अमेरिकी राजदूत ने मणिपुर की स्थिति पर चिंता जताते हुए मदद की पेशकश की तो ,कांग्रेस ने जताई आपत्ति..
भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि मणिपुर की स्थिति मानवीय चिंता का विषय है और हिंसा में जानमाल के नुकसान की परवाह करने के लिए किसी को भारतीय होना जरूरी नहीं है। गार्सेटी ने आगे कहा कि अगर कहा जाए तो अमेरिका मणिपुर में मदद के लिए तैयार है।
Manipur Violence अमेरिकी राजदूत ने मणिपुर की स्थिति पर चिंता जताते हुए मदद की पेशकश की है। एरिक गार्सेटी ने इसे मानवीय चिंता का विषय बताया। अमेरिकी राजदूत के इस बयान पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि किसी अमेरिकी दूत के लिए भारत के आंतरिक मामलों के बारे में इस तरह का बयान देना बहुत आश्चर्यजनक है।
अमेरिकी राजदूत के इस बयान पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है।
राजदूत ने दिया ये बयान
मणिपुर हिंसा से संबंधित एक सवाल पर भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि अगर संकट को हल करने के लिए कहा गया तो अमेरिका किसी भी तरह से सहायता करने के लिए तैयार है और पूर्वोत्तर शांति के बिना समृद्ध नहीं हो सकता।
यह कहते हुए कि यह भारत का आंतरिक मामला है, एरिक गार्सेटी ने कहा कि अमेरिका को कोई रणनीतिक चिंता नहीं है लेकिन मानवीय चिंताएं हैं।
कांग्रेस ने जताई आपत्ति
अमेरिकी राजदूत की टिप्पणी पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि किसी अमेरिकी दूत के लिए भारत के आंतरिक मामलों के बारे में इस तरह का बयान देना बहुत आश्चर्यजनक है।
मनीष तिवारी ने पंजाब, जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर में पहले की चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिकी राजदूत तब सतर्क थे, लेकिन ऐसा बयान नहीं दिया। हमने दशकों तक पंजाब, जम्मू-कश्मीर, उत्तर पूर्व में चुनौतियों का सामना किया और चतुराई और बुद्धिमत्ता से उन पर विजय प्राप्त की। यहां तक कि जब 1990 के दशक में रॉबिन राफेल जम्मू-कश्मीर पर बड़बोले थे, तब भी भारत में अमेरिकी राजदूत सतर्क थे। मुझे संदेह है कि क्या नए राजदूत को अमेरिका-भारत संबंधों के जटिल और यातनापूर्ण इतिहास और हमारे आंतरिक मामलों में कथित दुर्भावनापूर्ण हस्तक्षेप के बारे में हमारी संवेदनशीलता का ज्ञान है।