आइआइटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने एक और क्रांतिकारी तकनीक की विकसित….

दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर के वैज्ञानिकों ने एक और क्रांतिकारी तकनीक विकसित की है। हाल ही में संस्थान के वैज्ञानिक प्रो. रोहित बुद्धिराजा और उनकी टीम ने 5जी तकनीक के बेस स्टेशन में सिग्नल की प्रोसेसिंग के लिए बेसबैंड यूनिट तैयार की है, जो विभिन्न नेटवर्क पर सिग्नल को आसान बनाएगी।

आइआइटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि 5जी टेस्टबेड के स्वदेशी विकास के लिए भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने आइआइटी मद्रास, आइआइटी कानपुर, आइआइटी बांबे, आइआइटी हैदराबाद, आइआइटी दिल्ली और आइआइएससी बैंगलोर, सीईवीआइटी चेन्नई और समीर चेन्नई को संयुक्त परियोजना के रूप में जिम्मेदारी सौंपी थी। इसी टेस्टबेड के एक हिस्से के रूप में आइआइटी के प्रो. रोहित बुद्धिराजा के नेतृत्व में टीम ने तीन वर्ष की मेहनत के बाद 5जी वायरलेस बेस स्टेशन की बेसबैंड यूनिट (बीबीयू) को विकसित किया है। डिजाइन आइआइटी कानपुर में बनाया गया है और यह स्वदेशी तकनीक का उन्नत उदाहरण है।

प्रो. बुद्धिराजा ने बताया कि बेसबैंड यूनिट ही मोबाइल आपरेटरों को इंस्टालेशन चरण के दौरान रिमोट रेडियो यूनिट का परीक्षण करके सिग्नलिंग की पूरी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और तेज करने में सक्षम बनाती है। उन्होंने बताया कि बेसबैंड यूनिट ट्रांसीवर और रिसीवर के बीच उच्च आवृत्ति की तरंगों के आदान प्रदान को भी आसान बनाती है। 5जी तकनीक में चूंकि एक से छह जीबी प्रति सेकेंड तक डेटा का ट्रांसफर होगा, एेसे में यही यूनिट महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

जुलाई में होनी है स्पेक्ट्रम की नीलामी : भारत सरकार की ओर से 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया भी जुलाई में होने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके लिए आइआइटी कानपुर व अन्य सहयोगी संस्थानों के वैज्ञानिक टेस्ट बेड के सभी उपकरणों को सुव्यवस्थित करके संचालन प्रणाली को मजबूत बनाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रो. बुद्धिराजा ने बताया कि पिछले हफ्ते आइआइटी मद्रास ने अपने यहां 5जी के संचालन के लिए विकसित किए गए टावर से अन्य यूनिट को जोड़कर तकनीक का सफलतापूर्वक प्रदर्शन भी कराया है। इसमें एक वीडियो काल डेमोंस्ट्रेट की गई।

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