उत्तराखंड में बारिश ने मचाई भारी तबाही, छह जिलों में 40 लोगों की मौत
हल्द्वानी : रविवार रात से हो रही बारिश ने भारी तबाही मचा दी है। मंगलवार को कुमाऊं के छह जिलों में 40 लोगों की मौत हुई है। इसमें नैनीताल जिले के सर्वाधिक 29 लोग शामिल हैं। ऊधम सिंह नगर व चम्पावत जिले के मैदानी इलाकों से 6825 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। कुमाऊं के छह हाईवे समेत 92 स्टेट हाईवे व संपर्क मार्ग बंद पड़े हैं। नैनीताल व पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय का सड़क संपर्क पूरी तरह से कट गया है।
काली, गोरी, सरयू, गोमती, शारदा, कोसी एवं गौला नदी उफान पर हैं। नैनीताल में सर्वाधिक 445 मिमी बारिश रिकार्ड की गई है। हालत यह हो गई कि नैनीताल झील के लबालब होने के बाद पहली बार माल रोड व वोट हाउस क्लब तक पानी भर आया। झील का पानी ओवरफ्लो होकर दुकानों में घुसने लगा तो सेना की मदद से दुकानदारों को सुरक्षित निकाला गया। हल्द्वानी-अल्मोड़ा हाईवे पर गरमपानी व खैरना क्षेत्र में आपदा को देखते हुए रानीखेत से 14-डोगरा रेजीमेंट के जवानों ने खाद्य सामग्री व दवाइयां बांटी। रामनगर में सेना के हेलीकाप्टर ने बाढ़ में फंसे 25 ग्रामीणों को रेस्क्यू किया।
नैनीताल जिले के रामगढ़ ब्लाक झूतिया सकुना गांव में एक मकान जमींदोज हो गया। यहां मकान के भीतर नौ मजदूरों की दबकर मौत हो गई। भीमताल में मकान ढहने से एक बच्चे की मलबे में दबकर मौत हो गई। अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर खीनापानी क्षेत्र में मलबे में दबने से दो श्रमिकों की मौत हुई है। इसके अलावा ओखलकांडा ब्लाक के थलड़ी में मकान ध्वस्त होने से सात लोगों की जान चली गई। जिले के बोहराकोट, क्वारब व साई मंदिर कैंची में दो-दो, चोपड़ा ज्योलीकोट व भीमताल में एक-एक तथा दोषापानी मुक्तेश्वर में भारी बारिश के चलते मलबा गिरने से पांच लोगों की दबकर मौत हुई है।
अल्मोड़ा जिले के भिकियासैंण में मकान पर पहाड़ी से मलबा आने से पिता-पुत्र व पुत्री की मौत हो गई। अल्मोड़ा नगर में भी एक किशोरी व महिला, स्याल्दे ब्लाक में महिला की दबकर मौत हो गई। बागेश्वर जिले में पहाड़ी से गिरे पत्थर की चपेट में आने से एक युवक की मौत हो गई। चम्पावत जिले के तिलवाड़ा गांव में एक घर में मलबा घुसने से गृहस्वामी की जान चली गई। परिवार के दो लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है, दो की तलाश जारी है। वहीं पाटी ब्लाक के थुआ मौनी गांव में मकान के मलबे में दबी महिला ने रेस्क्यू किए जाने तक दम तोड़ दिया। पिथौरागढ़ जिले में निर्माणाधीन सड़क का डामरीकरण कर रहे मजदूरों के टिनशेड पर बोल्डर गिर गया। जिसमें एक मजदूर की मौत हो गई और दो घायल हैं।
जिलावार मृतकों की संख्या
नैनीताल 29
अल्मोड़ा 06
चम्पावत 02 (02 लापता)
बागेश्वर 01
पिथौरागढ़ 01
यूएसनगर 01
कार्बेट पार्क के सफारी रूट बहे
लगातार हो रही बारिश के कारण रामनगर में कार्बेट पार्क में जिप्सी सफारी के लिए बनाए गए कच्चे रूट बह गए हैं। विभाग जंगल में निरीक्षण कर क्षतिग्रस्त रूटों की जानकारी जुटाकर नुकसान का आकलन करेगा। ऐसे में अभी डे सफारी व नाइट स्टे शुरू होने में समय भी लग सकता है।
खतरे के निशान के करीब गंगा
उत्तराखंड में तीन दिन से लगातार जारी बारिश के बीच पहाड़ से लेकर मैदान तक नदी-नाले उफान पर हैं। हरिद्वार में गंगा खतरे के निशान पर बह रही है। जबकि ऋषिकेश में यह चेतावनी रेखा के करीब बह रही है। इसके अलावा अलकनंदा के साथ ही मंदाकिनी और सहायक नदियां खतरे के निशान के करीब हैं।
फरिश्ता बनी एसडीआरएफ
भारी बारिश के चलते उत्तरकाशी और चमोली के ट्रैकिंग रूट पर फंसे पर्यटकों को निकालने का काम जारी है। राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और वन विभाग की टीम संयुक्त रूप से पर्यटकों को सकुशल निकालने में जुटी है। इसके तहत गंगोत्री नेशनल पार्क से 134 और चमोली जिले में रुद्रनाथ ट्रैक पर 10 पर्यटकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। वहीं, ऋषिकेश के रायवाला के समीप एक टापू में वन गुर्जर परिवार के 25 सदस्य फंस गए। पुलिस व एसडीआरएफ टीम ने रेस्क्यू कर सभी को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।
कुमाऊं की स्थिति
बंद हाईवे- 06
बंद संपर्क सड़कें- 92
पुल क्षतिग्रस्त- 06
पशु हानि- 10
मकान-दुकान क्षतिग्रस्त- 217लोग शिफ्ट- 6800
पिथौरागढ़ जिले का संपर्क कटा, उच्च हिमालय में हिमपात
पिथौरागढ़ जिले में भारी बारिश का दौर जारी है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में लगातार हिमपात हो रहा है। उच्च हिमालयी गांव कुटी, दांतू, मिलम आदि बर्फ से ढक चुके हैं। मुनस्यारी के मालूपाती ओर पिथौरागढ़ के क्वीताड़ गांव में दो मकान क्षतिग्रस्त हो चुके है।
माल रोड तक पहुंचा नैनी झील का पानी
नैनीताल में रातभर लगातार मूसलाधार बारिश के चलते लोगों में डर बना रहा। अतिसंवेदनशील इलाकों के लोगों ने दहशत के बीच रात काटी। नैनीताल के स्नो व्यू क्षेत्र में मंगलवार को 445 मिमी बारिश रिकार्ड की गई। झील के निकासी गेट सोमवार से ही खोले जाने के बावजूद पानी ओवरफ्लो होकर सड़क पर बहने लगा। नैनी झील खतरे के निशान से 12 फीट ऊपर पहुंच गई, जिसके चलते पानी सड़क पर बहने लगा।