पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान ने US पर घूस देने का लगाया आरोप
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का सत्ता लोभ छूटने का नाम नहीं ले रहा है. इसी बीच उन्होंने अमेरिका पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि अमेरिका ने उनके सांसदों को लाखों डॉलर की घूस दी, जिस वजह से उनको सत्ता से बाहर होना पड़ा.
10 लाख डॉलर की रिश्वत
डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, इमरान खान ने कहा कि व्लादिमीर पुतिन से मीटिंग के बाद अमेरिका ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No confidence motion) के जरिए सत्ता से बाहर करने की साजिश रची थी. अपदस्थ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने दावा किया है कि 23 फरवरी को मास्को जाने और रूसी नेता के साथ बातचीत करने के कुछ ही घंटों बाद उनकी पार्टी के सांसदों को उनके खिलाफ जाने के लिए अमेरिका द्वारा ’10 लाख डॉलर की रिश्वत’ दी गई थी.
अमेरिका ने कही थी ये बात
69 वर्षीय खान ने आरोप लगाया कि संयुक्त राज्य अमेरिका के एक राजनयिक डोनाल्ड लू ने कहा था कि अगर वह सत्ता में बने रहे तो पाकिस्तान को ‘परिणाम’ भुगतने होंगे, जबकि अगर वह सत्ता से बाहर होते हैं तो पाकिस्तान को माफ कर दिया जाएगा. हालांकि, वॉशिंगटन (Washington) ने इमरान खान के इन आरोपों से इनकार किया है.
रूस के साथ सुधारना चाहते थे संबंध
पूर्व क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान ने कहा कि उन्हें पता नहीं था कि पुतिन यूक्रेन (Ukraine) में अपनी सेना भेजने जा रहे हैं. मुझे इसके बारे में तब पता चला जब हम लोग वहां मौजूद थे. हम रूस के साथ संबंध सुधारने की कोशिश कर रहे थे, जिसको पिछले कई वर्षों से किसी पाकिस्तानी राष्ट्राध्यक्ष ने नहीं किया था.
रूस से सस्ते में खरीदना चाहता था सामान
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान रूस (Russia) से दो मिलियन टन अनाज और छूट वाले रूसी तेल के साथ सैन्य हार्डवेयर खरीदना चाहता था. जब हमले की घोषणा की गई, तब क्या हमें यात्रा को बीच में छोड़ देना चाहिए था. ऐसा करने से रूस के साथ हमारे संबंध, जो पहले से ही ठंडे बस्ते में हैं, पूरी तरह खत्म हो जाते. ऐसे में मैंने हमने अपने देश और नागरिकों के बारे में सोचा.
दोबारा से बनेंगे पीएम
इमरान खान ने कहा कि मैं दुनिया में चल रही सभी गलतियों को सुधारने के लिए नहीं चुना गया था, मेरी जिम्मेदारी मेरा देश था. मेरे सभी संबंध, चाहे वह चीन के साथ हों, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ, रूस के साथ, हमारे अपने लोगों के फायद के लिए थे. हालांकि, सत्ता से बेदखल होने के बावजूद उनका मानना है कि उनके पास पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में बहाल होने के लिए पर्याप्त समर्थन है और वह सड़कों पर अपना विरोध करना जारी रखेंगे.