पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंधों की जताई इच्छा
भारत ने पाकिस्तान से बार-बार कहा है कि जम्मू कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा बना रहेगा। भारत ने पाकिस्तान को वास्तविकता को स्वीकार करने और भारत विरोधी दुष्प्रचार की नसीहत दी है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंधों की इच्छा जताई है। उन्होंने समानता, न्याय और आपसी सम्मान के सिद्धांतों और कश्मीर मुद्दे के समाधान के आधार पर भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंधों की इच्छा व्यक्त की है। भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंधों की इच्छा जताने वाले शहबाज शरीफ आंतकवाद के मुद्दे पर चुप्पी साधे रखे हैं। जबकि भारत पाकिस्तान को बार-बार आतंकवाद के खिलाफ एक एक्शन की याद दिलाता रहा है।
पाकिस्तान प्रायोजित सीमा पार से आतंकवाद और कश्मीर मुद्दे को लेकर द्विपक्षीय संबंधों में तनाव के बीच शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से दक्षिण एशिया में स्थायी शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सहायक भूमिका निभाने का भी आग्रह किया। ‘डॉन’ अखबार ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के हवाले से बताया कि शरीफ ने गुरुवार को पाकिस्तान में ऑस्ट्रेलिया के नवनियुक्त उच्चायुक्त नील हॉकिन्स के साथ बैठक के दौरान ये विचार व्यक्त किए।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भूमिका की अपील
शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान समानता, न्याय और आपसी सम्मान के सिद्धांतों के आधार पर भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहता है। इस संदर्भ में, प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के अनुसार जम्मू कश्मीर विवाद का एक उचित और शांतिपूर्ण समाधान अपरिहार्य है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस संबंध में एक सहायक भूमिका निभानी होगी, क्योंकि यह दक्षिण एशिया में स्थायी शांति और स्थिरता के लिए आवश्यक है।
भारत ने पाकिस्तान से बार-बार कहा है कि वह आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त वातावरण में इस्लामाबाद के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध चाहता है। भारत ने यह भी कहा है कि आतंकवाद और शत्रुता से मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है। शरीफ की यह टिप्पणी भारत द्वारा जम्मू कश्मीर में रहने वाले गैर-स्थानीय लोगों को मतदान सूची में अपना नाम दर्ज कराने और केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव में मतदान करने की अनुमति देने के निर्णय के कुछ दिनों बाद आई है। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से पहले, राज्य संबंधी कानून के तहत केवल जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासी मतदान के हकदार थे।
पाकिस्तान भारत की सोची समझी रणनीति बताया
संबंधित घटनाक्रम में, विदेश कार्यालय ने शुक्रवार को कहा कि वह जम्मू कश्मीर में मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने के लिए बाहरी कर्मचारियों और सुरक्षा कर्मियों सहित अस्थायी निवासियों को भी अनुमति देने की भारत की घोषणा को स्पष्ट रूप से खारिज करता है। विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि यह जम्मू-कश्मीर में ‘तथाकथित’ चुनावों के परिणाम को प्रभावित करने और ‘चुनाव पूर्व धांधली और खुले तौर पर हेरफेर’ के प्रयासों को प्रभावित करने के लिए भारत की सोची समझी रणनीति है।
जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार ने बुधवार को कहा था कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहली बार मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के बाद केंद्र शासित प्रदेश में बाहरी लोगों सहित लगभग 25 लाख अतिरिक्त मतदाता होने की संभावना है। अगस्त 2019 में भारत द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने की घोषणा के बाद द्विपक्षीय संबंध और बिगड़ गए।