INDvsNZ: इस सीरीज से वर्ल्ड कप के लिए ये सबक लेकर लौटेगी टीम इंडिया

भारत और न्यूजीलैंड के बीच पांच वनडे मैचों की सीरीज के दो मैचों में टीम इंडिया जीत हासिल कर चुकी है. अब बाकी तीन मैचों का फैसला आना है. अभी तक सीरीज जिस तरह से हुई है, उससे टीम इंडिया की आगामी मई के अंत में शुरू होने वाले आईसीसी के वनडे वर्ल्ड कप की तैयारियों के बारे में कई बातें पता चलती है. इसमें सबसे अहम बात जो सामने आई है वह यह की टीम इंडिया इस सीरीज को एक द्वपक्षीय सीरीज न लेते हुए वर्ल्ड कप की तैयारियों के लिए खास मौके के तौर पर ज्यादा देख रही है. इसके अलावा इस सीरीज की कई खास बातें ऐसी हैं जो बताती हैं कि टीम इस दौरे से क्या वापस लेकर जाना चाहती है. 

ऑस्ट्रेलिया दौरे पर कई समस्याएं लेकर गई थी टीम इंडिया
पिछले साल नवंबर के महीने में जब टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर निकली थी, तब सबका ध्यान टेस्ट सीरीज की ओर ज्यादा था, लेकिन सीरीज खत्म होने के फौरन बाद उस ऐतिहासिक जीत का जश्न ज्यादा नहीं चला और टीम वनडे सीरीज की तैयारियों में जुट गई. इसके साथ ही टीम इंडिया का फोकस वर्ल्ड कप की तैयारियों पर हो गया.  इस सीरीज से पहले टीम इंडिया अपने साथ वनडे प्रारूप को लेकर कई समस्याएं लेकर गई थी. तब से लेकर अब तक टीम की कुछ समस्याएं सुलझ गई हैं, तो कुछ चुनौतियां अब भी कायम हैं. 

विराट का ध्यान टीम की कमजोरियां ठीक करने पर
सीरीज के पहले मैच में जीत हासिल करने के बाद जब टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया तो सभी को अचरज हुआ. यहां तक कि न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन ने भी यही कहा कि अगर वे टॉस जीतते तो पहले गेंदबाजी करते. विराट ने अपने इस फैसले पर बताया था कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं.

विराट ने कहा था, “…हमें जो चीज मजबूत करनी है, वह है बोर्ड पर रन लगाना. गेंदबाजों से डिफेंस करने को कहा है जिसमें हम नियमित नहीं हैं. जिन बातों पर हमें काम करना है वहां हमें स्मार्ट होना होगा. यह एक तरह से खुद को अलग तरह की चुनौती देने की बात है. पिछले कुछ मैचों में हमने बढ़िया क्रिकेट खेला था, पिछला मैच क्लीनिकल था. हम कुछ चीजों में बेहतर होने की कोशिश कर रहे हैं. हमें यहां आकर खुद को जाहिर करना है.”

वर्ल्ड कप के लिए रणनीति भी आई सामने
विराट के बयान से टीम इंडिया और उसके मैनेजमेंट की रणनीति भी साफ झलकी. पहले बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया के बल्लेबाजों का नजरिया भी अलग लगा. रोहित और धवन ने जल्दी ही रन रेट तेज करने पर काम किया और 25 ओवर से पहले 150 रन भी पूरे कर टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया. इस मैच में टीम इंडिया के गेंदबाज भी मजबूती से स्कोर डिफेंड करने में कामयाब रहे. वहीं विराट ने मैच के बाद कहा कि कई चीजों पर अब भी काम करने की जरूरत थी. 

धोनी का फॉर्म, वर्ल्ड कप के लिए हो रहा बेहतर
न्यूजीलैंड सीरीज से पहले टीम इंडिया के पूर्व कप्तान एमएस धोनी ने ऑस्ट्रेलिया में हुए तीनों वनडे मैचों में शानदार बल्लेबाजी करते हुए फिनिशर की भूमिका में वापसी की. धोनी ने इन तीनों मैचों में हाफ सेंचुरी जरूर लगाईं, लेकिन इसके बाद भी उनकी समस्याएं पूरी तरह से नहीं सुलझ सकीं थी. ये तीनों फिफ्टी धोनी ने इन मैचों की दूसरी पारी में लगाई थीं. इन तीनों मैंचों में धोनी को अपनी पारी बनाने में काफी समय मिला था. धोनी की पिछले काफी समय से इस बात को लेकर खास तौर पर आलोचना होती थी कि वे क्रीज पर आने के बाद पहले काफी धीमी गति से खेलते हैं. धोनी को इस दाग को धोने का मौका न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज के दूसरे मैच में मिला और उन्होंने इस बखूबी धोया और टीम को स्कोर 324 रन कर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई.

ऑलरआउंडर की समस्या, हार्दिक अब अकेले नहीं
टीम में इस दौरे से पहले हार्दिक पांड्या को देश का एकमात्र ऑलराउंडर का विकल्प माना जा रहा था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया और उसके बाद न्यूजीलैंड में विजय शंकर ने भले ही निराश नहीं किया हो, लेकिन वे खुद को हार्दिक के समकक्ष लाने में नाकाम रहे. (हालांकि बल्लेबाजी में उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिल सके) वहीं दूसरी ओर केदार जाधव ने खुद को बखूबी साबित किया. गेंद और बल्ले से केदार ने एक बार फिर साबित किया कि उन्हें नजरअंदाज करना गलती भी साबित हो सकती है. हार्दिक पर भी ऐसे में दबाव तो होगा. वे करीब पांच महीने बाद टीम इंडिया में वापसी कर रहे हैं. 

ये चुनौतियां अब भी हैं
टीम को अभी बी अपना मध्यक्रम में मजबूत करने की जरूरत है. अंबाती रायडू सुधार के बाद भी अपनी लय में नहीं हैं लेकिन अगर शीर्ष क्रम लड़खड़ता है तो अब भी मध्यक्रम और निचला क्रम जरा भी दबाव बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है.  यह समस्या तब भी टीम इंडिया को मिल सकती है जब फरवरी के महीने में ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत दौरे पर आएगी. टीम में खिलाड़ियों के चयन को लेकर कोई बहुत बदलाव देखने को नहीं मिलेंगे. गेंदबाजी टीम की समस्या नहीं है. अब प्लेइंग इलेवन में टीम में केवल बेंच स्ट्रेंथ को जांचने या मजबूत करने के लिए ही बदलाव देखने को मिलेंगे. हो सकता है सीरीज खत्म होने तक टीम और स्पष्ट हो जाए. 

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