USA में सिनेटर बनीं बिहार की मोना, हौसले के बल पर बनाया राजनीति में मुकाम

बिहार के मुंगेर की मूल निवासी मोना दास अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी से सिनेट की सदस्य निर्वाचित हुईं हैं। उन्हेंं यह सफलता पहली बार में ही मिली है। राजनीति में यह मुकाम उन्‍होंने जनसेवा व हौसले के बल पर पाया है। मोना अब अमेरिकी नागरिक हैं, हालांकि मुंगेर जिले के नक्सल प्रभावित हवेली खडग़पुर अनुमंडल के दरियापुर गांव को अपनी इस बेटी पर गर्व है। अमेरिका में रहने वाले उनके इंजीनियर पिता सुबोध दास का गांव से जुड़ाव अब भी कायम है।

मोना के सिनेटर बनने से पैतृक गांव में खुशी

मुंगेर जिले के दरियापुर गांव की बेटी मोना दास अमेरिका के वाशिंगटन राज्य में सिनेट सदस्य निर्वाचित हुईं हैं। वे मुंगेर के पूर्व सिविल सर्जन डॉ. गिरिश्वर नारायण दास की पौत्री और अमेरिका के कैलिफोर्निया में इंजीनियर सुबोध दास की बेटी हैं। उनके सिनेटर बनने से इलाके में खुशी की लहर है।

परिवार में गर्व व खुशी की लहर

गांव के संजय यादव सहित कई अन्‍य कहते हैं कि मोना ने पूरी दुनिया में अपने जन्मस्थान दरियापुर गांव का नाम रोशन कर दिया है। गांव में मोना दास के चचेरे दादा अशोक मोदी, अरुण कुमार मोदी, चचेरी दादी चमेली देवी, चाचा पप्पू चौरसिया, गोपाल चौरसिया, कन्हैया चौरसिया व मुकेश चौरसिया आदि भी मोना की उपलब्धि से गदगद् हैं। पंचायत की  मुखिया रेनू देवी, मुखिया प्रतिनिधि रामविलास यादव आदि ने कहा कि अब बिटिया एक बार गांव आए जाए, यही तमन्ना है।

दरियापुर गांव में ही हुआ था मोना का जन्‍म

दरियापुर गांव में रह रहे मोना के चचेरे दादा ने  बताया कि मोना के पिता सुबोध दास व सगे चाचा अजय दास अमेरिका में इंजीनियर हैं। एक और चाचा विजय दास वहीं डॉक्टर हैं। दादी चमेली देवी ने बताया कि मोना का जन्म दरियापुर में ही हुआ था। वर्ष 1970 में अमेरिका में रह रहे मोना के पिता उसके जन्म पर यहां आए थे। बाद में वे मोना व उसकी मां को साथ लेकर अमेरिका चले गए।

मोना के भाई सोम दास का जन्म अमेरिका में हुआ था। मोना लगभग 12-14 वर्ष की उम्र में दरियापुर गांव आईं थीं। उसके बाद से  वे यहां नहीं आ पाईं हैं। मोना एवं उनके छोटे भाई सोम की शादी अमेरिका में हुई है।

राजनीति में बढ़ते गए कदम, बन गई सिनेटर

बड़ी होने पर मोना ने अमेरिका के सिनसिनाटी विश्विविद्यालय से मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री ली। आगे उसने पिंचोट विवि से प्रबंधन में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। लेकिन जन सरोकार व जनसेवा में अत्यधिक रुचि रहने के कारण वे प्रबंधन से अधिक राजनीति में आगे बढ़ती चली गईं। राजनीति की राह आसान ताे नहीं रही, लेकिन जनसेवा के बल पर जनसमर्थन बढ़ता गया। साथ ही बढ़ता गया हौसला। परिणाम भी समाने है। वे अब सिनेटर बन गईं हैं।

जड़ों से जुड़े हैं पिता, दो साल पहले आए थे गांव

मोना की दादी चमेली देवी ने बताया कि दो वर्ष पूर्व सुबोध दास एक शादी समारोह में शामिल होने दरियापुर गांव आए थे। वे अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं। पति डॉ. जीएन दास भी वहीं रह रहे हैं। दूरभाष पर पति, सुबोध, अन्य पुत्रों व मोना से बातचीत होती रहती है। मोना के पिता सुबोध दास ने ही बेटी के सीनेट सदस्य चुने जाने की सूचना दी थी।

मुंगेर के सिविल सर्जन रहे दादा, गांव में बनवाया स्‍कूल

मोना के दादा डॉ. जीएन दास दरभंगा, भागलपुर और गोपालगंज में सिविल सर्जन पद पर सेवा दे चुके हैं। वे गोपालगंज से सेवानिवृति के बाद कुछ वर्षों तक  अपने गांव दरियापुर में रहे। उसके बाद वे बेटे के पास अमेरिका चले गए। मोना के दादा डॉ. जीएन दास के पास दरियापुर गांव में लगभग 60 बीघा खेती योग्य जमीन थी। गांव में एक बगीचा भी है।

इसी बगीचे  के  समीप  उन्होंने अपने नाम से उच्च विद्यालय खुलवाया, जिसमें दरियापुर सहित  आसपास के  आधे दर्जन गांवों के  बच्चे पठन-पाठन करने आते थे।  डॉक्टर  दास स्वयं इस विद्यालय की कड़ी निगरानी रखते थे, लेकिन धीरे-धीरे विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की संख्या काफी कम हो गई। इसके बाद विद्यालय भवन में बच्चों का स्कूल खोल दिया गया।

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