शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक पद पर बहाल किया जाए – आशुतोष सिन्हा, एमएलसी
वाराणसी, 1 दिसंबर 2023। विधान परिषद के चल रहे शीतकालीन सत्र में विपक्ष द्वारा जनहित के विभिन्न मुद्दों पर सरकार को लगातार घेरा जा रहा है। इसी क्रम में सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने सदन में शिक्षामित्रों के नियमितीकरण का मुद्दा उठाया है। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि सन् 2000 तक उत्तर प्रदेश के गांव के प्राथमिक विद्यालयो में ताले लटकने लगे थे।
सन् 2001 में सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत गरीब, मजदूर व किसान के बच्चों को पढ़ाने के लिए प्राथमिक विद्यालयों पर लटके तालों को अगर किसी ने खोलने का काम किया तो वह शिक्षामित्र थे। जिन्होंने ₹2250 रुपये से अपने वेतन की शुरुआत की और आज भी केवल 11 महीने के कार्यकाल के लिए मात्र ₹10000 रुपये में कार्य कर रहे हैं।
शिक्षामित्र शिक्षण कार्य के अलावा बाल गणना, जनगणना, नामांकन व मध्यान भोजन तक के कार्यों में लगाए जाते हैं फिर भी उन्हें समान कार्य का समान वेतन नहीं मिल रहा है, जो कि उनके संविधान द्वारा प्रदत्त समानता के अधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि सन् 2017 में विधानसभा के चुनावों में जनपद वाराणसी में देश के प्रधानमंत्री जी ने शिक्षामित्रों का आवाहन किया और कहा कि अगर उन्हें उच्चतम न्यायालय से भी राहत नहीं मिलेगी फिर भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार उनके साथ खड़ी रहेगी और उनका सहयोग करेगी।
उनके कहने का मतलब यह था कि एक अध्यादेश लाकर उन्हें नियमित किया जाएगा। इसके पश्चात पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री दिनेश शर्मा जी के नेतृत्व में शिक्षामित्रों के मामले को लेकर एक कमेटी भी बनाई गई, जिसका भी आज तक कोई पता नहीं चला। आज शिक्षामित्र आर्थिक बदहाली के सबसे बुरे दौर से गुज़र रहे हैं और कई शिक्षामित्रों ने तो आर्थिक तंगी से जूझते हुए आत्महत्या तक कर लिया।
इसलिए शिक्षामित्रों की दुर्दशा को देखते हुए उनका नियमितीकरण अति आवश्यक है। इसपर बेसिक शिक्षामंत्री ने अपने उत्तर में कहा कि शिक्षामित्रों को दैनिक मानदेय पर रखा गया है, जिसपर मंहगाई भत्ता लागू नही होती परन्तु उनके मानदेय को बढ़ाने पर सरकार विचार करेगी।
श्री आशुतोष सिन्हा ने बताया कि शिक्षामित्रों के मानदेय को बढ़ाने के लिए सभापति जी के द्वारा भी बेसिक शिक्षा मंत्री जी को विचार करने के लिए कहा गया, जिसपर सरकार की तरफ से आश्वासन मिला है कि शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाया जाएगा। फिर भी अगर उनके हित में कोई ठोस कदम सरकार नही उठाती तो सड़क से लेकर सदन तक हम लोगों का संघर्ष जारी रहेगा।