यूं ही नहीं कहा जाता पुजारा को टीम इंडिया की मॉडर्न वॉल
टीम इंडिया के ऑस्ट्रेलिया दौरे में शानदार प्रदर्शन कर खुद को माडर्न दीवार के रूप में स्थापित कर चुके चेतेश्वर पुजारा शुक्रवार को अपना 31वां जन्मदिन मना रहे हैं. चेतेश्वर पुजारा के लिए साल की शुरुआत भले ही बढ़िया नहीं रही हो, लेकिन इस साल का अंत उन्होंने शानदार तरीके से किया और ऑस्ट्रेलिया में जाकर साबित किया के क्यों उन्हें मॉडर्न वॉल कहा जाता है.
विरासत में मिला क्रिकेट के प्रति रुझान
25 जनवरी, 1988 को गुजरात के राजकोट में जन्मे पुजारा की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात से ही हुई. पुजारा बीबीए की पढ़ाई कर चुके हैं. बचपन में ही क्रिकेट के प्रति उनके रुझान को देखते हुए चेतेश्वर पुजारा के माता पिता ने उन्हें इस खेल के लिए प्रोत्साहित किया. क्रिकेट के शुरुआती गुर चेतेश्वर को पिता अरविंद पुजारा से सीखने को मिले जो सौराष्ट्र के लिए रणजी ट्रॉफी खेल चुके हैं. चेतेश्वर के चाचा बिपिन पुजारा भी सौराष्ट्र के लिए रणजी खेल चुके हैं.
मां का सपना हुआ देर से पूरा
बताया जाता है कि साल 2005 में चेतेश्वर पुजारा एक क्रिकेट मैच खेल रहे थे तभी उनके पास खबर आई कि उनकी मां का देहान्त हो गया. कैंसर की वजह से उनकी मां की मौत हुई थी. जब पुजारा के मां की मौत हुई तो वो 17 साल के थे. मां से बहुत ज्यादा भावनात्मक रूप से जुड़े चेतेश्वर को उनकी मौत का गहरा सदमा लगा. इसके बाद उन्होंने क्रिकेट को मां का सपना ही बना लिया. मां की मौत के पांच साल बाद ही वे टेस्ट करियर शुरू कर सके थे.
टेस्ट प्रारूप में बनाया अपना अलग मुकाम
यह चेतेश्वर की गहरी लगन का ही नतीजा है कि आज जब क्रिकेटर्स फटाफट क्रिकेट के ओर जा रहे हैं, उन्होंने टेस्ट टीम इंडिया में ऐसा स्थान बना लिया है कि उनके बिना टीम की कल्पना करना ही मुश्किल है. हालांकि इसके बावजूद वे आईपीएल में किसी भी फ्रेंजाइजी की पसंद नहीं बन सके,. 2018 में टीम इंडिया के भरोसे के खिलाड़ी होने के बाद भी वे आईपीएल में खरीदे नहीं गए. वहीं टीम इंडिया के लिए उन्होंने आखिरी वनडे मैच साल 2014 में खेला था.
तकनीक की हो रही है दुनिया कायल
पुजारा की अपनी खास तकनीक है. वे रन बनाने में अपना समय लेते हैं. उनकी यह तकनीक टेस्ट मैच जैसे प्रारूप के बहुत ज्यादा कारगर है. उनके सॉलिड डिफेंस ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में हुई टीम इंडिया की टेस्ट सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों को बुरी तरह से फ्रस्ट्रेट करके रख दिया. पुजारा ने इस सीरीज के चार टेस्ट मैचों में तीन सेंचुरी और एक हाफ सेंचुरी के साथ कुल 521 रन बनाए और मैन ऑफ द सीरीज का खिताब भी हासिल करने में कामयाब रहे. पुजारा ने अपने 68 टेस्ट मैचों की 114 पारियों में 515.18 के औसत से 11682 रन बनाए हैं जिसमें 18 शतक शामिल हैं. इनमें से 10 शतक भारत में जबकि 8 शतक विदेश में बने हैं. इस साल उन्होंने तीन सेंचुरी और चार हाफ सेंचुरी लगाई हैं.
मॉडर्न वॉल बनने की राह पर हैं पुजारा
ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले पुजारा की टीम में विश्वस्नीयता पर सवाल उठने लगे थे, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में पुजारा ने अपने बल्ले से न केवल आलोचकों का मुंह बंद किया बल्कि दुनिया को अपना मुरीद भी बना लिया. पुजारा को टीम इंडिया में द वॉल कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ के मुकाबले काफी सफर तय करना है, फिर भी यह कहना गलत नहीं होगा कि वे टीम इंडिया की मॉडर्न दीवार बनने की ओर हैं और सही दिशा में भी जा रहे हैं.