भारत 2019 में पेट्रोलियम ईंधन की मांग की वृद्धि चीन को पीछे छोड़ कर अमेरिका के बाद 2 नंबर पर पहुंच जाएगी

 भारत 2019 में पेट्रोलियम ईंधन की मांग की वृद्धि चीन को पीछे छोड़ कर अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर पहुंच जाएगी. अनुसंधान और परामर्श कंपनी वुड मैकेंजी ने मंगलवार एक रपट में यह अनुमान जताया है. वुड मैकेंजी ने एक रपट में कहा है कि 2018 में भारत नोटबंदी और जीएसटी लागू किये जाने के प्रभाव से उबरता दिखा और देश के तेल की मांग में वृद्धि देखी गयी. भारत ने वैश्विक मांग में कुल वृद्धि में 14 प्रतिशत का योगदान किया जो 2,45,000 बैरल प्रतिदिन बनता है.  रपट में कहा गया है, “हम 2019 में तेल की मांग में इसी तरह की वृद्धि का अनुमान लगा रहे हैं.

इससे भारत वैश्विक स्तर पर मांग में वृद्धि के मामले में चीन को पछाड़ देगा. परिवहन में इस्तेमाल में आने वाले पेट्रोल और डीजल एवं घरों में इस्तेमाल होने वाली एलपीजी की मांग में तेजी इसकी मुख्य वाहक बनेगी. ” अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (ईआईए) के आंकड़े के मुताबिक तेल के उपभोग के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है.

इस मामले में देश अमेरिका और चीन से ही पीछे है. भारत ने वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 20.62 करोड़ टन (40 लाख बैरल प्रति दिन) तेल का उपभोग किया था.  

भारत दुनिया के सबसे ‘आकषर्क चमकते स्थलों’ में शुमार, पूरी दुनिया में चीन को टक्कर देने वाला इकलौता देश

आपको बता दें कि इससे पहले स्पाइसजेट एयरलाइन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अजय सिंह ने सोमवार को कहा था कि वैश्विक आर्थिक चिंताओं और व्यापारिक रिश्तों में तनाव के बीच भारत दुनिया के ‘‘आकर्षक चमकते स्थलों’’ में शुमार है और वह चीन के मुकाबले बड़ी आर्थिक ताकत बनने की सबसे बेहतर स्थिति में है. विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के सालाना सम्मेलन में सिंह ने कहा कि भारत इस मामले में बेहतर स्थिति में है कि वहां आर्थिक नीतियों को लेकर एक तरह की आम सहमति है.

ऐसे में सरकार किसी की भी हो, वह मजबूत वृद्धि के रास्ते पर बढ़ता रहेगा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने शानदार और अभूतपूर्व प्रदर्शन किया है . सिंह ने उम्मीद जतायी कि इस साल होने वाले आम चुनाव के बाद मोदी सरकार सत्ता में वापसी करेगी. वर्ष 2014 में ‘अबकी बार मोदी सरकार’ का लोकप्रिय नारा देने वाले सिंह ने साक्षात्कार में कहा कि डब्ल्यूईएफ में वैश्विक नेताओं के लिये उनका स्पष्ट संदेश है कि भारत में वृद्धि और सुधार जारी रहेंगे. 

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