गाजियाबाद में भी खुलेगा अक्षय पात्र किचन, केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने रखी आधारशिला
लखनऊ। अक्षय पात्र फाउंडेशन ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में अपने आगामी सेंट्रलाइज्ड मिड डे मील किचन की आधारशिला रखी। इस किचन से 524 सरकारी और सरकार से सहायता प्राप्त स्कूलों के एक लाख से ज्यादा बच्चों को दोपहर का भोजन मिलेगा। उत्तर प्रदेश में अक्षय पात्र फाउंडेशन का यह पांचवा रसोईघर होगा। इसे पूरी तरह अत्याधुनिक बनाया जाएगा। भारत सरकार के नागरिक उड्डयन एवं सड़क परिवहन राजमार्ग राज्यमंत्री सेवानिवृत्त जनरल डॉक्टर विजय कुमार सिंह मैं इस किचन की आधारशिला रखी।इस आधारशिला समारोह व भूमि पूजन में अक्षय पात्र के भरत दास प्रभु, स्वामी अनंत दास प्रभु, स्वामी रसराज कृष्ण दास प्रभु सहित कई पदाधिकारी मौजूद थे। प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों, विधायको व अधिकारीरियो आदि की मौजूदगी में जनरल वीके सिंह ने कहा कि अक्षय पात्र से निवेदन किया गया था कि यहां पर भी वह एक रसोईघर खोलें ताकि मिड डे मील योजना के तहत बच्चों को स्वादिष्ट गरम खाना मिल सके। कई स्थानों को देखने के बाद मोदीनगर की यह जगह अक्षय पात्र किचन खोलने के लिए चिन्हित की गई। इसके लिए उन्होंने विधायक डॉ मंजू शिवाच का आभार प्रकट किया। जनरल वीके सिंह ने कहा कि आज भूमि पूजन हुआ है, जल्द ही यहां रसोई बनेगी व आने वाले दिनों में अच्छा खाना बच्चों को उपलब्ध होगा।अक्षय पात्र फाउंडेशन भारत की एक अशासकीय संस्था है जो देश के 14 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 19,039 स्कूलों के 1.8 मिलियन से अधिक बच्चों को हर स्कूल दिन में पौष्टिक भोजन परोस रहा है। अक्षय पात्र फाउंडेशन दुनिया का सबसे बड़ा गैर-लाभकारी मिड-डे मील कार्यक्रम वर्ष 2000 से चला रहा है। इसका मुख्यालय बेंगलुरु में है। वर्तमान में आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, उड़ीसा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना व उत्तर प्रदेश आदि राज्यो में अक्षय पात्र किचन स्थापित है। उत्तर प्रदेश में लखनऊ, मथुरा, वाराणसी व गोरखपुर में भी अक्षय पात्र का किचन काम कर रहा है। लखनऊ में जहां 1472 स्कूलों के करीब सवा लाख बच्चों को भोजन दिया जा रहा है वहीं मथुरा में भी दो हजार स्कूलों के करीब सवा लाख बच्चों को दोपहर का पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। वाराणसी व गोरखपुर में भी बच्चों को दोपहर का पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है। अक्षय पात्र अपनी पहुंच को बढ़ाने का भी लगातार प्रयास कर रहा है। अक्षय पात्र का सोचना है कि भूख से कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। अक्षय पात्र फाउंडेशन वर्ष 2000 में मात्र 15 सौ बच्चों से यह सेवा शुरू किया था जो आज 1.8 मिलियन हो गया है।