पीएम मोदी जुलाई में वाराणसी में कार्यान्वयन पर आयोजित अखिल भारतीय शिक्षा समागम में शामिल

कुछ सप्ताह पूर्व वाराणसी में 7 से 9 जुलाई 2022 तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन पर अखिल भारतीय शिक्षा समागम का आयोजन हुआ। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। आयोजन में शिक्षाविद और विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग उपस्थित थे। सभा को सम्बोधित करते प्रधानमंत्री ने युवाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा ‘अमृत काल’ के संकल्पों को साकार करने में हमारी शिक्षा प्रणाली और युवा पीढ़ी की एक बड़ी जिम्मेवारी है।

नयी शिक्षा नीति के राष्ट्रनिर्माण में महत्वपूर्ण योगदान की महत्ता स्पष्ट करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि “राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मूल आधार शिक्षा को संकीर्ण सोच से बाहर निकालना और इसे 21वीं सदी के आधुनिक विचारों से जोड़ना है।” वे यहीं नहीं रुके भारत के युवाओं की अपार क्षमता के विषय में कहा “राष्ट्रीय शिक्षा और प्रतिभा की कमी नहीं थी, हालांकि अंग्रेजों द्वारा बनाई गई शिक्षा प्रणाली कभी भी भारतीय लोकाचार का हिस्सा नहीं थी। उन्होंने शिक्षा के भारतीय लोकाचार के बहुआयामी पक्ष को रेखांकित किया और उस पहलू को आधुनिक भारतीय शिक्षा प्रणाली में चिह्नित करने के लिए कहा। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि “हमें केवल डिग्री धारक युवाओं को तैयार नहीं करना है, बल्कि अपनी शिक्षा प्रणाली के माध्यम से राष्ट्र को आगे बढ़ने के लिए जो भी मानव संसाधन की आवश्यकता है उसकी पूर्ती करना है। हमारे शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों को इस संकल्प का नेतृत्व करना है।”

 नए भारत के निर्माण के लिए, प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि एक नई प्रणाली और आधुनिक प्रक्रियाएं अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि जिसकी पहले कल्पना भी नहीं की गई थी वह अब हकीकत है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “कोरोना की बड़ी महामारी से हम न सिर्फ इतनी तेजी से उबरे, बल्कि आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। देश में नवाचार के बढ़ते प्रभाव के विषय में प्रधानमंत्री ने कहा आज हम दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम हैं।

आज से दो साल पहले, भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में देश ने स्वाधीन भारत के इतिहास में पहली बार भारत केंद्रित शिक्षा नीति की घोषणा की। इसका न केवल भारत, बल्कि विदेशों में भी इसका ऐतिहासिक, परिवर्तनकारी, नवचारयुक्त नीति के रूप में स्वागत किया गया। हार्वर्ड, कैंब्रिज, मिशिगन समेत विश्व की 100 से अधिक शीर्ष संस्थाओं ने नीति की दूरदर्शिता, लचीलेपन, व्यवहारिकता, वैज्ञानिकता और शोधपरकता की सराहना की है।

मुझे ध्यान है कि शिक्षा मंत्री के पहले कार्यदिवस को जब मैं 31 मई 2019 का जिस दिन मैंने मंत्रालय में अपना कार्यकाल संभाला उसी दिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने वाली समिति ने को अपनी रिपोर्ट मुझे सौंपी। उसके पश्चात नीति पर व्यापक मंथन विमर्श सुनिश्चित करने की दृष्टिगत मसौदा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड की गई और MY GOV इनोवेट पोर्टल पर सामान्य नागरिक सहित शिक्षा जगत से जुड़े सभी हितधारकों के विचारों/सुझावों/टिप्पणियों को प्राप्त करने के लिए डाला गया। विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, शिक्षा सचिवों, शिक्षा मंत्रियों, सांसदों, विभिन्न शैक्षिक एवं सामाजिक संगठनों से विभिन्न मंचो पर नीति के मूलभूत स्तंभों – पहुंच, सामर्थ्य, इक्विटी, गुणवत्ता और जवाबदेही का अधिक मजबूत करने हेतु विनम्र निवेदन किया गया। एक शिक्षक होने के नाते मेरा दृढ़ मत था कि शिक्षा नीति पर व्यापक मंथन होना चाहिए, कोई भी ऐसा सुझाव न रह जाए जिसे हम समाहित न कर पाएं और शायद इसी भावना का परिणाम था कि राज्यपाल द्वारा सम्मानित स्कूल अध्यापकों से सबसे ज्यादा सार्थक परामर्श मिले।

मुझे इस बात का संतोष है कि ईश्वर ने नयी शिक्षा नीति के माध्यम से मुझे देश की शिक्षा क्षेत्र में कार्य करने का मौका दिया। नयी शिक्षा नीति -2020 के रूप में स्वाधीन भारत के इतिहास में प्रथम बार भारत केंद्रित, भारतीय मूल्यों से ओतप्रोत, परंपरागत भारतीय ज्ञान परंपरा से युक्त, अजर अमर भारतीय संस्कृति पर आधारित शिक्षा नीति का सफलतापूर्वक सृजन हुआ है। जहाँ एक और हमने अपनी समृद्ध शिक्षा प्रणाली की अच्छी बातों को समाहित किया वही हमने अपने परंपरागत ज्ञान से अमृत निकाल कर उसे राष्ट्रीय नीति में समाहित किया। वही गुरुनानक देव जी, महर्षि अरविन्द, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गाँधी जैसे महापुरुषों के जीवन की अच्छी बातों को अपनाने का प्रयास किया ताकि विद्यार्थियों का चरित्र निर्माण हो सके।

मुझे ध्यान है कैंब्रिज विश्वविद्यालय के कुलपति ने शिक्षा नीति के विषय में उत्सुकता वश पूछा था किं शिक्षा नीति में क्या नया है तो मैंने कहा किं इस नीति की सबसे बड़ी विशिष्टता यह है किं हमने इस नीति के निर्माण में मुक्त नवाचार के अंतर्गत विश्व के सबसे बड़ा परामर्श के माध्यम से रिकॉर्ड सुझाव लिए गए और शायद यही हमारी सबसे बड़ी ताकत बनी।

हमने इस बात को सुनिश्चित किया किं देश के सभी क्षेत्रो से हितधारकों के सुझाव लिए जाएँ। इन सुझावों के माध्यम से हमारा प्रयास यह था किं 34 साल बाद बन रही नयी शिक्षा नीति हम सबकी आकांक्षाओं और अपेक्षाओं पर खरा उतरे और हमारी मेहनत रंग लायी। हम इस बात से भली भांति अवगत थे किं इस नीति से हमें नव भारत निर्माण की आधारशिला रखनी है । मैंने विभिन्न मंचो पर कहा कि नीति निर्माण देश के सूदूरवर्ती गाँव के प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री की भूमिका है। यह सुनिश्चित करने का प्रयास हुआ कि इस नीति के माध्यम से देश के अंतिम छोर पर बच्चे के हितों की रक्षा की जा सके।

मेरा सदैव मानना रहा है कि किसी भी संगठन, प्रतिष्ठान, या सरकार के लिए हितधारक के साथ सार्थक परामर्श उस वक्त अधिक प्रासंगिक हो जाता है जब किसी नीति का निर्माण हो रहा हो। एक ऐसी नीति जिस पर संपूर्ण विश्व की 18 प्रतिशत से अधिक जनसँख्या का भविष्य निर्भर हो। विश्व पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन हम इससे कर सकते हैं किं हम विश्व के सबसे अधिक युवा जनसँख्या वाले देशो में शुमार है। पैंसठ प्रतिशत से ज्यादा युवा 35 साल से काम आयु के हैं । आने वाले समय में ये युवा न केवल भारत की बल्कि पूरे विश्व के विकास की इबारत लिखेंगे। मुझे सदैव से यह स्पष्ट था कि जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ तभी उठा पाएंगे जब अपने बच्चों का शिक्षा के माध्यम से उचुत मार्गदर्शन कर पाएंगे।

मुझे इस बात की प्रसन्नता है किं नीति निर्माण के समय से ही हम इस बात पर एकमत थे किं व्यवस्थित, तार्किक और व्यावहारिक नीति, उसका बेहतर नियोजन, शुरुआती बिंदु से लेकर निगरानी और मूल्यांकन के माध्यम से उद्देश्यों की पहचान करना हो चाहे सफल क्रियान्वयन का विषय हो – यह सब सार्थक हितधारक जुड़ाव से संपन्न हुई। इस संवाद से जहाँ क्षमता सुधार में सफलता मिली वहीँ उनका परामर्श हमारे लिए एक एक उपयोगी चेक-शीट बन कर उभरा। वैसे भी जनतंत्र में हितधारकों के साथ सार्थक संवाद स्थापित करना जिम्मेदारी से सरकार चलाने का अभिन्न अंग है।

नयी शिक्षा नीति एक ऐसे समय में आयी जब विश्व कोविड महामारी की चुन्नौती को झेल रहा था। भारत समेत COVID-19 के कारण दुनिया भर में स्कूल बंद हो गए हैं। विश्व आर्थिक फोरम के अनुसार वैश्विक स्तर पर 1.2 अरब से अधिक बच्चे कक्षा से बाहर रहे। इसका परिणाम यह निकला की, ई-लर्निंग के विशिष्ट उदय के साथ, शिक्षा में नाटकीय रूप से बदलाव आया है, जिससे डिजिटल प्लेटफॉर्म शिक्षण का महत्वपूर्ण आधार बन गया। यह अत्यंत संन्तोष का विषय रहा कि हमने चुन्नौतियों को अवसरों में बदलने का संकल्प लिया और 33 करोड़ विद्यार्थियों की शिक्षा को निर्बाध रूप से चलाने में सफलता पायी।

नयी शिक्षा नीति से हम विद्यार्थियों, अध्यापकों, शोधार्थियों शिक्षिक नेतृत्व की सोच में व्यापक बदलाव लाना चाहते हैं। बुनियादी ढांचे के दृष्टिकोण से, हर जिले में उच्च शिक्षा संस्थानों) के माध्यम से जिला स्तर पर आत्मनिर्भरता, और क्लस्टरिंग दृष्टिकोण, डिजिटल शिक्षा के साथ मिलकर, जिला और उप-जिला स्तर पर बहुत जरूरी अंतर को भरने का प्रयास किया। हमने इस बात पर ध्यान दिया कि विज्ञान, गणित, कला क्लबों की स्थापना अधिक जिज्ञासा पैदा करने और एक व्यक्ति को आजीवन सीखने वाले में बदलने का तरीका है। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन रिसर्च आउटपुट को एक नए स्तर पर ले जाने का संकल्प लिया गया। संस्थानों के शासन में पूर्व छात्रों की भूमिका शिक्षा प्रणाली को समग्र रूप से प्रभावित करेगी हमने इसे ध्यान में रखकर उनके योगदान को लेने का प्रयास किया है।

अच्छी बात यही रही कि नीति के माध्यम से हम सम्पूर्ण शैक्षिक इकोसिस्टम परिवर्तित करने हेतु पूरा देश प्रतिबद्ध दिखा। इसी संकल्प का परिणाम रहा कि हम नीति में समकालीन विषय जैसे – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजाइन थिंकिंग, होलिस्टिक हेल्थ, ऑर्गेनिक लिविंग, इमोशनल हेल्थ, एनवायर्नमेंटल एजुकेशन, ग्लोबल सिटिजनशिप एजुकेशन, सर्वागीण विकास इत्यादि को शामिल कर पाए। NIPUN – पढ़ने में प्रवीणता समझ और संख्यात्मक ज्ञान विकसित करने के लिए राष्ट्रीय पहल के माध्यम से हम अपने बच्चो को मजबूत आधार देने का प्रयास जारी है। प्रगति कार्ड के माध्यम से हम व्यापक कौशल, संज्ञानात्मक, स्नेह, सामाजिक-भावनात्मक और साइकोमोटर डोमेन पर दशा केंद्रित कर पाएंगे। पुरानी रटने परिपाटी छोड़कर अब की बोर्ड परीक्षा मुख्य रूप से मुख्य रूप से अर्जित दक्षता का परीक्षणकरने हेतु संकल्पित हैं ।

चाहे 10 + 2 संरचना का प्रतिस्थापन 5 + 3 + 3 + 4 का विषय हो, नए स्कूल शिक्षा सुधार के साथ रॉट लर्निंग के साथ दूर करने का विषय हो, गतिविधि-आधारित, प्रायोगिक शिक्षा, कम्प्यूटेशनल सोच, बहु-विषयक और महत्वपूर्ण सोच-आधारित सीखने की बात हो, पारंपरिक भारतीय मूल्यों को शिक्षा का अभिन्न अंग बनाने शामिल करना की बात हो इस नीति के माध्यम से हमारा लक्ष्य आत्मविश्वासी बच्चों का विकास करना है जो अपनी जड़ों, संस्कृति और पारंपरिक प्रथाओं का भरपूर ज्ञान के माध्यम से अपना सर्वागीण विकास सुनिश्चित कर सकेंगे ।

पहली बार कौशल वृद्धि और क्षमता निर्माण के मामले में विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। हमारा मानना है किं जब आप एक बार कौशल सीख लेते हैं तो यह संपूर्ण जीवन में सहायक होती है। योग्यता मूल्यांकन शिक्षा को और अधिक सार्थक बना कर और मौजूदा सैद्धांतिक शिक्षा डिजाइन में परिवर्तन के कारण ड्रॉपआउट के मुद्दे को सम्बोधित करने का प्रयास किया है। दो साल डिप्लोमा, एक लंबे डिग्री कोर्स, और एक अकादमिक क्रेडिट बैंक, और क्रेडिट स्कोर के साथ MOOCS (बड़े पैमाने पर ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम) के संबंध में नए उपाय किए गए। निजी और सार्वजनिक संस्थानों के मूल्यांकन के लिए समान बेंचमार्क सुनिश्चित करके, हम सबको सामान अवसर देकर शैक्षिक संस्थानों से बेहतर परिणामों के लिए तत्पर हैं। चाहे शिक्षक भर्ती प्रक्रिया हो, कार्यकाल ट्रैक, और प्रतिभाशाली लोगों को शिक्षा की ओर आकर्षित करने के लिए उपलब्ध प्रशासनिक पदों में परिवर्तन मौलिक परिवर्तन हैं। ये कदम गुणवत्तापरक और नवचारयुक्त शिक्षा को बढ़ावा देने में मददगार साबित होंगे। विश्व पटल पर रैंकिंग के क्षेत्र में भी हमारा ग्राफ निरंतर बढ़ता रहे इसलिए वैश्विक स्तर पर नेटवर्क स्थापित किये जा रहें हैं।

नयी शिक्षा नीति 2020 को गुणवत्ता, पहुंच, जवाबदेही, सामर्थ्य और समानता का आधार स्थापित हुआ है इसका पूरा श्रेय उन सभी हितधारकों को देना चाहता हूँ जिन्होंने अपनी चिंताओं, अपेक्षाओं, सुझावों से न हमें अवगत कराया परन्तु आगे बढ़ने का मार्ग भी प्रशस्त किया। विदेशो से मिले सुझावों ने इस नीति को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का सफलतापूर्वक मुकाबला करने के आगे बढ़ने की राह दिखाई। कुल मिलकर नीति समावेशी, भागीदारी और समग्र दृष्टिकोण से परिपूर्ण है , जो विशेषज्ञ राय, क्षेत्र के अनुभव, अनुभवजन्य अनुसंधान, हितधारक प्रतिक्रिया, साथ ही सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखे गए पाठों को ध्यान में रखकर सृजित की गयी है। एनईपी के प्रत्येक पहलू के लिए कार्यान्वयन योजनाओं को विकसित करने के लिए केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर संबंधित मंत्रालयों के सदस्यों के साथ विषयवार समितियों राज्य शिक्षा विभाग, स्कूल बोर्ड, एनसीईआरटी, केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी सहित कई निकायों द्वारा बेहतर समन्वय से हम अपने लक्ष्यों के तरफ तेजी से अग्रसर हैं।

एनईपी देश के शिक्षा क्षेत्र को सम्पूर्ण विश्व के लिए पूरी तरह से खोल दिया है । भारत में शीर्षतम विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसरों के खुलने से भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों के बीच अनुसंधान सहयोग और छात्र विनिमय कार्यक्रमों को बढ़ावा मिल सकेगा ।। एनईपी भारत को एक वैश्विक शिक्षा के आकर्षक गंतव्य के रूप में स्थापित करेगा, साथ ही दुनिया को शांतिपूर्ण, सहिष्णु, रहने योग्य और अधिक मानवीय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति नव भारत के निर्माण की दिशा में एक बड़ी छलांग है. देश इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं किं इसकी व्याख्या और कार्यान्वयन इसकी मूल भावना के अनुरूप सुनिश्चित हो और इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य शुरू हो गया है। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत के लिए इस शिक्षा नीति के रूप में एक आधारशिला रखी गयी है। मुझे पूरा विश्वास है कि नीति के सफल क्रियान्वयन में सभी हित धारको का वही सहयोग मिलेगा जो नीति निर्माण के समय मिला था । नीति के भव्य दृष्टिकोण को धरातल पर उतारने के लिए सभी का सहयोग अत्यंत आवश्यक है क्योंकि तभी हम एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूप में भारत का पुनर्निर्माण करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

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