पीएम शनिवार को DLSAs बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित,बैठक में कही 10 प्र्मुख बाते |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को अखिल भारतीय विधिक सेवा प्राधिकरण की बैठक के उद्धाटन सत्र में शामिल हुए। इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘डिस्ट्रिक्ट लेगल अथारिटीज के चेयरमैन और सेक्रेटरी की ये इस तरह की पहली राष्ट्रीय बैठक है। मैं मानता हूं कि ये एक अच्छी और शुभ शुरुआत है और ये आगे भी चलेगा।’ अपने भाषण में पीएम ने ईज आफ जस्टिस और जस्टिस डिलीवरी पर जोर दिया। कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी शामिल हुए ।
पीएम मोदी के भाषण की 10 बड़ी बातें…
- यह समय हमारी आजादी के अमृतकाल का समय है। यह समय उन संकल्पों का समय है जो अगले 25 वर्षों में देश को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे।
- देश की इस अमृतयात्रा में Ease of Doing Business और Ease of Living की तरह ही Ease of Justice भी उतना ही जरूरी है।
- किसी भी समाज के लिए Judicial system तक access जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी justice delivery भी है। इसमें एक अहम योगदान judicial infrastructure का भी होता है।
- पिछले आठ वर्षों में देश के judicial infrastructure को मजबूत करने के लिए तेज गति से काम हुआ है।
- e-Courts Mission के तहत देश में virtual courts शुरू की जा रही हैं।
- Traffic violation जैसे अपराधों के लिए 24 घंटे चलने वाली courts ने काम करना शुरू कर दिया है।
- लोगों की सुविधा के लिए courts में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग इनफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार भी किया जा रहा है
- एक आम नागरिक संविधान में अपने अधिकारों से परिचित हो, अपने कर्तव्यों से परिचित हो, उसे अपने संविधान, और संवैधानिक संरचनाओं की जानकारी हो, rules और remedies की जानकारी हो, इसमें भी टेक्नोलॉजी एक बड़ी भूमिका निभा सकती है।
- देश में अंडर ट्रायल कैदियों से जुड़े मानवीय विषय पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले भी कईं बार संवेदनशीलता दिखाई गई है। ऐसे कितने ही कैदी हैं, जो कानूनी सहायता के इंतजार में वर्षों से जेलों में बंद हैं। हमारी डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथारिटी इन कैदियों को कानूनी सहायता देने का जिम्मा उठा सकती हैं।
- हमारे संविधान के आर्टिकल 39A, जो Directive principal of state policy के अंतर्गत आता है, उसने लीगल एड को बहुत प्राथमिकता दी है।
‘जन-जन तक न्याय की पहुंच आज भी बड़ी चुनौती’
केंद्रीय क़ानून मंत्री किरण रिजिजू ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमारे देश में जन-जन तक न्याय की अंतिम मील तक पहुंच आज भी एक बहुत बड़ी चुनौती है। कानूनी सेवाओं के वितरण में समता, जवाबदेही और सुलभ पहुंच इन तीन आवश्यकताओं को सुरक्षित करने के लिए हम नागरिकों की भागीदारी को अमल में ला सकते हैं।