‘एटम बम’ देना तो भाई! जौनपुर की एक मिठाई जो मशहूर है एटम बम नाम से
जौनपुर। मिठाई का नाम एटम बम? चौंकिए नहीं यूपी के जौनपुर के सुजानगंज में मिलती है ये मिठाई। जी हां! एटम बम। ये नाम एक मिठाई का है न की युद्ध में इस्तेमाल होने वाले किसी विस्फोटक का। जौनपुर की मिठाई का जिक्र आते ही आमतौर पर लोग इमरती को याद करने लगते हैं लेकिन सुजानगंज में तो ‘एटम बम’ ही मशहूर है। यह खास तरह की मिठाई है, जिसे लोग बेहद चाव से खाते हैं। भाई, जरा एक एटम बम देना और दो किलो पैक भी कर देना…यह सुनकर शायद आप चौंक जाएं। लेकिन यहां किसी परमाणु बम की बात नहीं हो रही है, बल्कि यह एक मिठाई है। यह मिठाई न केवल यूपी के जौनपुर जिले के सुजानगंज की पहचान है बल्कि इसका स्वाद भी लाजवाब है। इसे खाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।सुजानगंज में आकर ‘एटम बम’ से आपका पाला न पड़े तो वहां जाना बेकार है। यहां की इस विशेष किस्म की मिठाई का जिक्र होते ही मुंह में पानी आ जाता है। यहां के लोग इसे चाव से खाते तो हैं ही और रिश्तेदारों को भी भेजते हैं। दुकानदारों के मुताबिक रोजाना 350-400 किलो तक खपत हो जाती है।
60 साल पहले हुआ ईजाद
यहां प्रवीण स्वीट मार्ट के संचालक गणेश प्रसाद जायसवाल बताते हैं कि करीब छह दशक पहले पुरानी बाजार स्थित लाला हरिहरनाथ टंडन ने इसे ईजाद किया था। फिर तो इसे जिसने चखा वह इसका कायल होता गया। उस समय इसकी कीमत 60 पैसे किलो थी। महंगाई बढ़ने के साथ इसकी कीमत बढ़ी तो कद्रदान भी। गंगा जमुना स्वीट मार्ट के रोहित उमरवैश्य बताते हैं कि खाने में यह‘एटम बम’ की तरह ही असर करती है। जो एक ‘एटमबम’ खा लेता है वह काफी देर तक कुछ नहीं खा पाता है। संगम स्वीट के सागर जायसवाल ने बताया कि 250-300 रुपये प्रति किलो की दर से यह मिठाई बाजार की हर दुकान पर उपलब्ध है।
इंदिरा गांधी ने पूछा था- यहां के लोग एटम बम खाते हैं?
करीब 50 वर्ष से दुकान चला रहे पवन स्वीट मार्ट के संचालक सुरेश चंद्र बताते हैं कि ‘एटम बम’ का नाम इसके आकार और लजीज स्वाद के कारण ही रखा गया था। बुजुर्ग बताते थे कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एटम बम की खूब चर्चा होती थी। हिरोशिमा और नागासाकी को तो इसने बरबाद ही कर दिया। जब सुजानगंज में नए तरह की मिठाई बनी तो वह भी रसिकों पर व्यापक असर करने वाली थी। कोई एक मिठाई खा लेता था तो दूसरी खाने की इच्छा नहीं रह जाती थी। इससे लोगों ने इसका नाम ‘एटम बम’ रख दिया। वह एटम बम विनाशकारी था और यहां का मेवों से भरा स्वादिष्ट।राजनीतिक दौरे पर इंदिरा गांधी सुजानगंज आईं तो उन्हें ‘एटमबम’ मिठाई पेश की गई। नाम सुनते ही उन्होंने टिप्पणी की, क्या यहां के लोग ‘एटमबम’ भी खा जाते हैं? पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी इसका स्वाद ले चुके हैं।ऐसे बनती है यह मिठाईमधुर स्वीट मार्ट के संचालक पंकज मोदनवाल बताते हैं कि हम लोग खुद छेना फाड़ते हैं। कच्चे छेने में इलायची, किशमिश, काजू, चिरौंजी आदि का मिश्रण भरकर उसे चाशनी में पाग देते हैं। यह रस से भरा रसगुल्ले जैसा होता है लेकिन स्वाद में यह उससे बहुत अलग है। एक ‘एटमबम’ अब 125-150 ग्राम का होता है। पहले यह 200 ग्राम तक होता था। लागत बढ़ने के कारण आकार छोटा किया गया है।