‘जहं जहं चरण पड़े रघुवर के’, तहं तहं लगेंगे श्रीराम स्तंभ, क्यूआर कोड से जान सकेंगे पूरी गाथा
अयोध्या, 26 सितंबर 2023। श्रीराम वनगमन पथ के 290 स्थानों पर श्रीराम स्तंभ लगाए जाएंगे। इन पर चार भाषाओं में पथ की महत्ता व इतिहास को दर्ज किया जाएगा। श्रीराम स्तंभ पर सूर्य, धनुष व शिखर का चिह्न होगा। ‘जहां-जहां चरण पड़े रघुवर के’ ऐसे स्थानों को अब न सिर्फ नई पहचान मिलेगी बल्कि ये पर्यटन का केंद्र भी बनेंगे।
राम वनगमन मार्ग के 290 स्थानों पर अशोक सिंहल फाउंडेशन की ओर से श्रीराम स्तंभ लगाने की तैयारी है। श्रीराम स्तंभ हाईटेक होगा, इस पर अंकित क्यूआर कोड को स्कैन करते ही राम वनगमन पथ की पूरी गाथा दिख जाएगी। पहला श्रीराम स्तंभ अयोध्या के पौराणिक मणिपर्वत पर लगाया जाएगा, यह स्तंभ 30 सितंबर तक अयोध्या पहुंच रहा है।
अशोक सिंहल मंदिर आंदोलन के अग्रणी किरदारों में शामिल रहे हैं। अब उनकी संस्था श्रीराम वनगमन पथ की ऐतिहासिकता को जन-जन तक पहुंचाने की तैयारी में है। श्री राम वनगमन मार्ग वह है जहां-जहां प्रभु राम के पद चिन्ह पड़े थे। अयोध्या से रामेश्वरम तक इन मार्गों की खोज की गई है। इन स्थानों पर पूर्णत: पत्थर से निर्मित लगभग 15 फीट ऊंचे अद्भुत और अलौकिक शिलाओं को एक सुंदर स्तंभ के रूप में स्थापित किया जाएगा।
अशोक सिंहल फाउंडेशन एवं एमटूके संस्था के न्यासी महेश भागचंदका ने बताया कि प्रत्येक स्तंभ पर चार भाषाओं में वाल्मीकि रामायण से प्रमाणिक डाटा लिया गया है जो उस स्थान की विशेषता बताते हुए इन स्तंभों पर उकेरा जाएगा। हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत व एक स्थानीय भाषा में पूरी जानकारी होगी। जैसे मराठी, तमिल, मलयालम भाषी क्षेत्रों में उनकी भाषा में पूरी जानकारी उपलब्ध होगी ताकि उन्हें समझने में आसानी होगी।
श्रीराम स्तंभ के जरिए रामायण युग की इन धरोहरों को संरक्षित किया जाएगा। इससे इन स्थलों को न सिर्फ नई पहचान मिलेगी बल्कि पर्यटन का भी ये केंद्र बढ़ेंगे, स्थानीय स्तर पर रोजगार भी बढ़ेगा। 35 कारीगर राजस्थान में दे रहे स्तंभ को आकारराजस्थान में श्रीराम स्तंभ को तैयार किया जा रहा है। राजस्थान में मिलने वाले बलुआ पत्थर से स्तंभ बन रहे हैं। इसकी विशेषता यह है कि इस पर कई वर्षों तक काई नहीं जमती और सैकड़ों वर्षों तक इसकी आयु होती है। इन्हीं पत्थरों का इस्तेमाल काशी विश्वनाथ कॉरीडोर बनाने में भी किया गया है।
यह स्तंभ तीन भागों में बनेगा और एक साथ एक जगह पर ले जाया जाएगा और उसी जगह इसे स्थापित किया जाएगा। 30-35 लोगों की कुल टीम काम कर रही है और मुख्यतः पॉलिशिंग का काम महिलाएं करती हैं।
गूगल मैपिंग से चिन्हित किए गए वनगमन स्थल
श्रीराम शोध संस्थान ने 40 वर्षों का शोध कर 290 स्थानों को चिन्हित किया है, जहां श्रीराम रुके, उन सभी स्थानों को एक माला में पिरोकर अशोक सिंहल फाउंडेशन एवं एमटूके फाउंडेशन द्वारा स्तंभ लगाए जाएंगे। राम वनगमन स्थल को पहले गूगल मैपिंग के जरिए खोजा गया है। फिर इन स्थलों का वाल्मीकि रामायण से मिलान कर इन्हें चिह्नित किया गया है।
स्तंभ की खासियत
ऊंचाई 15 फीट
चौड़ाई 2.5 फीट
वजन 12 टन
सूर्य, धनुष व शिखर का चिन्ह
सैकड़ों साल तक नहीं जमेगी काई
वनगमन पथ पर शामिल हैं ये प्रमुख स्थल
श्रीरामवनगमन पथ पर बस्ती का मखौड़ा धाम, बिहार का विश्वामित्र आश्रम व अहिल्या घाट, अगस्त्य आश्रम नासिक, जनकपुर नेपाल का जानकी मंदिर, रंगभूमि, सुल्तानपुर का सीताकुंड, इलाहाबाद का श्रृंगवेरपुर, त्रिवेणी संगम, भारद्वाज आश्रम, चित्रकूट का वाल्मीकि आश्रम, कामद गिरि, कोटितीर्थ, सतना की गुप्त गोदावरी, मार्कंडेय, अश्वमुनि व सुतीक्ष्ण आश्रम, नासिक का रामसरोवर, रामलक्ष्मण मंदिर, मध्य प्रदेश का मार्कंडेय आश्रम, सीतामढ़ी, छत्तीसगढ़ का राम जानकी मंदिर, रामरेखा धाम, लोमश आश्रम रायपुर, मल्लिकेश्वर मंदिर उड़ीसा, पर्णशाला तेलंगाना, शबरी आश्रम कर्नाटक, पंपासर कर्नाटक, ऋष्यमूक पर्वत कर्नाटक, कोदंड राममंदिर कर्नाटक, सेतु अवशेष तमिलनाडु आदि शामिल हैं।