इस दिन है सर्वपितृ अमावस्या, जानिए शुभ समय और पूजा करने की विधि
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। आश्विन मास में पड़ने वाली अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध के साथ उनकी विदाई की जाती है। जानिए सर्वपितृ अमावस्या तिथि और श्राद्ध की विधि।
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का काफी अधिक महत्व है। भाद्रपद की पूर्णिमा से आरंभ हुए श्राद्ध पक्ष आश्विन मास की अमावस्या तिथि को समाप्त होते हैं। 16 दिनों तक चलने वाले इस पितृपक्ष में पितरों को प्रसन्न करने और आशीर्वाद पाने के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है। वहीं, आश्विन मास की अमावस्या तिथि को इसका समापन हो जाएगा। इसे सर्वपितृ अमावस्या के अलावा महालया अमावस्या कहा जाता है। इस बार सर्वपितृ अमावस्या 25 सितंबर को है और इसके अगले दिन से ही शारदीय नवरात्रि आरंभ हो जाएगा।
सर्वपितृ अमावस्या के दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि याद न हो या फिर फिर किसी कारण वश उनकी तिथि पर श्राद्ध न कर पाए हो। इसके साथ ही इस दिन पितरों की विदाई की जाती है। जानिए सर्वपितृ अमावस्या का तिथि मुहूर्त और श्राद्ध करने की विधि।
सर्वपितृ अमावस्या की तिथि और मुहूर्त
आश्विन मास की अमावस्या तिथि 25 सितंबर, रविवार को दोपहर 03 बजकर 12 मिनट से शुरू हो रही है जो 26 सितंबर दोपहर 3 बजकर 24 मिनट में समाप्त होगी। इसलिए सर्वपितृ अमावस्या 25 सितंबर को ही होगी।
सर्वपितृ अमावस्या पर ऐसे करें श्राद्ध
इस दिन प्रात: काल उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ सुथरे सफेद रंग के वस्त्र धारण कर लें। अब पितरों का तर्पण करने के लिए दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। इसके बाद एक तांबे के लोटे में जल में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। इसके साथ ही काले तिल, कच्चा दूध और थोड़ा सा कुश डाल लें। इस जल को धीमे-धीमे जमीन में गिराते हुए पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना लाभकारी माना जाता है। भोजन में खीर अवश्य बनाएं। बनाएं गए भोजन से 5 हिस्से जरूर निकाल दें। यह हिस्से कौवा, गाय, कुत्ता, चींटी और देवताओं के लिए निकाल दें। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर योग्यतानुसार दक्षिण दें। इसके बाद अन्य लोग भोजन करें। अगर आप व्यापक तरीके से भोजन कराने में सामर्थ्य नहीं है, तो शाक सब्जी ही दान कर सकते हैं।