पूर्व मुख्यमंत्री आेमप्रकाश चौटाला जींद उपचुनाव में पोते दिग्विजय चौटाला के खिलाफ चुनाव प्रचार नहीं कर सकेंगे
इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला अब जींद उपचुनाव में अपनी पार्टी प्रत्याशी उमेद ङ्क्षसह रेढू का चुनाव प्रचार करने के लिए तिहाड़ जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे। जेल प्रशासन ने उनकी फरलो रद कर दी है। इनेलो ने इसे जेजेपी की साजिश करार देते हुए कोर्ट में जाने की बात कही है।
इनेलो सुप्रीमो ने आप व जेजेपी की साजिश बताया, पोतों को बताया गद्दार
दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल से जेल ले जाए जाते वक्त स्वयं ओमप्रकाश चौटाला ने इसे आप व जेजेपी की साजिश बताया और अपने दोनों पोतों दुष्यंत व दिग्विजय को गद्दार करार दिया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य ठीक न होने के बावजूद अस्पताल से जेल में शिफ्ट किया जा रहा है। वह पार्टी प्रत्याशी उमेद सिंह रेढू को वोट देने की अपील करते हैं।
अशोक अरोड़ा बोले, दुष्यंत और दिग्विजय ने दादा की पीठ में छूरा घोंपा, कोर्ट जाएंगे
इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने देर शाम पत्रकार वार्ता कर बताया कि सोमवार को दिन में आम आदमी पार्टी ने जेजेपी प्रत्याशी दिग्विजय चौटाला को समर्थन किया था। इसके बाद साजिश के तहत चौटाला की फरलो रद करा दी गई। उन्होंने कहा कि फरलो लेना किसी भी कैदी का अधिकार है। दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती चौटाला ने 16 जनवरी को फरलो की अर्जी लगाई थी। अगले ही दिन उसे मंजूरी मिल गई थी, लेकिन 18 जनवरी को शर्त लगा दी गई कि फरलो के दौरान किसी भी राजनीतिक मीटिंग अटेंड नहीं कर सकते, जबकि कुछ दिन पहले अजय चौटाला सभी गांवों में जनसभाएं कर गए थे।
उन्होंने कहा कि सोमवार को बिना कोई कारण बताए चौटाला की फरलो रद कर दी गई और शाम को उनको अस्पताल से जेल भेज दिया। अरोड़ा ने कहा कि दुष्यंत और दिग्विजय ने यह साजिश रचकर राजनीति में गिरावट की हदें पार कर दी हैं। दोनों ने दादा की पीठ में छूरा घोंपकर बड़ी साजिश रची है। इनेलो आज इस मामले में कोर्ट में पिटीशन लगाएगी।
दुष्यंत बोले, हम किसी की फरलो रद नहीं करवा सकते
सांसद दुष्यंत चौटाला ने कहा कि इनेलो का आरोप बेबुनियाद है। यह उसकी हताशा और जींद उपचुनाव में तय हो चुकी हार को दर्शाता है। हम इतने ताकतवर होते तो हमारे नेता अजय सिंह चौटाला को दोबारा छुट्टी पर ले आते। किसी की फरलो हम कैसे रुकवा सकते हैं, यह तो पूरी तरह दिल्ली पुलिस के अधिकार क्षेत्र में है।
उन्होंने कहा, हमारी जानकारी के अनुसार दादा को इस शर्त के साथ फरलो मंजूर हुई थी कि वे कोई राजनीतिक गतिविधि या चुनाव प्रचार हरगिज नहीं करेंगे। संभव है इस शर्त की वजह से उन लोगों ने खुद ही छुट्टी रद करा दी हो। शर्त वाली फरलो मिलने का आदेश तो मीडिया में है, लेकिन रद होने का आदेश कहीं नहीं है। इससे तो यही लगता है कि फरलो रद हुई नहीं, खुद कराई गई है।