जानिए, क्यों बीजेपी के खिलाफ 21 विपक्षी दलों की बैठक में शामिल नहीं हुई सपा-बसपा

राजस्थान और मध्यप्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से एक दिन पहले तेदेपा अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू द्वारा आहूत कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों की बैठक में सपा और बसपा ने दूरी बना कर रखी। विपक्ष की एकजुटता के लिये चिंता और चर्चा का विषय बनी सपा बसपा की गैरमौजूदगी पर दोनों दलों की ओर से आधिकारिक रूप से कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गयी।

इस बीच बैठक में शामिल कुछ विपक्षी दलों के नेताओं ने यह जरूर कहा कि उत्तर प्रदेश में दोनों दलों के संभावित गठबंधन को बैठक की वजह से किसी तरह की विघ्न बाधा उत्पन्न हो, इसके लिये फिलहाल सपा बसपा ने इस बैठक में शिरकत नहीं की।

हालांकि सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सचिव राजेंद्र चौधरी ने बैठक में शामिल ना होने के कारण के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इस बारे में तो राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ही बता सकते हैं, मगर पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक बसपा से व्यापक सलाह-मशवरा ना हो पाने की वजह से सपा ने बैठक में मौजूदगी दर्ज नहीं करायी।

बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा ”सभी दलों को एकजुट करने की प्रक्रिया जारी है। इसका मकसद सभी को एकजुट करना है और यह प्रक्रिया खुले तौर पर मैत्रीपूर्ण एवं सम्मानजनक तरीके से जारी है।

गांधी ने कहा ”हम सभी दलों की भावनाओं का सम्मान करते हैं, इसमें किसी दल के छोटे या बड़े होने का सवाल नहीं है। सभी का सम्मान करते हुये हम सभी का एक समान लक्ष्य संविधान की रक्षा करते हुये भाजपा को हराना है।

इस बारे में नायडू ने सपा बसपा का नाम लिये बिना कहा ”विपक्ष के दो-तीन दल बैठक से बाहर थे, हम उनके साथ संपर्क में हैं। हम उन्हें बता रहे हैं कि देश हित में इस सरकार को जाना ही चाहिये। अन्यथा इस महान देश को बहुत बड़ा नुकसान होगा

सूत्रों के मुताबिक सपा का मूल मकसद उत्तर प्रदेश में अगले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बसपा के साथ मजबूत गठबंधन बनाना है। लिहाजा साझा हितों को लेकर पार्टी बसपा के साथ बातचीत करके ही कोई कदम उठाना चाहती है। सूत्रों ने यह भी बताया अखिलेश का आज ट्विटर तथा एक समाचार चैनल से इंटरव्यू का कार्यक्रम पहले से ही तय था।

भाजपा के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने के प्रयास के तहत विपक्षी दलों ने आज संसद भवन सौंध में एक बैठक बुलाई थी। बैठक में 17 विपक्षी दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया मगर सपा और बसपा का कोई नुमाइंदा इसमें शामिल नहीं हुआ।

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