देश के करोड़ों लोगों को कल यानी 5 दिसंबर को आने वाली आरबीआई पॉलिसी (RBI Policy) का इंतजार है, जिसमें गवर्नर संजय मल्होत्रा ब्याज दरों को लेकर ऐलान करेंगे और इसका सीधा असर बैंक लोन के इंटरेस्ट व ईएमआई पर होगा। कुछ दिनों पहले यह संभावना जताई जा रही थी महंगाई की दर काफी कम हो गई है इसलिए आरबीआई रेपो रेट में कटौती कर सकता है, लेकिन जीडीपी का बेहतर डाटा आने के बाद इस बात की संभावना को झटका लगा। अब कुछ एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि शायद आरबीआई रेपो रेट में कटौती ना करे।
आरबीआई पॉलिसी को लेकर घरेलू ब्रोकरेज फर्म जे एम फाइनेंशियल ने रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि केंद्रीय बैंक के लिए ग्रोथ को सपोर्ट करते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखने के अपने दोहरे दायित्व पर फोकस करना एक कठिन कार्य है। दिसंबर में आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी को लेकर बाजार और एक्सपर्ट दो धड़ों में विभाजित हैं।
JM Financial ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा
आरबीआई की एमपीसी मीटिंग 3 से शुरू हो गई है और 5 दिसंबर गवर्नर संजय मल्होत्रा, सुबह 10 बजे रेपो रेट को लेकर ऐलान करेंगे। घरेलू ब्रोकरेज फर्म ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हमारा अनुमान है कि आरबीआई वित्त वर्ष 26 में अपने ग्रोथ फॉरकास्ट को कम से कम 20 बेसिस प्वाइंट से बढ़ाकर 7% कर देगा और महंगाई के अनुमान को 40 बेसिस प्वाइंट से घटाकर 2.2% कर देगा।
इस समय ब्याज दरों में कटौती से वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही में अपेक्षित नरम वृद्धि दर को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन इससे रुपये में और गिरावट का जोखिम भी रहेगा। अगर ब्याज दरों में कटौती के साथ नरम रुख नहीं अपनाया जाता है, तो बॉन्ड यील्ड में और गिरावट आएगी। ऐसे में आरबीआई यथास्थिति बनाए रखते हुए बीच का रास्ता अपना सकता है और आने वाले महीनों में पॉलिसी सपोर्ट के लिए गाइडेंस दे सकता है।


