वर्ष 2021 का श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान शिवमूर्ति को
लखनऊ। उर्वरक क्षेत्र की प्रमुख संस्था इफको द्वारा वर्ष 2021 का ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान’ वरिष्ठ कथाका शिवमूर्ति को प्रदान किया गया। उन्हें यह सम्मान दिनांक 31 जनवरी, 2022 को लखनऊ के संत गाडगे सभागार में आयोजित एक समारोह में सुविख्यात साहित्यकार श्रीमती, ममता कालिया,इफको के अध्यक्ष दिलीप संघाणी ने एवं प्रबंध निदेशक एक को डॉ उदय शंकर अवस्थी द्वारा प्रदान किया गया।
शिवमूर्ति ने अपने कथा साहित्य में ग्रामीण जीवन की विशेषताओं, विषमताओं और अंतर्विरोधों का यथार्थ चित्रण किया है। उनकी रचनाओं में सामंती व्यवस्था की विद्रूपता और ग्रामीण जीवन का कटु यथार्थ खुलकर सामने आता है। उनकी ‘कसाईबाड़ा’, ‘अकालदण्ड’, ‘तिरिया चरित्तर’ आदि कहानियों में महिलाओं, दलितों और कमजोर तबके के लोगों की विवशताओं और संघर्षों की सशक्त अभिव्यक्ति हुई है। अपनी रचनाओं के माध्यम से शिवमूर्ति ने यह दिखाया है कि किस प्रकार पितृसत्तात्मक समाज में स्त्रियाँ गाँव, देश, समाज और यहाँ तक कि घर में भी सुरक्षित नहीं हैं।‘अकालदण्ड’ की सुरजी या फिर ‘केशर-कस्तूरी’ की केशर, इनके साथ जो कुछ भी घटित होता है उनमें पितृसत्तात्मक समाज की क्रूरतम विकृतियाँ हैं।
वरिष्ठ कथाकार श्रीमती ममता कालिया की अध्यक्षता में गठित निर्णायक मंडल ने शिवमूर्ति का चयन खेती-किसानी, ग्रामीण जनजीवन और ग्रामीण यथार्थ पर केन्द्रित उनके व्यापक साहित्यिक अवदान को ध्यान में रखकर किया गया है। निर्णायक मंडल के अन्य सदस्य मधुसूदन आनंद, मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, जय प्रकाश कर्दम, विष्णु नागर एवं डॉ. दिनेश कुमार शुक्ल थे।
प्रतिवर्ष दिया जाने वाला यह प्रतिष्ठित पुरस्कार किसी ऐसे रचनाकार को दिया जाता है जिसकी रचनाओं में ग्रामीण और कृषि जीवन से जुड़ी समस्याओं,आकांक्षाओं और संघर्षों को मुखरित किया गया हो। मूर्धन्य कथाशिल्पी श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में वर्ष 2011 में शुरू किया गया यह सम्मान अब तक श्री विद्यासागर नौटियाल, श्री शेखर जोशी, श्री संजीव, श्री मिथिलेश्वर, श्री अष्टभुजा शुक्ल, कमलाकान्त त्रिपाठी, श्री रामदेव धुरंधर, रामधारी सिंह दिवाकर, महेश रणेंद्र को प्रदान किया गया है। सम्मानित साहित्यकार को एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र तथा ग्यारह लाख रुपये की राशि का चैक दिया जाता है।
अपने स्वागत भाषण में इफको के प्रबंध निदेशक डॉ॰ उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि आज कृषि और किसानों के जीवन पर लिखने वाले कम ही लेखक हैं। उन्होंने कहा कि श्री शिवमूर्ति का रचना संसार ही नहीं उनका जीवन भी गाँव और खेती-किसानी के इर्द–गिर्द घूमता है। अपनी कहानियों में उन्होंने विकास और पिछड़ेपन के बीच झूलते गाँव की हक़ीक़त को पकड़ने की कोशिश की है। डॉ. अवस्थी ने शिवमूर्ति जी के रचनाओं का जिक्र करते हुए उन्हें बधाई दी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीमती ममता कालिया ने लेखक को सम्मानित करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि श्री शिवमूर्ति का लेखन अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। किसानों के जीवन को मुखरित करने का काम जो कटारे जी ने किया है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। उन्होंने कहा कि शिवमूर्ति जी की कृतियों में प्रेमचंद और रेणु की छाप है।
दास्तानगो हिमांशु बाजपेयी और प्रज्ञा शर्मा ने श्रीलाल शुक्ल जी की रचनाओं पर आधारित ‘दास्तान नए पुराने लोगों की’ की प्रस्तुति दी जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। इस अवसर पर श्रीलाल शुक्ल एवं सम्मानित साहित्यकार
की रचनाओं की प्रदर्शनी भी लगायी गयी। समारोह मेंजयप्रकाश कर्दम गुरु प्रसाद, त्रिपाठी, श्री शिवमूर्ति विपणन निदेशक श्री योगेंद्र कुमार, शिक्षक, छात्र सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी शरीक हुए।