जानिए कहां से आया है सांता क्लॉज, क्या है इसकी असली कहानी ?

क्रिसमस साल का अंतिम और सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है. यही कारण है कि दुनिया के हर हिस्से में यह त्यौहार बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. कहते हैं 25 दिसंबर को प्रभु ईसा-मसीह का जन्म हुआ था और तभी से उनके जन्म दिवस के रूप में यह दिन सेलिब्रेट किया जाता है. प्रभु ईसा-मसीह का जन्मदिन मनाने के लिए लोग अपने घर को सजाते हैं और केक काटकर एक-दूसरे को बधाई देते हैं. ऐसे में हमेशा हमारे मन में एक सवाल आता है कि क्रिसमस पर सांता क्लॉज का चलन कहां से आया, या फिर कहें कि सांता हमारी दुनिया में कहां से आया.

क्रिसमस पर सांता क्लॉज का अपना ही महत्व है. जो क्रिसमस पर आता है और बच्चों को गिफ्ट और चॉकलेट्स देता है. सांता क्लॉज को लेकर कुछ लोगों का मानना है कि सांता और कोई नहीं बल्कि प्रभु यीशु के पिता ही हैं और इसीलिए वह अपने बच्चे के जन्मदिवस पर खुश होकर बच्चों को अन्य लोगों को चॉकलेट्स और गिफ्ट बांटते हैं. तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि सांता क्लॉज प्रभु यीशु का भेजा दूत है, जो क्रिसमस पर लोगों को खुशियां बांटने के लिए आता है.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ये सांता क्लॉज कौन है और इसका क्रिसमस से क्या कनेक्शन है? दरअसल, क्रिसमस फादर कहे जाने वाले सांता क्लॉज के बारे में जो प्रमाण मिलते हैं उनसे पता चलता है कि सांता क्लॉज का क्रिसमस और प्रभु यीशु से कोई संबंध नहीं है. प्रमाणों से पता चलता है कि प्रभु यीशु के जन्म के 280 साल बाद तुर्किस्तान के मायरा नामक शहर में जन्मे संत निकोलस ही सांता क्लॉज हैं. दरअसल, संत निकोलस को बच्चों से बहुत प्यार था और गरीब बच्चों की मदद करने के लिए वह अक्सर उन्हें गिफ्ट्स और चॉकलेट दिया करते थे.
Christmas 2018: Interesting facts about Santa Claus and Christmas

“सांता क्लॉज” का आज जो प्रचलित नाम है वह “संत निकोलस” के डच नाम “सिंटर क्लॉज” से आया जो बाद में सांता क्लॉज (Santa Claus) बन गया. सांता का आधुनिक रूप 19वीं सदी में आया. संत निकोलस ने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया था. बचपन से ही प्रभु यीशु में इनकी बहुत आस्था थी. संत निकोलस बड़े होकर ईसाई धर्म के पादरी बनें और बाद में बिशप बने. बच्चों से इनका खास लगाव था. इन्हें बच्चों को उपहार देना बहुत पसन्द था.

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