‘अग्निपथ’ जैसी योजना कई देशों में है लागू- BJP नेता ने ऐसे किया बचाव
गत आठ वर्षों में भाजपानीत केंद्र सरकार ने विकास के सभी आयामों पर अपनी कार्यशैली की अमिट छाप छोड़ी है। स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा, सड़क से लेकर रोजगार जैसे क्षेत्रों में प्रामाणिक और अतुलनीय कार्य किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकतंत्र में सरकार के उन उच्च मानदंडों को साकार किया है जो ‘टू दि पीपुल, फ़ॉर दि पीपुल, बाय दि पीपुल’ के रूप में परिभाषित किये जाते हैं। जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां मोदी सरकार ने ‘भूतो न भविष्यति’ के संकल्प के साथ स्पर्श न किया हो।
हाल ही में घोषित ‘अग्निपथ योजना’ इसका एक अनुपम उदाहरण है। इस योजना के तहत 17.5 से 23 वर्ष के युवाओं को सेना के तीनों अंगों यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना में चार साल के लिए भर्ती किया जाएगा। ये सैनिक ‘अग्निवीर’ कहलाएंगे। चार साल बाद इनमें से 25 प्रतिशत को आगे की सेवा के लिए रखा जाएगा, बाकी को एकमुश्त करीब 12 लाख रुपये देने की योजना है।
क्या हैं भ्रम? अग्निपथ योजना के विषय में कई मिथक और भ्रम फैलाए जा रहे हैं। विपक्षी दलों और एक वर्ग का तर्क है कि इस योजना से शस्त्र बलों की क्षमता होगी प्रभावित? जबकि ऐसा नहीं है। ये व्यवस्था और ऐसी योजना तो अधिकांश देशों में पहले से मौजूद है। पहले वर्ष में कुल सशस्त्र बलों के केवल 3% अग्निवीर होंगे, 25% अग्निवीरों को कड़ी जांच के बाद ही सेना में लिया जाएगा। एक भ्रम यह भी है कि रेजिमेंट व्यवस्था को समाप्त कर दिया जाएगा? जबकि ऐसा नहीं है। सरकार ने साफ कहा है कि रेजिमेंट व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं होगा। इस व्यवस्था को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।
अग्निपथ योजना को लेकर दो और प्रमुख भ्रम फैलाए जा रहे हैं। पहला, कुछ लोगों का तर्क है कि इस योजना के कारण युवाओं के लिए अवसर कम हो जाएंगे। और दूसरा- 4 वर्ष की सेवा के बाद अग्निवीरों का भविष्य असुरक्षित होगा? ये दोनों तर्क पूरी तरह दिग्भ्रमित करने वाले हैं। इस योजना के जरिये न सिर्फ युवाओं के लिए सशस्त्र बलों में सेवा के अवसरों में भारी वृद्धि होगी, बल्कि सेना की नौकरी के बाद इच्छुक युवाओं को पैरा मिलिट्री फोर्स और पुलिस की भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी। गृह मंत्रालय ने कहा है कि इन्हें सीएपीएफ और असम राइफल्स में प्राथमिकता मिलेगी। वहीं, यूपी सरकार ने भी ऐलान किया है अग्निवीरों को पुलिस की नौकरी में प्राथमिकता दी जाएगी।
वित्तीय पैकेज, ऋण की सुविधा भी: सेना की नौकरी के बाद युवाओं के हाथ में एकमुश्त राशि होगी। उनके सामने विकल्प होगा कि वे आगे दूसरी नौकरी में जाना चाहते हैं या अपना खुद का व्यापार आदि करना चाहते हैं। सरकार ने पहले ही कहा है कि व्यापार के इच्छुक युवाओं को वित्तीय पैकेज और आसान बैंक ऋण की सुविधा आदि भी मिलेगी। कई निजी कंपनियों ने भी ऐसे युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता देने की बात कही है।
संस्कृति ,सभ्यता, मूल्यों के मोर्चे पर काम: प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में मुकुटमणि की तरह जो कार्य याद रखे जायेंगे, वह हैं भारतीय संस्कृति ,सभ्यता, मूल्यों और जीवन शैली को वैश्विक स्तर पर प्रचारित, प्रसारित और स्थापित करने का संकल्प। 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है। पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की कड़ी का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। योग को भारतीय जीवन शैली से वैश्विक करने की योजना ने भारतीयता के परचम को निश्चित तौ पर विश्व पटल पर लहराने का काम किया है। इसी तरह अयोध्या में भव्य राम मंदिर के संकल्प को साकार होते देखने का शुभ अवसर नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में आया।
साल 1916 में जब महात्मा गांधी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के उद्घाटन समारोह में गए तो काशी विश्वनाथ की गलियों में व्याप्त गंदगी पर व्यथित हुए थे। नरेंद्र मोदी ने जब काशी को अपना संसदीय क्षेत्र अंगीकार किया तो उस प्राचीन नगर को स्वच्छ, ,संस्कृति संपन्न काशी के स्वरूप में लौटाने तथा उसके गौरवशाली प्राचीन वैभव को विश्व के सम्मुख प्रस्तुत करने का संकल्प लिया । प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी की सरकार ने काशी के कायाकल्प की परियोजनाओं पर क्रियान्वयन प्रारंभ कर दिया।
8 मार्च 2019 को प्रधानमंत्री मोदी ने काशी विश्वनाथ और मंदिर परिसर के जीर्णोद्धार कार्य का शुभारंभ किया। अब रिकॉर्ड 4 वर्षों में काशी कॉरिडोर खड़ा है। इसी तरह 2013 में भयावह आपदा में केदारनाथ धाम पूरी तरह मलबे के ढेर में बदल गया था। उस श्री केदारेश्वर के परिसर को भव्यता प्रदान करने का कार्य भी पीएम मोदी के संकल्प से साकार हुआ। हर तरह प्राकृतिक प्रकोपों को झेलने में सक्षम ऑल वेदर रोड आज देशभर के श्रद्धालुओं की चारधाम यात्रा को सुगम बना रही है। ऋषिकेश को कर्णप्रयाग से रेल मार्ग से जोड़ा जा रहा है। 2025 में यात्री रेल मार्ग से ऋषिकेश से कर्णप्रयाग पहुंच सकेंगे।
कश्मीर की घाटी में बीते 3 दशकों से सैकड़ों मंदिरों को विध्वंस का शिकार होना पड़ा था। अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर की घाटी में जीर्ण शीर्ण पड़े हिंदू तीर्थों का तीव्र गति से विकास हो रहा है। भारत के सिखों को भारत पाक सीमा से 4.7 किलोमीटर दूर पाकिस्तान स्थित करतारपुर गुरुद्वारा के दर्शन अब सहज हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने सनातन धर्म, सभ्यता और सांस्कृतिक परंपरा को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने का काम किया। सर्वविदित है कि पूर्ववर्ती सरकारें सांस्कृतिक पुनरुद्धार की बात तो दूर इन विषयों पर विमर्श से भी कन्नी काटती थी।
जब श्री सोमनाथ मंदिर के पुनरुद्धार के लिए सरदार पटेल और के एम मुंशी के संकल्प पर निर्माण का कार्य शुरू हुआ तब भी तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू विरोध कर रहे थे। निर्माण कार्य पूर्ण हुआ और तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने मंदिर के वास्तु पूजन के कार्यक्रम में जाना निश्चित किया तो जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रपति के कार्यक्रम का विरोध किया।
चाहे सोमनाथ मंदिर हो, अनुच्छेद 370 हो, अयोध्या का राम मंदिर हो, काशी विश्वनाथ हो या अब ‘अग्निपथ’ योजना…भ्रम और मिथ्या का जाल पहले भी बुना गया है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत के शक्ति केंद्रों की पुनर्स्थापना, सशक्तिकरण और पुनरुत्थान का संकल्प अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। इसका शिखर देश के परम वैभव को विश्व गुरु के सिंहासन पर आरूढ़ कराना है।