फेक न्यूज पहचानना होगा आसान, गूगल व विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी परिषद उप्र सिखाएगा
प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ आजकल सोशल मीडिया खबरों के आदान-प्रदान का सशक्त माध्यम बन गया है। खासकर नई पीढ़ी देश-विदेश से जुड़ी खबरों के लिए सोशल मीडिया को ज्यादा पसंद करते हैं, लेकिन फेक न्यूज के चलन ने लोगों को भ्रमित करने का काम भी किया है। जरूरी यह है कि सोशल मीडिया पर खबरों को सत्यता की कसौटी पर परखा जाए। इन खबरों की सत्यता को परखना बहुत आसान है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद विज्ञान प्रसार एवं गूगल न्यूज के सहयोग से एक कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। कार्यशाला निश्शुल्क है जिसमें कोई भी भाग ले सकता है। मकसद यह है कि झूठी तथा निराधार, तथ्यहीन, खबरों व फोटोग्राफ, वीडियोज इत्यादि को वायरल होने से रोका जा सके। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की संयुक्त सचिव पूजा यादव ने बताया कि वर्कशाप में गूगल इंडिया द्वारा कई प्रकार के साफ्टवेयर टूल्स भी प्रतिभागियों को उपलब्ध कराये जायेंगे। कार्यशाला में पत्रकार, विज्ञान के विद्यार्थी, पत्रकारिता एवं जनसंचार के विद्यार्थी, प्रवक्ता भाग ले सकते हैं। कार्यशाला में भाग लेने के लिए पंजीकरण निश्शुल्क है।
प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र गूगल इंडिया तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश तथा विज्ञान प्रसार की ओर से दिये जाएंगे। प्रतिभागियों को स्वयं लैपटाप तथा एंड्रायड मोबाइल लाना आवश्यक होगा। ऑनलाइन फैक्टस चेकिंग एंड वेरीफिकेशन कार्यशाला के प्रमुख वक्ता विज्ञान प्रसार के निमिष कपूर होंगे। कपूर गूगल के प्रमाणिक ट्रेनर हैं। विभिन्न स्थानों पर पांच कायशालाएं आयोजित की जाएंगी। कार्यशाला में भाग लेने के लिए प्रतिभागी इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला से पंजीकरण फार्म प्राप्त कर सकेंगे। अधिक जानकारी के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिक परिषद की संयुक्त निदेशक (आइटी) से संपर्क किया जा सकता है। पंजीकरण फार्म को प्राप्त करने के लिए sumit.astro.physics@gmail.com पर ई-मेल कर सकते हैं। कार्यशाला में अधिकतम 25 प्रतिभागी प्रतिभाग कर सकते हैं। कार्यशाला 22,23, 28 व 29 दिसंबर को आयोजित की जाएंगी।