उत्तर प्रदेश में विधान परिषद के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत के बाद ,भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए चर्चा में हैं यह नाम
उत्तर प्रदेश में हाल ही में सम्पन्न विधानसभा तथा विधान परिषद के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत के बाद अब पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी प्रारंभ कर दी है। इस तैयारी में प्रदेश में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले पद यानी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर किसी की ताजपोशी का इंतजार है। इन दिनों तो काफी नाम चर्चा में हैं और इनको लेकर सभी के अपने तर्क भी हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव के बाद विधान परिषद सदस्य के चुनाव में काफी चौंकाने वाला परिणाम दिया है। अब बारी है पार्टी के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष के नाम की। माना जा रहा है कि भाजपा चौंकाने वाला नाम सामने ला सकती है। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ ही डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य तथा ब्रजेश पाठक की बीते दिनों शीर्ष नेतृत्व के साथ मुलाकात के बाद अब लग रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा में अधिक समय नहीं लगेगा। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री बने हैं। स्वतंत्र देव सिंह के योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में शामिल होने के बाद इस पद के लिए कई नामों पर चर्चा चल रही है। चर्चा में तो काफी नाम है, लेकिन भाजपा चर्चा में रहने वाले नामों को कभी खारिज भी कर देती है।
चर्चा में हैं यह नाम : पूर्व उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा के साथ ही पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। माना जा रहा है कि डा. दिनेश शर्मा या श्रीकांत शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। दोनों ब्राह्मण वर्ग से आते हैं और श्रीकांत शर्मा तो युवा चेहरा हैं। इनके साथ ही परिवहन मंत्री रहे अशोक कटारिया पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जर वर्ग के बड़े नेता हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जर वर्ग को साधने के लिए भाजपा अशोक कटारिया पर दांव लगा सकती है।
भाजपा ने योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल के शीर्ष के क्रम में किसी दलित को नहीं शामिल किया है। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए इटावा से सांसद दलित नेता प्रो. राम शंकर कठेरिया पर दांव खेल सकती है। प्रो. राम शंकर यूपी में भाजपा के बड़े दलित नेता हैं। इनके साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष और कौशांबी से सांसद विनोद सोनकर के नाम पर भी मुहर लग सकती है। दलित वर्ग के इन नामों की भी चर्चा पार्टी के तमाम दलित नेताओं के प्रभाव का आंकलन कर उनके नाम पर मंथन शुरू कर दिया गया है। यूपी भाजपा अध्यक्ष पद पर लगातार दो बार से सांसद सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री कौशल किशोर, मिश्रिख से सांसद अशोक रावत, मछलीशहर से सांसद भोलानाथ सरोज, जालौन से सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा, हरदोई से जय प्रकाश, बुलंदशहर के सांसद भोला सिंह पर भी है। इन नामों के अलावा भी भाजपा किसी और पर भी विचार कर सकती है। माना जा रहा है कि हर बार की तरह इस बार भी भाजपा नया चेहरा सामने आकर सबको चौंका सकती है। 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर इस बार भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष के पद पर इस बार किसी मंझे हुए नेता को ला सकती है।
पिछले अध्यक्षों पर एक निगाह : यूपी में भाजपा को जातिगत समीकरण साधने के लिए किसी नए चेहरे की जरूरत थी। इसी दौरान लक्ष्मीकांत वाजपेयी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। उनके बाद फूलपुर से सांसद केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। केशव के नाम में भाजपा को दो फायदा दिखा। पहला यह कि उन्होंने हिंदुत्व के लिए काफी काम किया था और दूसरा वह पिछड़ा वर्ग से आते हैं। 2017 में केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी सीएम बना दिया गया। कयास लगाए जाने लगे कि एक बार फिर से कोई ओबीसी या दलित चेहरा भाजपा यूपी की कमान संभाल सकता है, लेकिन फिर भाजपा ने सबको हैरान कर दिया। ब्राह्मण सांसद महेंद्र नाथ पाण्डेय को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। इनके नेतृत्व में ऐतिहासिक जीत के बाद महेंद्र नाथ पाण्डेय को पार्टी ने केंद्र सरकार में मंत्री पद का इनाम दिया। यूपी में फिर से प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी खाली हो गई। फिर से कयास लगाए जाने लगे कि कोई दलित चेहरा यूपी की कमान संभालेगा। कई नामों की चर्चा भी उठी, लेकिन भाजपा ने सबको दरकिनार कर दिया। ओबीसी वर्ग से आने वाले स्वतंत्र देव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। स्वतंत्र देव योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में परिवहन मंत्री हुआ करते थे।