प्रतापगढ़ में एक मई को विश्व मजदूर दिवस के रूप में मनाया गया

*जिला ट्रेड यूनियन काउंसिल के तत्वाधान में हुआ कार्यक्रम

* अपने अधिकार के लिए मजदूरों को संगठित होना जरूरी.. हेमंत नंदन ओझा

विश्व मजदूर दिवस (मई दिवस) के अवसर पर जिला ट्रेड यूनियन काउंसिल प्रतापगढ़ के तत्वावधान में जिला पंचायत सभागार में मनाया गया इस अवसर पर ग्रामीण बैंक कर्मियों के वरिष्ठ नेता बीपी त्रिपाठी उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण श्रमिक यूनियन प्रतापगढ़ के अध्यक्ष आर डी यादव आंगनबाड़ी कर्मचारी संगठन की जिला अध्यक्ष माधुरी सिंह के तीन सदस्य अध्यक्ष मंडल ने समारोह की अध्यक्षता की समारोह का संचालन उत्तर प्रदेश बैंक एंप्लाइज यूनियन एवं जिला ट्रेड यूनियन काउंसिल के मंत्री नरेंद्र प्रसाद मिश्र ने किया इस अवसर पर सुरेश चंद शर्मा ने एक गीत प्रस्तुत किया जिसके बोल ”वह सुबह कभी तो आएगी इन काली सदियों के सर से जब रात का आंचल ढलकेगा जब दुख के बादल पिघलेंगे जब सुख का सागर झलकेगा ,


बीतेगे कभी तो आखिर यह भूख और बेकारी के , टूटेंगे कभी तो बुत आखिर दौलत के इजारेदारी के ,,इस अवसर पर सर्वप्रथम सभी आगंतुकों का स्वागत उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारी संघ के जिला मंत्री रामसूरत ने किया समारोह का उद्घाटन जिला ट्रेड यूनियन काउंसिल के संरक्षक एवं सीपीआई के जिला मंत्री रामबरन सिंह ने किया समारोह के मुख्य अतिथि ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के मंत्री हेमंत नंदन ओझा रहे।सम्मेलन को संबोधित करने वालों में प्रमुख रूप से युवा कम्युनिष्ट नेता राजमणि पांडे किसान सभा के जिला महामंत्री निर्भय प्रताप सिंह डाक कर्मियों के नेता नागेंद्र तिवारी मजदूर नेता महारानी दिन विश्वकर्मा उमेश चंद्र कोरी राजेंद्र बौद्ध आदि रहे।

इस अवसर पर वक्ताओं ने 1 मई 1886 में 8 घंटे के काम के अधिकार के आंदोलन से शुरू हुए अब तक के श्रमिक आंदोलन पर चर्चा की वक्ताओं ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि जिस 8 घंटे के काम का अधिकार पूरे विश्व में मान्यता प्राप्त कर चुका है भारत में उस काम के घंटे पर भी प्रहार किया जा रहा है आउटसोर्सिंग अतिरिक्त कर्मचारी आंशिक कर्मचारी ठेका कर्मचारी हुआ असंगठित श्रमिकों के शोषण की कोई सीमा नहीं है संगठित श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा नहीं हो पा रही है केंद्र सरकार आजादी से पहले प्राप्त मजदूर कानूनों और अधिकारों पर लगातार हमला कर रही है। और इस देश का मजदूर जाति धर्म ऊंच-नीच में बटा हुआ है जब तक देश का मजदूर संगठित होकर अपने हक के लिए नहीं खड़ा होगा तब तक उसके अधिकार उसको नहीं मिलेंगे देश की सांप्रदायिक और जातिवादी राजनीति श्रमिकों में फूट डालकर राज करो के सिद्धांत पर चल रही है। वक्ताओं ने लिंग जाति धर्म भाषा संप्रदाय इन सब से ऊपर उठकर मजदूरों को एक होने के लिए आह्वान किया। वक्ताओं ने यह भी कहा कि श्रमिकों के लिए तमाम योजनाओं में धांधली की जा रही है बिचौलिए श्रमिकों का शोषण कर रहे हैं वास्तविक श्रमिकों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है कई कई वर्षों से दुर्घटनाओं के शिकार और मृतक हुए श्रमिकों को भी श्रम विभाग की योजनाओं का लाभ मिलना दूर की कौड़ी हो गया है। अधिकारी और प्रशासन संवेदनहीन हो गए हैं स्कीम वर्कर जैसे आशा आंगनबाड़ी रसोईया इन सब का शारीरिक मानसिक आर्थिक सभी प्रकार का शोषण हो रहा है वक्ताओं ने यह भी कहा कि यह इस देश का दुर्भाग्य है कि देश की संसद में अब साधारण लोगों की नुमाइंदगी करने वाले नहीं बल्कि उद्योगपति पहुंच गए हैं जो मजदूर हितों के विरोधी हैं और मजदूरों के विरुद्ध इसी वजह से कानून पारित हो जाते है मजदूरों में राजनैतिक चेतना की भी आवश्यकता है बिना उसके मजदूर वर्ग के अधिकार सुरक्षित नहीं। इस अवसर पर प्रमुख रूप से राघवेन्द्र कुमार मिश्र रेशमा देवी शिव कुमार सिंह अमर बहादुर रामअचल वर्मा जगत प्रकाश मोतीलाल वर्मा राजकुमार अर्जुन सिंह अनिल कुमार दिनेश कुमार विवेकानंद श्रीवास्तव राधेश्याम पटेल आदि सैकड़ों लोग उपस्थित थे

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