दुनिया भर में महंगाई के लगातार बढ़ने के कारण रिजर्व बैंक ने यह फैसला लिया
बैंक ने यह फैसला लिया
लगातार बढ़ती महंगाई के कारण रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को एक बार फिर से रेपो रेट बढ़ाने का ऐलान कर दिया है। इस बार आरबीआई ने रेपो रेट में 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है। 4.90 फीसद से बढ़कर अब रेपो रेट 5.40 फीसद हो गया है। मई में रेपो दर में अप्रत्याशित 40-बेसिस पॉइंट्स और जून में 50 आधार अंकों की वृद्धि के बाद RBI द्वारा की गई यह तीसरी वृद्धि है। आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाने से आपके होम और कार लोन जैसे अन्य कर्जों की ईएमआई बढ़ जाएगी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्या कहा
दरअसल, आज शुक्रवार को आरबीआई ने रेपो रेट में वृद्धि कर दी है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बयान जारी कर बताया कि मौद्रिक नीति समिति ने 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी का फैसला किया है। इस फैसले के बाद अब रेपो रेट 4.90 फीसद से बढ़कर 5.4 फीसद हो गया है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि शहरी मांग में सुधार देखने को मिल रहा है। हालांकि, उन्होंने इस बात का भी संकेत दिया कि कोर महंगाई दर ऊंचे स्तर पर रहने का अनुमान है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि ग्रामीण मांग में धीरे-धीरे सुधार जारी है। निवेश में तेजी देखने को मिल रही है।
दुनिया के दूसरे केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में बढ़ोतरी
दुनिया के दूसरे केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों की बढ़ोतरी को देखते हुए आरबीआई ने मई में दरें बढ़ाना शुरू किया था। रिजर्व बैंक ने बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिए मई और जून में नीतिगत दर में कुल 0.90 प्रतिशत की वृद्धि की थी। भारत में खुदरा महंगाई दर जून में लगातार छठे महीने भारतीय रिजर्व बैंक के 6 प्रतिशत के ऊपरी टॉलरेंस बैंड से अधिक चल रही है। जून में खुदरा महंगाई 7.01 फीसद पर आ गई थी। हालांकि, आरबीआई की माने तो महंगाई दर कुछ नीचे आई है।
क्या होता है रेपो रेट
रेपो रेट (Repo Rate) वह रेट होता है, जिस पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों को लोन देता है। इसका पूरा नाम रिप्रोडक्शन रेट (Reproduction Rate) है, लेकिन संक्षेप में इसे रेपो रेट (Repo Rate) कहते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले सभी तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे। यानी रेपो रेट कम हाेने से होम लोन (Home Loan), व्हीकल लोन (Vehicle loan) और पर्सनल लोन (Personal Loan) सभी सस्ते हो जाते हैं। लेकिन इससे आपकी जमा पर ब्याज दर में भी बढ़ोतरी हो जाती है। इसी तरह इसके बढ़ने से सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं।
क्या है एसएलआर
स्टेचुटरी लिक्विडिटी रेशियो (Statutory Liquidity Ratio) या एसएलआर (SLR) एक मौद्रिक टर्म है, जिसे सभी वाणिज्यिक बैंकों को पूरा करना होता है। इससे पता चलता है कि बैंक आम जनता या कारपोरेट जगत को लोन या क्रेडिट देने से पहले कैश (Cash), गोल्ड रिजर्व (Gold Reserve), पीएसयू बांड्स (PSU Bonds) और सिक्योरिटी में कितनी राशि रखेंगे। इससे बाजार में कैश फ्लो पर नियंत्रण रखा जाता है। रिजर्व बैंक इसके जरिए भी बाजार में कैश मैनेजमेंट का काम करता है। अगर बाजार में नकदी कम होगी तो बैंक के पास लोन देने के लिए कम पैसे होंगे। इसका मतलब यह हुआ कि लोन का रेट बढ़ जाएगा।