मेघालय में ज़िन्दगी-मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं कोयला खदान में फंसे 13 मजदूर
मेघालय के Jaintia Hills ज़िले में आज से ठीक 13 दिन पहले एक दुखद हादसा हुआ था. 13 दिसंबर 2018 को अवैध कोयला खदान में काम करने वाले 13 मजदूर, अचानक पानी बढ़ जाने की वजह से सैकड़ों फीट गहरी खदान में फंस गए थे. और वो अब भी ज़िन्दगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं. स्थिति इतनी गंभीर है, कि वो ना खुद बाहर आ सकते हैं और ना ही बचावकर्मी उन तक पहुंच सकते हैं. खदान में 70 फीट तक पानी भरा हुआ है. लेकिन पानी के अलावा सबसे बड़ी मुसीबत कोयले और मिट्टी का मिश्रण है. जिसने पानी को बिलकुल काला कर दिया है. और खदान के भीतर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा.
यानी भारत के इन 13 मजदूरों की स्थिति बिल्कुल वैसी ही है, जैसी थाईलैंड की गुफा में 17 दिनों तक फंसे 12 बच्चों और उनके कोच की थी. फर्क सिर्फ इतना है, कि थाईलैंड का Rescue Operation पूरी दुनिया की Headline बन गया. पूरी दुनिया के पत्रकार थाईलैंड पहुंच गए. उस वक्त 12 बच्चों की जान बचाने के लिए ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान…सहित कई देश एक साथ आ गए थे. लेकिन मेघालय के 13 मजदूरों की बात कोई नहीं कर रहा.
भारत में जो सबसे सस्ती चीज़ है वो है इंसान की जान. इन 13 ज़िन्दगियों को बचाने के लिए अब हमें युद्धस्तर पर बचाव अभियान की शुरुआत करनी होगी. और ये हमारे सिस्टम की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. क्योंकि, मज़दूरों को मौत की खदान में दफ़्न करने वाला भी यही भ्रष्ट सिस्टम है. National Green Tribunal ने 4 साल पहले ही मेघालय में असुरक्षित तरीके से हो रहे कोयला खनन पर अंतरिम रोक लगा दी थी. इसके बावजूद गैर कानूनी तरीके से ये धंधा चलता रहा. और ये आज भी जारी है. खदान से इस तरह कोयला निकालने की प्रक्रिया को Rat Hole Mining कहा जाता है.
खुदाई के लिए सबसे पहले 5 से 100 Square Meter के क्षेत्र को चुना जाता है. इसके बाद Rat Holes की खुदाई की जाती है. ऐसे Holes की गहराई 30 मीटर से 120 मीटर तक हो सकती है. Rat Hole Mining में संकरी सुरंग खोदी जाती है. जो मुश्किल से 3 से 4 फीट ऊंची होती हैं. और इसमें एक बार में सिर्फ एक व्यक्ति ही प्रवेश कर सकता है. एक बार खुदाई हो जाने के बाद इन्हीं Holes से गुज़रते हुए मजदूर भीतर प्रवेश करते हैं. और कोयला निकालते हैं.
ये 13 मजदूर जिस खदान में फंसे हैं, वो क़रीब ढाई सौ फुट गहरी है. लेकिन सबसे बड़ी समस्या खदान के बगल से बहने वाली नदी की वजह से उत्पन्न हो रही है. क्योंकि, नदी का पानी लगातार खदान में भरता जा रहा है. इन इलाकों में करीब 90 खादान हैं. जानकारों का ये भी कहना है, कि ये सारी खादानें आपस में जुड़ी हुई हैं. वहां Pump की मदद से पानी निकालने की कोशिश भी की गई. लेकिन, इससे कोई फायदा नहीं हुआ . क्योंकि, ज़्यादातर Pumps, की क्षमता कम थी. ये खदान अलग-अलग Chambers में बंटी हुई हैं. इसका कोई नक्शा मौजूद नहीं है. फिलहाल घटना स्थल पर NDRF की टीम तो मौजूद है. लेकिन उनके पास उपकरण नहीं हैं. इसके अलावा बारिश की वजह से भी खदान में पानी का स्तर बढ़ता जा रहा है.