राजद के वरीय नेता शिवानंद तिवारी ने कहा-राज्यसभा के लिए आरसीपी सिंह को ही उम्मीदवार बनाएंगे सीएम नीतीश कुमार
राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Chunav 2022) के लिए राजद के दो उम्मीदवार नामांकन कर चुके हैं। लेकिन अभी तक भाजपा और जदयू (BJP and JDU) के उम्मीदवारों की घोषणा तक नहीं हुई है। सबसे ज्यादा सस्पेंस जदयू उम्मीदवार को लेकर है। केंद्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) के नाम को लेकर संशय बनना हुआ है। इधर राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी (RJD Leader Shivanand Tiwary) ने कहा है कि सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar), केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को ही राज्यसभा भेजेंगे। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो इससे उनका नुकसान ही होगा।
दोनों में दूरी तो बढ़ी लेकिन तकरार कभी नहीं
शिवानंद तिवारी ने बताया कि उन्हें लगता है कि राज्यसभा के लिए आरसीपी का नाम तय करना उनकी मजबूरी भी है। वे एक मीडिया पोर्टल से बात कर रहे थे। शिवानंद तिवारी ने कहा कि जदयू में एक समय नीतीश कुमार के बाद दूसरा कोई था तो वे आरसीपी ही थे। दोनों के बीच दूरी बढ़ी इसमें कहीं कोई संदेह नहीं है। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाने के समय ही यह स्पष्ट हो गया था कि नीतीश का संबंध पहले जैसा नहीं है। हालांकि, दोनों में तकरार तो कभी हुई नहीं। इधर आरसीपी भाजपा से ज्यादा करीबी दिखा रहे हैं। वहीं नीतीश कुमार के लिए भाजपा मजबूरी है। हालांकि वे भाजपा के साथ रहते हुए भी अपनी छवि सेकुलर दिखाने की कोशिश करते हैं।
प्रशांत किशोर को आरसीपी ने धकियाया
एक समय लगा था कि प्रशांत किशोर को अपना राजनीतिक वारिस बनाएंगे। लेकिन आरसीपी ने उन्हें धकिया दिया था। वहीं 2020 के विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद जब बैठक हुई थी तब आरसीपी ने कार्यकर्ताओं को नसीहत दी थी कि जमीन पर रहें। कहां से और कहां आ गए, इसका ध्यान रखें। भले उन्होंने ये बात कार्यकर्ताओं से कही लेकिन इशारा तो नीतीश कुमार पर ही था। इसे नीतीश कुमार बर्दाश्त नहीं कर पाए। हालांकि नीतीश कुमार ये जानते हैं आरसीपी से उन्हें कोई खतरा नहीं है। उन्हें खड़ा तो नीतीश ने ही किया। सबकुछ सौंपकर उनका कद बढाया। यह समझ आरसीपी को भी है वे नीतीश कुमार नहीं हो सकते। वे अक्सर ये कहते भी हैं कि उनके नेता नीतीश कुमार ही हैं।
ऐसे में उन्हें नहीं लगता कि नीतीश कुमार आरसीपी को राज्यसभा नहीं भेजने की गलती करेंगे। हैसियत तो वे आरसीपी को बता ही चुके हैं। ऐसे में राज्यसभा नहीं भेजना नीतीश जी की छवि के लिए भी अच्छा नहीं होगा। दूसरी ओर गलत संदेश जाएगा। वहीं आरसीपी एक स्थायी दुश्मन बन जाएंगे।