स्प्रिंग सीजन में फूड्स को लंबे समय तक स्टोर करना चाहते हैं, तो हमारे द्वारा बताए गए हैक्स जरूर करें फॉलो
ठिठुरने वाली सर्दियों के बाद अब सुहावना मौसम यानि वसंत का मौसम आ गया है। इस बदलते मौसम में हम सभी अपने पहनावे के साथ-साथ खान-पान में भी कई तरह के बदलाव करते हैं। कई लोग ऐसे भी हैं जो सर्दियों की सब्जियों को फ्रिज में स्टोर करके भी रख लेते हैं। मगर कुछ समय बाद यह फूड्स खराब होने लगते हैं और हमारी सारी मेहनत बेकार हो जाती है।
क्या आपके साथ भी ऐसा ही होता है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि आज हम आपके लिए फूड प्रिजर्वेशन करने की कुछ तकनीक लेकर आए हैं जिसके बाद आपका कोई खाना खराब नहीं होगा। बता दें किफूड प्रिजर्वेशन भोजन को खराब होने, फूड पॉइजनिंग और भोजन को माइक्रोबॉयल कंटेमिनेशन से रोकती है। तो आइए जानते हैं फूड प्रिजर्वेशन करने के कुछ हैक्स-
ड्राई सॉल्टिंग तकनीक
ड्राई सॉल्टिंग फॉर्मेटिंग या पिकलिंग फूड प्रिजर्वेशन की एक तकनीक है। इसका उपयोग मांस, मछली और सब्जियों को स्टोर करने के लिए किया जाता है। कहा जाता है यह तकनीक को 20वीं सदी में कैनिंग की जगह इस्तेमाल की जाती थी।
इसमें नमक की कम कंसंट्रेशन (2½% से 5%), फर्मेंटेशन को बढ़ावा देता है, जबकि हाई सॉल्ट कंसनट्रेशन (20% से 25% नमक), माइक्रोबियल विकास को रोकता है और भोजन को कम या ज्यादा फ्रेश और सॉल्टी स्टेट में प्रिजर्व करता है।
क्यूरिंग तकनीक
यह तकनीक पिकलिंग के सामान ही होती है, जिसमें नमक, एसिड और/या नाइट्रेट का उपयोग ज्यादा किया जाता है। इसका तकनीक में आप मांस या मछली को लंबे समय तक स्टोर करके रख सकते हैं। हालांकि, वक्त के साथ इस तकनीक में बदलाव आया है, जिसमें नमक और नाइट्रेट की मात्रा को कम कर दिया गया है।
मगर इस तकनीक को अपनाने के बाद प्रोडक्ट्स को रेफ्रिजरेटर या फ्रीज करने की आवश्यकता हो सकती है। यह 19वीं सदी में मांस और मछली को प्रिजर्व करने का तरीका था।
सीलिंग तकनीक
सीलिंग हवा को बाहर रखने के लिए भोजन को ढकने की एक प्रक्रिया है, जो खराब होने वाले जीवों की गतिविधि में देरी करती है। यह मुख्य रूप से ड्राइंग या फ्रीजिंग जैसे अन्य तरीकों के पूरक प्रक्रिया के रूप में उपयोग किया जाता है।
फैट सीलिंग और वैक्यूम सीलिंग दोनों विधियां अपेक्षाकृत आसान हैं। इसमें फूड को पॉलीथिन की मदद से पूरी तरह से सील कर दिया जाता है।
ड्राइंग तकनीक
यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें खाने को इतना हाइड्रेट किया जाता है कि उसमें माइक्रोबॉयल एक्टिविटी के लिए पर्याप्त नमी न बचे। इसे भी कई खाद्य पदार्थों के लिए किया जाता है, जिनमें फल, सब्जियां, मीट, सीफूड, अनाज, फलियां और नट्स शामिल हैं।
वहीं कई अलग-अलग तकनीकें भी होती हैं, जो अपेक्षाकृत आसान होती हैं और जिनके लिए किसी विशेष उपकरण की भी आवश्यकता नहीं होती है।