निर्वाचन आयोग ने नए राजनीतिक दलों के पंजीकरण नियमों को किया सरल,क्या राज्यों में रैलियों और रोड शो पर लागू प्रतिबंधों को बढ़ाया जाएगा….
कोरोना पाबंदियों के चलते आ रही दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने पांच चुनावी राज्यों में नए राजनीतिक दलों के पंजीकरण नियमों में शुक्रवार को बदलाव करते हुए नोटिस अवधि को 30 दिनों से घटाकर सात दिन कर दिया है। वहीं निर्वाचन आयोग (Election Commission) शनिवार को यह फैसला लेगा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर पांच चुनावी राज्यों में रैलियों, नुक्कड़ सभाओं और रोड शो पर लागू प्रतिबंधों को बढ़ाया जाए या नहीं…
कोरोना के ताजा अपडेट पर लेगा निर्णय
सूत्रों ने कहा कि शनिवार को होने वाली निर्वाचन आयोग की बैठक में कोरोना वायरस के प्रसार और इसके नए वैरिएंट ओमिक्रोन के बारे में सूचनाओं के आधार पर निर्णय लिया जाएगा। मालूम हो कि निर्वाचन आयोग ने आठ जनवरी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम का एलान करते हुए महामारी के मद्देनजर 15 जनवरी तक रैलियों, रोड शो और नुक्कड़ सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था।
नए दलों के लिए नियम सरल किए
वहीं आयोग ने कोविड पाबंदियों के चलते चुनावी राज्यों में नए राजनीतिक दलों के पंजीकरण नियमों में बदलाव करते हुए नोटिस अवधि को 30 दिनों से घटाकर सात दिन कर दिया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि पंजीकरण कराने के लिए राजनीतिक दल को अपने गठन के 30 दिनों के भीतर आवेदन देना होता है। आवेदक से पार्टी का प्रस्तावित नाम दो राष्ट्रीय और दो स्थानीय अखबारों में दो दिन प्रकाशित कराने को कहा जाता है।
30 दिनों का नोटिस पीरियड घटाया
कोई आपत्ति होने पर नोटिस प्रकाशित होने के 30 दिनों के भीतर उसे दर्ज कराया जा सकता है। अब आयोग ने नए दलों को छूट दिया है। पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक आठ जनवरी से पहले सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित करने वाले दलों के लिए नोटिस की अवधि 30 दिनों से कम करके सात दिन कर दिया है। सनद रहे आयोग दूरदर्शन के माध्यम से चुनाव प्रचार के लिए दलों को मिलने वाले समय को दोगुना करने की बात भी कह चुका है।
पर्यवेक्षकों से कहा, दिखाई दें और नैतिक बनें
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में तैनात किए जाने वाले पर्यवेक्षकों से मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सुशील चंद्रा ने शुक्रवार को कहा कि चुनाव आयोग के आंख-कान के रूप में काम करते हुए वे दिखाई दें और सुलभ व नैतिक बने। व्यय पर्यवेक्षकों से उन्होंने कहा कि मतदाताओं को लुभाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे नए-नए तरीकों से निपटने के लिए वे अपने कौशल को और निखारें।
कोरोना प्रोटोकाल का हो पालन
चंद्रा ने ये टिप्पणियां उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में चुनाव के दौरान तैनात किए जाने वाले सामान्य, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षकों को संबोधित करते हुए कीं। इस मौके पर चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने आगाह किया कि मतदान सामग्री वितरण केंद्रों पर मतदान कर्मियों द्वारा कोरोना प्रोटोकाल का पालन नहीं करने और मानवीय त्रुटियों के छिटपुट उदाहरण भी खराब छवि बना सकते हैं और चुनावों के सुचारू संचालन को पटरी से उतार सकते हैं
सभी राजनीतिक दलों को समान अवसर दें
चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र ने पर्यवेक्षकों का आह्वान किया कि वे सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करें। बैठक में 1,400 से ज्यादा अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इनमें से 140 अधिकारी बैठक व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित थे जबकि बाकी ने वर्चुअल माध्यम से हिस्सा लिया। बता दें कि सामान्य, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षकों के रूप में तैनात करने के लिए देशभर से आइएएस, आइपीएस, आइआरएस और अन्य लेखा सेवाओं के अधिकारियों को लिया जाता है।