अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस 11 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन पर्वतों और पहाड़ों के महत्व को समझने और उनके संरक्षण के लिए वैश्विक समुदाय को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। पर्वतों का महत्व न केवल प्राकृतिक सौंदर्य में है, बल्कि ये पृथ्वी के जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। इनका प्रभाव नदियों, जलवायु, वनस्पति, और जीव-जंतुओं पर पड़ता है। पर्वतों में रहने वाले समुदायों की जीवनशैली, उनकी संस्कृति और रोज़मर्रा की जरूरतों के बारे में भी जागरूकता फैलाने के लिए यह दिन मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस का उद्देश्य पर्वतों के संरक्षण और उनके महत्व के बारे में वैश्विक जागरूकता फैलाना है। यह दिन न केवल प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए आवश्यक है, बल्कि पर्वतों में रहने वाले समुदायों के जीवन की रक्षा के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। 2025 की थीम और इसके महत्व को ध्यान में रखते हुए, हम सभी को पर्वतों के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और उनके संरक्षण में अपना योगदान देना होगा।
पर्वत दिवस का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस की शुरुआत 2002 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य पर्वतों के संरक्षण और उनके स्थिर विकास को बढ़ावा देना था। इस दिन का ऐतिहासिक महत्व इस बात से भी जुड़ा है कि पर्वतों में रहने वाले लोगों के जीवन और उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर ध्यान आकर्षित किया जा सके।
पर्वत दिवस का महत्व
विपरीत जलवायु परिवर्तन
पर्वतों में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव विशेष रूप से अधिक देखा जा रहा है। ग्लेशियरों का पिघलना, बर्फबारी की कमी और मौसम के पैटर्न का परिवर्तन पर्वत समुदायों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं।
पर्वतों का पर्यावरणीय महत्व
पर्वत जलवायु नियंत्रण, जल स्रोतों के संरक्षण, और जैव विविधता के लिए जरूरी हैं।
संस्कृति और पर्यटन
पर्वत क्षेत्र सांस्कृतिक धरोहरों और पर्यटन के प्रमुख स्थल होते हैं।
आर्थिक महत्व
पर्वतों से जुड़ी विभिन्न गतिविधियाँ जैसे पर्यटन, खनिज खनन, कृषि और जल-विद्युत उत्पादन से आर्थिक विकास होता है।
पर्वत दिवस 2025 की थीम
हर वर्ष पर्वत दिवस की एक विशेष थीम होती है। 11 दिसंबर को आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस 2025 की थीम है “ग्लेशियर पहाड़ों और उसके बाहर पानी, भोजन और आजीविका के लिए महत्वपूर्ण हैं।” यह विषय संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2025 को अंतर्राष्ट्रीय ग्लेशियर संरक्षण वर्ष के रूप में घोषित किए जाने के साथ मेल खाता है, जिसका उद्देश्य पिघलते ग्लेशियरों की रक्षा करने की तत्काल आवश्यकता और अरबों लोगों के जीवन, कृषि और जल सुरक्षा को बनाए रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देना है।

