इंडोनेशिया के ज्वालामुखी में छिपी गणेश जी की हजारों साल पुरानी मूर्ति

भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में गणेश जी की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म से जुड़े कई सांस्कृतिक और धार्मिक स्थल दक्षिण–पूर्व एशिया के देशों में देखने को मिलते हैं। इनमें से एक इंडोनेशिया है। इस इस्लामिक देश की करेंसी पर भी भगवान गणेश की तस्वीर देखने को मिलती है। वहीं यहां कई गणेश मंदिर और प्राचीन गणपति प्रतिमाएं भी हैं। इंडोनेशिया के माउंट बेसेकीह और माउंट बाटूर क्षेत्र में ज्वालामुखी की गुफाओं और मंदिरों में गणेश जी की प्राचीनतम और भव्य मूर्तियां स्थापित हैं।

इंडोनेशिया दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल देशों में से एक है, लेकिन यह कभी हिंदू-बौद्ध संस्कृति का केंद्र भी रह चुका है। 8वीं से 13वीं शताब्दी तक यहां हिंदू साम्राज्यों का प्रभाव रहा। इसी दौर में गणेश जी की पूजा इंडोनेशिया के द्वीपों तक पहुंची। माउंट बाटुर वोल्केनो में बनी गणेश जी की मूर्ति 10वीं से 11वीं शताब्दी की मानी जाती है। इसे पत्थरों को तराशकर बनाया गया है। यह मूर्ति गणेश जी को ज्ञान और विघ्नहर्ता के रूप में दर्शाती है। यह मूर्ति हिंदू और जावानीज़ कला के अद्भुत संगम का प्रमाण है।

गणेश पूजा की शुरुआत कैसे हुई?

जब इंडोनेशिया में हिंदू राजवंश शासन कर रहे थे, तब बाली और जावा द्वीप पर हजारों मंदिर बनाए गए। बाली के लोगों ने गणेश जी को शिक्षा और समृद्धि का देवता मानकर पूजा शुरू की। माना जाता है कि ज्वालामुखी पर्वतों पर गणेश जी की मूर्ति रखने से प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा होती है। यही विश्वास आज भी बाली और जावा की संस्कृति में जीवित है।

कैसे कर सकते हैं इंडोनेशियाई गणेश जी के दर्शन?

अगर आप भी इंडोनेशिया में बसे गणेश भगवान के दर्शन करना चाहते हैं तो बाली द्वीप के माउंट बाटुर वोल्केनो क्षेत्र की यात्रा करें। यह मूर्ति मंदिर परिसर और गुफाओं में स्थित है, जहां स्थानीय गाइड के साथ जाया जा सकता है। सुबह के समय यहां दर्शन का विशेष महत्व है क्योंकि सूर्योदय के साथ ज्वालामुखी का दृश्य अद्भुत होता है। स्थानीय पुजारी अब भी विशेष दिनों पर गणेश पूजा और बलि संस्कृति के अनुसार अनुष्ठान करते हैं।

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