जानिए तिरुपति बालाजी का क्या है रहस्य
इस मंदिर में एक नहीं बल्कि ऐसे कई सारे रहस्य है जिसे आप लोगों को जरूर जानना चाहिए।
इस मंदिर के विषय में आपको थोड़ी बहुत जानकारी दे दूं ,कि यह भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है तिरुपति बालाजी का मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। इस मंदिर में विराजमान भगवान वेंकटेश्वर स्वामी जी की मूर्ति है जिसे भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है।
तिरुपति बालाजी के रहस्य!
हम यहां तिरुपति बालाजी के ऐसे 7 रहस्य के विषय में बात करेंगे जिससे आप जानकर हेरान परेशान हो जाएंगे।यहां के सारे रहस्य का जवाब वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है ,आइए शुरू करते हैं।
1:-मूर्ति पर लगे बाल असली है
भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के मूर्ति पर लगे बाल कभी नहीं उलझते वह हमेशा मुलायम रहते हैं ऐसा क्यों होता है इसका जवाब वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है।
2:-हजारों साल से बिना तेल का जलता दिया
मंदिर के गर्भगृह में एक दीपक जलता है आपको जानकर हैरानी होगी यह दीपक हजारों सालों से ऐसे ही जल रहा है वह भी बिना तेल के। यह बात काफी ज्यादा हैरान करने वाली है ऐसा क्यों है इसका जवाब आज तक किसी के पास नहीं है
3:-मंदिर के मूर्ति को पसीना आता है
मंदिर का गर्भगृह को ठंडा रखा जाता है पर फिर भी मूर्ति का तापमान 110 फॉरेनहाइट रहता है जो कि काफी रहस्यमई बात है और उससे भी बड़ी रहस्यमई की बात यह है कि भगवान मूर्ति को पसीना भी आता है जिसे समय-समय पर पुजारी पोछते रहते हैं।
4:-भगवान की मूर्ति समुद्र की लहरों की आवाज
भगवान वेंकटेश्वर के मूर्ति के कानों के पास अगर ध्यान से सुना जाए, तो समुद्र की लहरों की आवाज आती है। यह भी काफी विचित्र बात है।
5:- मूर्ति बीच में है या दाई और है?
जब आप मूर्ति को गर्भगृह के बाहर से देखेंगे तो आपको मूर्ति दाई और दिखेगी और जब आप मूर्ति को गर्भगृह के अंदर से देखेंगे तो आपको मूर्ति मध्य में दिखेगी।
6:- विशेष गांव से आता है फूल
तिरुपति बालाजी मंदिर से करीब 23 किलोमीटर दूर एक गांव पड़ता है इसी गांव से मंदिर के लिए फूल, फल, घी आदि जाता है इस गांव में बाहरी व्यक्ति का प्रवेश पर प्रतिबंध है और इस गांव के लोग काफी पुरानी जीवन शैली का उपयोग करते हैं।
7:- परचाई कपूर भी बेअसर है
परचई कपूर एक खास तरह का कपूर होता है जिसे पत्थर पर लगाने पर पत्थर कुछ टाइम बाद चटक जाता है मगर इस कपूर को भगवान की मूर्ति पर लगाया जाता है और इस मूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।