धनु संक्रांति हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। यह वह समय है जब ग्रहों के राजा सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं। इसी दिन से खरमास शुरू हो जाता है, जिस कारण अगले एक महीने तक सभी मांगलिक काम वर्जित हो जाते हैं। आइए यहां धनु संक्रांति की डेट से लेकर सभी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं –
संक्रांति तिथि और शुभ मूहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, सूर्य देव 16 दिसंबर 2025, मंगलवार के दिन सुबह 04 बजकर 26 मिनट पर वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में गोचर करेंगे। इस दिन धनु संक्रांति मनाई जाएगी। साथ ही खरमास की शुरुआत होगी। धनु संक्रांति पर पुण्य काल सुबह 07 बजकर 09 मिनट से दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 07 बजकर 09 मिनट से सुबह 08 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही इस दिन पुण्य क्षण 04 बजकर 27 मिनट पर रहेगा।
खरमास का आरंभ
धनु संक्रांति के साथ ही खरमास का आरंभ हो जाता है, जो अगले साल 14 जनवरी 2026 तक रहेगा। इस दौरान सूर्य का प्रभाव गुरु की राशि धनु में कमजोर हो जाता है, इसलिए इस दौरान विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश और नए व्यवसाय की शुरुआत जैसे शुभ काम वर्जित होते हैं।
धनु संक्रांति की पूजा विधि
संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी में स्नान करें।
अगर न हो पाए, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
इसके बाद, हाथ में जल और तिल लेकर दान तथा पूजा का संकल्प लें।
सूर्य देव को तांबे के पात्र में जल लाल चंदन, लाल फूल और अक्षत मिलाकर अर्घ्य दें।
अर्घ्य देते समय ‘ॐ आदित्याय नमः’ या गायत्री मंत्र का जाप करें।
इस दिन सूर्य देव को गेहूं और गुड़ का भोग लगाना शुभ होता है।
धनु संक्रांति पर किया गया दान अक्षय फलदायी होता है।
करें ये दान
इस दिन गुड़, तिल, कंबल, गर्म वस्त्र, और अनाज (जैसे – चावल और गेहूं) का दान गरीबों और जरूरतमंदों को करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन की दरिद्रता होती है।


