिए बनी ‘मुश्किल’ पानी-बिजली की बढती मांग जानिए क्यों…
लोकसभा चुनाव के प्रचार की गर्मी के बीच राजसथान में मौसम की बढती गर्मी ने बिजली-पानी की मांग बढा दी है और सरकार के लिए इस मांग को पूरा करना बेहद मुश्किल होता जा रहा है। राजधानी जयपुर तक में पानी और बिजली की कटौती करनी पड रही है। राजस्थान में अप्रैैल मध्य से लेकर जून अंतिम सप्ताह तक भीषण गर्मी पडती है और यहां ज्यादातर स्थानोंं का औसतन तापमान 40 डिग्री से उपर रहता है। गांव में तो लोग जैसे तैसे काम चला लेते है, लेकिन शहरों में एयरकंडीशनर और कूलर पंखों की वजह से बिजली की मांग जबर्दस्त बढ जाती है। इस बार भी ऐसे ही हालात बन रहे है। पिछले सप्ताह अंधड और ओलावृष्टि के कारण गर्मी मे कुछ कमी आई थी, लेकिन अब फिर तापमान 40 डिग्री से उपर जा पहुंचा है और इसके साथ ही बिजली की मांग भी बढती जा रही है।
बिजली कम्पनियों के आंकडे बताते हैं कि मार्च अंत तक जयपुर में रोजाना सवा सौ लाख यूनिट बिजली की आपूर्ति हो रही थी, वहीं अब बिजली की मांग का 180 लाख यूनिट प्रतिदिन पहुंच गई है। जयपुर में पिछले साल पांच जून को रिकॉर्ड तोड 222 लाख यूनिट बिजली सप्लाई की गई थी। लेकिन इस साल अभी से बिजली की मांग को देखते हुए माना जा रहा है कि पुराना रिकॉर्ड मई माह में ही टूट जाएगा। बिजली विभाग के अधिकारियों के अनुसार बिजली बढ़ते लोड के कारण सिस्टम जवाब दे रहा है। लोड बढ़ने से फाल्ट, पॉवर ट्रिंपिंग, ट्रांसफार्मर जलने की दिक्कतें शुरू हो गई है उपभोक्ताओं की दिक्कतों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मार्च अंत तक जयपुर डिस्कॉम के कॉल सेन्टर पर 850 शिकायतें रोजाना आ रही थी। अब लोड़ बढ़ते ही शिकायतों का ग्राफ 1400 के आसपास पहुंच गया है। इस मांग को पूरा करने के लिए विभाग मेंटीेनेंस का अभियान चला रहा है और इस अभियान केनाम पर बिजली कटौती भी की जा रही है।
जयपुर में रोजाना अलग-अलग इलाकों में चार से छह घंटे की बिजली कटौती हो रही है। प्रदेश के अन्य हिस्सों की बात करें तो ज्यादातर इलाकाों में अघोषित तौर पर बिजली कटौती करनी पड रही है। पिछले दिनों आए अंधड और बारिश ने बिजली तंत्र को नुकसान भी बहुत पहुंचाया है और इसी के चलते स्थिति खराब हो रही है।
कुछ ऐसी ही हालात पानी की है। राजस्थान में पिछले वर्ष मानसून की पर्याप्त बारिश नहीं हुई और इसके चलते आधे से ज्यादा बांधों और तालाबों में पूरा पानी नहीं आया। जयपुर, अजमेर, टोंक जैसे जिलों को पानी की आपूर्ति करने वाले बीसलपुर बांध में मुश्किल से बीस से तीस प्रतिशत पानी आया और अब हालात यह है कि इस बांध से पानी की सप्लाई में बहुत कटौती करनी पड रही है।
जयपुर मे जहां पहले ज्यादा जगह सुबह और शाम एक-एक घंटे पानी आ जाता था, वहीं अब पानी की आपूर्ति आधी रह गई है। सिविल लाइंस जैसे वीवीआईपी इलाके में भी पहली बार पानी की कटौती करनी पड रही है। शहर के कई इलाकों में टैंकरो से पानी सप्लाई करना पड रहा है और यह भी पूरा नहीं पड रहा है। विभाग को पानी की आपूर्ति के लिए करीब एक हजार नए नलकूप खोदने पडे है, वहीं हर रोज औसतन 1800टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है। इनके अलावा निजी टैंकरों की बात करें तो मांग बढते ही इन्होने भी अपने दाम दो गुना तक बढा दिए है। प्रशासन को अवैध बूस्टर पकडने का अभियान चलाना पड रहा है।
पानी बिजली की इस कमी से जनता की नाराजगी का असर चुनाव प्रचार में भी दिख रहा हैं। वोट मांगने जा रहे प्रत्याशियों को जनता के गुस्से का सामना करना पड रहा है। यही कारण है कि सरकार ने पानी और बिजली की कटौती कम से कम करने के निर्देश दिए हुए है, लेकिन विभाग के सूत्रो की मानें तो मौसम ने साथ नहीं दिया तो छह मई को लोकसभा चुनाव का मतदान समाप्त होने के साथ ही कटौती बढ जाएगी।जयपुर में एक सप्ताह में ही बिजली की मांग 40 प्रतिशत तक बढ गई है, वहीं पानी का हाल यह है कि दिन भर में आधे से एक घंटे पानी की सप्ताई हो रही है और पानी का निजी टैंकर 500 से 700 रूपये में मिल रहा है। हालांकि चुनाव को देखते हुए अधिकारियों को सख्त निर्देश है कि अभी पानी और बिजली की कम से कम कटौती की जाए, लेकिन कमी लगातार बनी हुई है और हालात बेहद खराब होते जा रहे है।