बदली परिस्थितियों में उत्तराखंड में सगंध से समृद्धि की दिशा में धामी सरकार महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही..
बदली परिस्थितियों में उत्तराखंड में सगंध से समृद्धि की दिशा में धामी सरकार महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। इस कड़ी में सगंध फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से छह एरोमा घाटियां विकसित करने का निर्णय लिया गया है।
चालू वित्तीय वर्ष के बजट में भी इसे लेकर प्रतिबद्धता जाहिर की गई है और अब राज्य सरकार का उपक्रम सगंध पौधा केंद्र (कैप) इसकी कार्ययोजना तैयार करने में जुट गया है।
प्रस्तावित एरोमा घाटियों में 14000 हेक्टेयर क्षेत्र में पांच सगंध फसलों के कृषिकरण को बढ़ावा देकर 37 हजार से ज्यादा किसानों को इससे जोडऩे का लक्ष्य है। घाटियों में सगंध फसलों को तेल में परिवर्तित करने के लिए आसवन सयंत्र स्थापित किए जाएंगे।
राज्य गठन से लेकर अब तक 77 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि बंजर
प्रदेश में खेती-किसानी पर सरकार का विशेष ध्यान है, लेकिन यह भी सही है कि गांवों से पलायन, वन्यजीवों से फसल क्षति, मौसम की मार जैसे कारणों के चलते बड़े पैमाने पर कृषि भूमि बंजर में तब्दील हो रही है।
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि राज्य गठन से लेकर अब तक 77 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि बंजर हुई, जबकि गैर सरकारी आंकड़े इसे एक लाख हेक्टेयर से अधिक बताते हैं। ऐसी भूमि पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक है। बंजर हुए खेतों में हरियाली लौटे और यह किसानों की आय का जरिया भी बने, इसके लिए सगंध खेती पर जोर दिया जा रहा है।
लैमनग्रास, मिंट, तेजपात, डेमस्क गुलाब, तिमूर समेत अन्य सगंध फसलें ऐसी हैं, जिन्हें बंजर भूमि में आसानी से उगाया जा सकता है। इनके लिए न तो अधिक पानी की जरूरत है और न वन्यजीव इसे कोई क्षति ही पहुंचाते हैं।
साथ ही इन्हें तेल में परिवर्तित कर परिवहन में भी आसानी होती है। सगंध तेलों की कास्मेटिक समेत अन्य क्षेत्रों में बड़ी मांग है। किसानों को फसल का उचित दाम मिले, इसके लिए सगंध तेलों का समर्थन मूल्य तय करने के साथ ही सरकार ने बाइ बैक की सुविधा भी दी है।
वर्तमान में 8600 हेक्टेयर में हो रही सगंध खेती से 24 हजार किसान जुड़े हैं। सगंध फसलों के प्रसंस्करण के लिए 194 आसवन सयंत्र स्थापित हैं। सगंध फसलों के कृषिकरण से लगभग 85 करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर अर्जित किया जा रहा है। अब सरकार ने इस मुहिम को गति देने का निश्चय किया है।
इसी के दृष्टिगत अगले तीन वर्षों में आठ जिलों में छह एरोमा घाटियां विकसित करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। इसकी कार्ययोजना तैयार की जा रही है और आने वाले दिनों इन घाटियों में चिह्नित क्षेत्र में सगंध फसलों के कृषिकरण को धरातल पर उतारा जाएगा।
यहां बनेंगी एरोमा घाटियां
जिले, सगंध फसलें, क्षेत्रफल (हेक्टेयर में)
हरिद्वार, लैमनग्रास व मिंट, 2000
नैनीताल व चंपावत, तेजपात, 2500
चमोली व अल्मोड़ा, डेमस्क गुलाब, 1000
ऊधमसिंहनगर, मिंट, 6000
पिथौरागढ़, तिमूर, 2000
पौड़ी, लैमनग्रास, 500
एरोमा घाटियां विकसित करने के लिए क्षेत्रफल का निर्धारण किया जा चुका है। अब किसानों को सगंध पौध की उपलब्धता, आसवन संयंत्र की स्थापना समेत अन्य कदम उठाने को कार्ययोजना को जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा।