जानें किस वजह से अफगानिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से मांगी मदद…
खबरों के मुताबिक, अफगानिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) से मदद की गुहार लगाई है। दरअसल, युद्धग्रस्त देश में सूखे के बारे में बढ़ती चिंताओं के बीच अफगानिस्तान ने यूएन से मदद मांगते हुए गेहूं के भंडारण की सुविधा प्रदान करने के लिए कहा है।
अफगानिस्तान में लोग जी रहे दयनीय जीवन
स्थानीय समाचार एजेंसी के अनुसार, कृषि और पशुधन के चैंबर ने संयुक्त राष्ट्र को मदद करने के लिए बुलाया है और कहा है कि इससे आफगानिस्तान की आर्थिक स्थिति में भी सुधार लाने में मदद मिलेगी। दरअसल, अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा देश में सत्ता पर कब्जा करने के बाद से ही अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था उलट गई। इसके बाद से ही देश एक गंभीर मानवीय संकट में है और लोग दयनीय जीवन जी रहे हैं।
100,000 टन गेहूं की खरीद के लिए बजट आवंटित करने की योजना
रिपोर्ट में अफगानिस्तान के कृषि और पशुधन के चैंबर के उप प्रमुख मीरवाइज हाजीजादा का हवाला देते हुए कहा गया, “अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और अन्य देशों को मौजूदा स्थिति में अफगानिस्तान का समर्थन करने की आवश्यकता है।” चल रहे खाद्य संकट के बारे में, तालिबान
के नेतृत्व वाले कृषि मंत्रालय के एक प्रवक्ता, मुस्बहुद्दीन मुस्टीन ने कहा, “कृषि मंत्रालय ने आपातकालीन स्थितियों के लिए 100,000 टन गेहूं की खरीद के लिए बजट आवंटित करने की योजना कैबिनेट को भेजी है।
हर साल छह से आठ मिलियन मीट्रिक टन गेहूं की जरूरत
दुनिया भर से मानवीय सहायता प्राप्त करने के बावजूद, अफगानिस्तान की गरीबी, कुपोषण और बेरोजगारी की दर अभी भी देश में अपने चरम पर है। अफगानिस्तान की स्थिति के बारे में बताते हुए एक विश्लेषक, कुतुबुद्दीन याकूबी ने कहा, “अफगानिस्तान को हर साल छह से आठ मिलियन मीट्रिक टन गेहूं की जरूरत होती है। फिलहाल, यहां लगभग पांच मिलियन मीट्रिक टन घरेलू स्रोतों से आपूर्ति की जाती है और शेष विदेशी स्रोतों से आपूर्ति की जाती है।”
आधी से अधिक आबादी के साथ हो रहा भेदभाव
देश की आधी से अधिक आबादी के खिलाफ निरंतर भेदभाव हो रहा है, जिसके कारण अफागनिस्तान एक देश के रूप में विकसित होने में प्रभावित हो रहा है। अगस्त 2021 में, तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया और लोगों, खासकर महिलाओं और लड़कियों के मौलिक अधिकारों को गंभीर रूप से कम करने वाले कानून बनाए। वहां, पर काफी समय तक तालिबानियों के नियमों को न मानने वाली महिलाओं और लड़कियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाती थी। फिलहाल, अफगानिस्तान की स्थिति काफी दयनीय बनी हुई है।