भारत ने UN में लगातार उठाया आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन का मुद्दा
दुनियाभर में इस साल ध्रुवीकरण और लोकवाद के गति पकड़ने के साथ भारत ने संयुक्त राष्ट्र में बहुपक्षवाद का नारा बुलंद करते हुए इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों से अलग-अलग तरीकों से नहीं निपटा जा सकता. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने सितंबर में आगाह किया था कि दुनिया ”विश्वास की कमी के विकार” की सबसे खराब स्थिति से गुजर रही है जहां ध्रुवीकरण बढ़ रहा है तथा राष्ट्रों के बीच सहयोग और मुश्किल हो गया है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र में विश्व नेताओं को दिए अपने संबोधन में अमेरिका की संप्रभुत्ता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि अमेरिका ”वैश्विकता” की विचारधारा को खारिज करता है और ”देश प्रेम” को बढ़ावा देता है तथा वह वैश्विक शासन के मुकाबले ”आजादी” को चुनेगा. दूसरी ओर, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए संबोधन में कहा था, ”भारत का मानना है कि विश्व एक परिवार है और समाधान का सबसे अच्छा तरीका साझा संवाद है. परिवार प्यार से बनता है ना कि लेन-देन से, वह विचार से फलता-फूलता है ना कि लालच से, सौहार्द्र में विश्वास रखता है ना कि ईर्ष्या में.”
उन्होंने कहा था, ”लालसा से संघर्ष पैदा होता है, विचार से समाधान निकलता है. इसलिए संयुक्त राष्ट्र को परिवार के सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र को ‘मैं’ से नहीं चलाया जा सकता यह केवल ‘हम’ से काम करता है.” अपने कड़े भाषण में उन्होंने कहा, ”एक ओर तो हम आतंकवाद से लड़ाई करना चाहते हैं तथा दूसरी ओर हम इसे परिभाषित नहीं कर सकते. इसलिए जिन आतंकवादियों पर इनाम घोषित हैं वे उन देशों द्वारा सुरक्षित, वित्त पोषित और सशस्त्र है जो अब भी संयुक्त राष्ट्र के सदस्य हैं.” इस मौके पर उन्होंने 9/11 तथा 26/11 हमले का भी जिक्र किया.
दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत उस समय नेता बनकर सामने आया जब अमेरिका 2015 के पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते से अलग हो गया. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, ”यह स्पष्ट है कि लोग भारत को कार्य तथा सैद्धांतिक दोनों आधार पर बढ़ते देखना चाहते हैं. पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर हम नेताओं में से एक हैं.” भारत ने इस साल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ाने पर जोर दिया. उसने कहा कि इस मुद्दे पर विश्वसनीय प्रगति करने के लिए बातचीत के साथ काम करने की भी जरुरत है.