रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने छावनी बोर्डों के निवासियों के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली आधारित ‘स्वचालित जल आपूर्ति प्रणाली’ का किया शुभारंभ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा संपदा दिवस 2021 के अवसर पर छावनी बोर्डों के निवासियों के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) आधारित ‘स्वचालित जल आपूर्ति प्रणाली’ का शुभारंभ किया। रक्षा मंत्रालय द्वारा सोमवार को इस बारे में जानकारी दी गई।

मंत्रालय के अनुसार, छावनी बोर्डों के लिए जीआईएस-आधारित जल आपूर्ति प्रणाली का माड्यूल भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट फार स्पेस एप्लिकेशन एंड जियोइनफारमैटिक्स (बीआईएसएजी) द्वारा रक्षा सचिव और रक्षा संपदा महानिदेशक (दिल्ली) के मार्गदर्शन में विकसित किया गया है।

मंत्रालय के अनुसार, छावनी के नागरिकों को पानी का कनेक्शन प्रदान करने के लिए यह एक आसान और तेज एप्लिकेशन है। यह पूरी तरह से स्वचालित है जो अपने नागरिक को पानी की आपूर्ति कनेक्शन के स्थान की पहचान करने की सुविधा प्रदान करता है, स्वचालित रूप से निकटतम पानी की पाइपलाइन का निर्धारण करता है, सभी जल आपूर्ति लाइनों की क्षमता को परिभाषित करता है, स्थान और आवेदक द्वारा देय राशि के आधार पर दूरी की गणना करता है। साथ ही कनेक्शन शुल्क का भुगतान आनलाइन किया जा सकता है।

माड्यूल आगे पानी के कनेक्शन के लिए आनलाइन स्वीकृति की सुविधा प्रदान करता है। एक बार सिस्टम द्वारा स्वीकृति जारी करने के बाद, कैंट बोर्ड में संबंधित विभाग दिए गए समय के भीतर वास्तविक पानी कनेक्शन सुनिश्चित करेगा। प्रणाली अत्यधिक उपयोगकर्ता के अनुकूल, कुशल और पारदर्शी है।

यह जीआईएस सिस्टम देश में अपनी तरह का पहला सिस्टम है। यह न्यूनतम सरकार पर आधारित है और अधिकतम शासन की अवधारणा का समर्थन करता है क्योंकि पानी के कनेक्शन की मंजूरी/स्वीकृति के लिए कोई मैन्युअल हस्तक्षेप नहीं है

एक पारंपरिक जल आपूर्ति प्रणाली में, नागरिक स्थानीय निकायों में आवेदन करते हैं और आवेदन को संसाधित किया जाता है जिसमें समय लगता है। शुल्क आफलाइन जमा करने की आवश्यकता है और पानी के कनेक्शन के अनुदान के लिए कोई समय अवधि परिभाषित नहीं की गई है। बीआईएसएजी ने जीआईएस माड्यूल को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया है और ई-छवानी पोर्टल के साथ इसका एकीकरण भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा किया गया है। बता दें कि रक्षा संपदा दिवस 16 दिसंबर, 2021 को महानिदेशक, रक्षा संपदा द्वारा मनाया गया था।

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