अटल बिहारी बाजपेई के भांजा के निधन को 18 साल हो चुके हैं लेकिन अभी तक उनका नाम सूची से नहीं हटाया गया..
स्थानीय निकाय चुनाव भले ही संपन्न हो गया हो लेकिन मतदाता सूची के सत्यापन में हर दर्जे की लापरवाही बरती गई है। मृतक मतदाताओं के नाम सूची से नहीं हटाए गए हैं जबकि जीवित लोग सूची में अपना नाम बढ़वाने के लिए भटकते रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के भांजा अजय दीक्षित के निधन को 18 साल हो चुके हैं लेकिन अभी तक उनका नाम सूची से नहीं हटाया गया है।
मृत व्यक्तियों के दर्ज हैं नाम
पिछले दिनों बूथ लेवल अधिकारी द्वारा अजय कि मतदाता पर्ची घर पहुंचाई गई, इसी तरीके से अटल बिहारी बाजपेई के बहन-बहनोई सहित तीन सदस्यों के नाम आज भी मतदाता सूची में अंकित हैं। साथ ही मतदाता पर्ची घर में पहुंचाई गई है। मतदाता सूची में इस तरीके की बढ़ती जा रही लापरवाही को लेकर भांजा बहू और राज्य महिला आयोग की निवर्तमान सदस्य निर्मला दीक्षित ने कटाक्ष किया है।
उन्होंने कहा कि 18 साल के बाद भी मतदाता सूची से नाम न हटना यह दर्शाता है कि बूथ लेवल अधिकारी द्वारा ठीक तरीके से कार्य नहीं किया जा रहा है। हालांकि इन सभी सदस्यों का नाम विधानसभा के मतदाता सूची से हट चुका है।
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाताओं को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाता है। नियमित अंतराल में मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य भी चलता है। इस साल यह कार्य 10 अप्रैल से लेकर 17 अप्रैल तक चलाया गया। लेबल अधिकारी घर-घर पहुंचे और मतदाताओं के नए फॉर्म भरवाए साथ ही मृतक मतदाताओं से संबंधित जानकारी भी जुटाई गई फिर इनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए।
प्रशासन के आंकड़ों की माने तो पुनरीक्षण अभियान के दौरान 45000 आवेदन प्राप्त हुए, जिसमें जांच के बाद 23000 मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए। जबकि 20000 मतदाताओं के नाम जोड़ दिए गए। वर्तमान में जिले में कुल 16.49 लाख मतदाता हैं। पिछले सप्ताह अभियान चलाकर मतदाताओं के घर में पर्ची पहुंचाई गई।
जिससे गुरुवार को होने वाले मतदान में सभी आसानी से अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें। मतदाता पर्ची घर में पहुंची देखकर जयपुर हाउस निवासी निर्मला दीक्षित चौक गई। मतदाता सूची में अटल बिहारी बाजपेई की बहन कमला दीक्षित, बहनोई नंद गोपाल, भांजे अजय दीक्षित, दूसरे भांजे अनिल दिक्षित, और उनकी पत्नी लक्ष्मी दीक्षित का नाम अंकित था।
निर्मला दीक्षित ने बताया कि उनके पति अजय दीक्षित आगरा विश्वविद्यालय में कर्मचारी थे। 15 साल तक नौकरी की, वर्ष 2005 में उनका निधन हुआ। 18 साल के बाद भी मतदाता सूची से उनका नाम नहीं हटाया गया है।
कमला दीक्षित और नंद गोपाल दीक्षित की मृत्यु वर्ष 2015 में हुई थी। जबकि लक्ष्मी दीक्षित का निधन वर्ष 2008 और अनिल दीक्षित का निधन जनवरी 2021 में हुआ था। निर्मला दीक्षित ने बताया कि मतदाता पुनरीक्षण अभियान में किस तरीके से लापरवाही बरती गई है यह उसका जीता जागता सबूत है। स्थानीय निकाय की मतदाता सूची में आज भी इन सभी का नाम अंकित है।
पुनरीक्षण अभियान में रस्म अदायगी
गुरुवार को हुए स्थानीय निकाय चुनाव के मतदान में आगरा में 40000 से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सके हैं जब यह लोग बूथों में पहुंचे तो उन्हें पता चला कि मतदाता सूची में इनका नाम अंकित नहीं है इसके चलते बड़ी संख्या में मतदाताओं ने विरोध भी दर्ज कराया लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग की गाइड लाइन के अनुसार मतदाता सूची में नाम होने पर ही मताधिकार का प्रयोग किया जा सकता है।