पीपीएफ अकाउंट खुलने के 5 साल बाद जमा हुई रकम का 50 फीसद निकाला जा सकता है। प्रत्येक वित्त वर्ष में एक बार आंशिक निकासी की अनुमति है

 पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) में निवेश से ना सिर्फ टैक्स बेनेफिट्स मिलते हैं बल्कि यह एक सुरक्षित भविष्य की नींव भी रखता है। पीपीएफ में निवेश, ब्याज दर और मैच्योरिटी पर मिली रकम टैक्स फ्री होती है। पीपीएफ में 15 साल की लॉक-इन अवधि होती है। जब ये अवधि खत्म हो जाती है तो अकाउंट में जमा हुई रकम को निकाला जा सकता है। हालांकि, कुछ खास परिस्थितियों में आंशिक निकासी की जा सकती है।

निकासी के क्या हैं नियम?

पीपीएफ अकाउंट खुलने के 5 साल बाद जमा हुई रकम का 50 फीसद निकाला जा सकता है। प्रत्येक वित्त वर्ष में एक बार आंशिक निकासी की अनुमति है, इसे ऐसे समझिए…

फर्ज कीजिए आप ने 20 जनवरी 2013 में पीपीएफ अकाउंट खुलवाया। ऐसे में आंशिक निकासी की अनुमति केवल वित्त वर्ष 2018-19 में है। इसके लिए आपको फॉर्म सी भरना होगा। यह फार्म आपको डाकघर या बैंक में मिल जाएगा। फॉर्म मिलने के बाद आपको उसमें अकाउंट नंबर की डिटेल देना होगा। साथ ही आप ये भी बताएंगे कि आपको कितनी रकम निकालना है। मिले हुए फार्म में अकाउंट होल्डर के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं। साथ ही फार्म पर रेवेन्यू स्टैंप चिपकाना होता है।

ये डाक्यूमेंट्स आएंगे काम: निकासी के आवेदन के साथ आपको पीपीएफ पासबुक जमा करना होगा

प्रोसेस समझिए: आपका अकाउंट कब खुला है यह बैंक या डाकघर से वेरिफाई होता है। इसी के आधार पर निकासी की पात्रता तय होती है। पात्रता चेक करने के बाद जितनी रकम निकालनी है, उसे जोड़ा जाता है। फिर रकम उपभोक्ता के बैंक खाते में डाल दी जाती है। इसके अलावा डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) भी जारी किया जा सकता है। साल 2018 में पीपीएफ पर 7.6 फीसद की दर से ब्याज दिया जा रहा है जो कि बाजार में उपलब्ध अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में काफी ज्यादा है।

Related Articles

Back to top button