बुजुर्गों के लिए सर्दियां चुनौतिपूर्ण हो सकती, जानें आर्थराइटिस के कारण और बचाव के उपाय ..

गतिहीन जीवन शैली और शरीर के वजन में वृद्धि हमारी हड्डियों को सबसे अधिक प्रभावित करती है। यही आगे चलकर आर्थराइटिस का कारण बनता है। आर्थराइटिस मुख्य रूप से शरीर के साइनोवियल जॉइंट की सूजन है। इसके कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, उनमें टूट-फूट शुरू हो जाती है। साथ ही जोड़ों में दर्द , सूजन भी हो सकती है। समस्या गंभीर होने पर जोड़ों में लाली होना और कोई भी काम करने में परेशानी महसूस हो सकती है। अगर आपके एजिंग पेरेंट्स में सर्दियों में जोड़ों में दर्द यानी आर्थराइटिस की समस्या का सामना कर रहे हैं, तो एक्सपर्ट बता रहे हैं इससे बचने के कुछ प्रभावी उपाय।

गतिहीन जीवन शैली और शरीर के वजन में वृद्धि हमारी हड्डियों को सबसे अधिक प्रभावित करती है। यही आगे चलकर आर्थराइटिस का कारण बनता है। आर्थराइटिस मुख्य रूप से शरीर के साइनोवियल जॉइंट की सूजन है। इसके कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, उनमें टूट-फूट शुरू हो जाती है। साथ ही जोड़ों में दर्द , सूजन भी हो सकती है। समस्या गंभीर होने पर जोड़ों में लाली होना और कोई भी काम करने में परेशानी महसूस हो सकती है। अगर आपके एजिंग पेरेंट्स में सर्दियों में जोड़ों में दर्द यानी आर्थराइटिस की समस्या का सामना कर रहे हैं, तो एक्सपर्ट बता रहे हैं इससे बचने के कुछ प्रभावी उपाय।

जब वाइटल फ़ोर्स जॉइंट में अवरुद्ध हो जाता है, तो ब्लड की आपूर्ति सुस्त हो जाती है और जॉइंट फ्लूइड स्थिर हो जाता है। इस ठहराव के कारण टॉक्सिक एलिमेंट इसमें जमा होने लगते हैं। यह नर्व फाइबर को परेशान करता है। इसके कारण जॉइंट स्टिफ हो जाते हैं और दर्द होता है। इसके कारण चलने-फिरने में दिक्कत होती है।

यहां हैं जोड़ों मे दर्द या गठिया की समस्या से बचाव के उपाय

1 डाइट मैनेजमेंट

डॉ. अमित खन्ना बताते हैं, आवश्यकता से अधिक खाना और तले हुए खाद्य पदार्थ, प्रोसेस्ड और सिंथेटिक खाद्य पदार्थ, एनिमल फैट गठिया के लक्षणों को बढाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनकी बजाए हल्के पके हुए साग और साबुत अनाज की रोटी, चावल, बाजरा और जौ को अपने आहार में शामिल करें। उबली या बेक की हुई सब्जियां लें, खासकर हरी सब्ज़ियां, लेकिन प्याज़ नहीं लें। हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर, चुकंदर, गाजर, खीरा, अंकुरित दालें। केले को छोड़कर ताजे फल, कम मात्रा में ड्राई फ्रूट भी लें।

2 चीनी और डेयरी प्रोडक्ट से बचें

चीनी के स्थान पर शहद का प्रयोग किया जा सकता है। दूध और डेयरी उत्पादों जैसे पनीर और अत्यधिक रिफाइंड का सेवन कम करें। मौसमी फल और सब्जियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यदि जरूरी हो, तो थोड़ी मात्रा में कभी-कभी वाइट मीट, चिकन और मछली ली जा सकती है।तली-भुनी चीजों से परहेज करें और तरल पदार्थ का सेवन बढायें। गाउट होने पर मछली, अंडे, मटर, मसूर, सूखी बीन्स, मांस और प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थों से बचें।
कैफीन का सेवन कम करें, जो दर्द और सूजन को बढ़ाता है।

3 जोड़ों पर तनाव न दें

नियमित व्यायाम करें और जोड़ों पर तनाव न डालें। दौड़ना और वेट लिफ्टिंग जैसे व्यायाम बिल्कुल न करें।
मांसपेशी को टोन रखें। मांसपेशियां जोड़ों को सहारा देने में मदद करती हैं, इसलिए जोड़ों को मजबूत रखने के लिए मांसपेशियों को मजबूत बनाना जरूरी है।

4 वेट लॉस की कोशिश

वजन अधिक होने से भार वहन करने वाले जोड़ विशेष रूप से घुटने और कूल्हे अधिक प्रभावित होते हैं। अधिक वजन का अर्थ है हाथों में भी अधिक दर्द होना। यदि आपका वजन अधिक है, तो अभी से धीरे-धीरे वजन घटाना शुरू कर दें।

5 खराब पोस्चर (Posture) ठीक करें

अपना पोस्चर हमेशा सही रखने का प्रयास करें। लंबे समय तक एक स्थिति में रहने से बचें। यदि डेस्क पर काम कर रही हैं, तो सुनिश्चित करें कि कुर्सी सही ऊंचाई पर हो। नियमित समय पर ब्रेक लेती रहें। बीच-बीच में टहलना

6 मालिश भी हो सकती है फायदेमंद

जोड़ों पर अधिक तनाव देने से बचें। आराम और काम के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करें। खुद भी हल्के हाथों से मालिश करें। क्योंकि यह मांसपेशियों को आराम देने और रक्त परिसंचरण में सुधार करने में मदद करती है।

राहत पाने के लिए गर्म स्नान या गर्म पानी की सिंकाई या जोड़ों के आसपास हीटिंग पैड लें। विटामिन सी और अन्य एंटीऑक्सिडेंट ऑस्टियोआर्थराइटिस और इसके जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।

7 आर्थराइटिस से बचाव के लिए टहलना जरूरी

गठिया के लिए टहलना आदर्श व्यायाम है। जोड़ों और मांसपेशियों को लचीला बनाए रखने के लिए स्ट्रेचिंग सबसे आसान तरीका है। यह तनाव को दूर करता है और दैनिक गतिविधियों को बनाए रखने में मदद कर सकता है।
धूम्रपान से बचें जो जोड़ों के डीहाईड्रेशन के कारण गठिया के खतरे को बढ़ा सकता है।

चलते-चलते

यदि समस्या हो रही है, तो तुरंत इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। वे लक्षणों के आधार पर आपकी समस्या की गंभीरता आंक सकेंगे। ताकि तुरंत और सही उपचार शुरू किया जा सके।

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