दिल्ली सर्विस बिल के पास होने का क्या होगा असर?
दिल्ली। लोकसभा के बाद सोमवार को राज्यसभा से भी दिल्ली सर्विस बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के हस्ताक्षर होते ही यह बिल कानून बन जाएगा। इसके बाद दिल्ली के शासन और प्रशासन में बड़ा बदलावा देखने को मिलेंगी। आइये इन पांच प्वाइट्स के जरिये जानते हैं कि दिल्ली के सीएम और मंत्रियों के अधिकारों में क्या-क्या बदलाव आएगा?
1. छिन जाएगा नियुक्ति और तबादले का अधिकार
बिल के कानून बनने के बाद से ही दिल्ली में सरकारी अधिकारियों के तबादलों और नियुक्तियों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। नियम के मुताबिक, अब सीएम अकेले नियुक्ति और तबादला नहीं कर सकेंगे, इसके लिए बिल में एक नया प्राविधान किया गया है। यह कार्य राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) करेगा। इसमें चेयरमैन मुख्यमंत्री होंगे तो दो अन्य सदस्य मुख्यसचिव और गृह सचिव होंगे।
2. मुख्यसचिव और गृह सचिव पर होंगे निर्भर
बिल के कानून बनने के बाद से ही दिल्ली के मुख्यमंत्री की निर्भरता मुख्यसचिव और गृह सचिव पर बढ़ जाएगी। दरअसल, राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के चेयरमैन तो मुख्यमंत्री ही होंगे, लेकिन दो अन्य सदस्य मुख्यसचिव और गृह सचिव के भी इसमें होने से वह अकेले कोई निर्णय नहीं ले सकेंगे। अगर एक विषय पर सदस्य मुख्यसचिव और गृह सचिव एकमत होंगे तो मुख्यमंत्री का निर्णय मान्य नहीं होगा। कुलमिलाकर किसी भी निर्णय के लिए सीएम इन 2 सदस्यों मुख्यसचिव और गृह सचिव पर निर्भर रहेगा।
3. उपराज्यपाल की बढ़ी शक्तियां
दिल्ली विधानसभा द्वारा अधिनियमित कानून के जरिये बनाए बोर्ड अथवा आयोग के लिए नियुक्ति के मामले में एनसीसीएसए नामों के एक पैनल की सिफारिश उपराज्यपाल को करेगा। इसके बाद ही उपराज्यपाल अनुशंसित नामों के पैनल के आधार पर नियुक्तियां करेंगे। यहां पर भी अंतिम निर्णय का अधिकार उपराज्यपाल के पास है।
4. मुख्यसचिव को मिले और अधिकार
दिल्ली सर्विस बिल में मुख्य सचिव के अधिकार काफी अधिक बढ़ा दिए गए हैं। यहां तक कि कैबिनट के निर्णय सही है या फिर गलत? यह भी मुख्य सचिव ही तय करेंगे। अगर कोई खामी या संशोधन की बात आई तो इसे वापस भेजने का भी अधिकार होगा।
5. मंत्री के निर्णय पर भारी मुख्य सचिव
मुख्य सचिव अब मंत्री के निर्णयों पर अंकुश रख सकेंगे या कहें मानने से इन्कार कर सकता है। कुलमिलाकर अगर मुख्य सचिव को लगता है कि मंत्री का आदेश कानूनी तौर पर गलत है ति वह इसे मानने से भी इन्कार कर सकता है। अब अगर मुख्यसचिव को यह लगेगा कि कैबिनेट का निर्णय गैर-कानूनी है तो वो उसे उपराज्यपाल के पास भेजेंगे।इसमें उपराज्यपाल को यह शक्ति दी गई है कि वो कैबिनेट के किसी भी निर्णय को पलट सकते हैं।
6. सतर्कता सचिव की जवाबदेही बढ़ी
दिल्ली में चुनी हुई सरकार के प्रति अब सतर्कता सचिव अधिक जवाबदेह होंगे। हालांकि, वह उपराज्यपाल के प्रति बनाए गए प्राधिकरण के अंतर्गत ही जवाबदेह होंगे।
गौरतलब है कि सोमवार को राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पास हो गया। सोमवार की देर रात सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने इस बिल को राज्यसभा में बहुमत के साथ पास करा लिया था। राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 131 तो विरोध में 102 वोट पड़े। इसके साथ यह बिल राज्यसभा से भी पास हो गया। अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह कानून का रूप ले लेगा।