खनिकों की तलाशी के लिए नौसेना, NDRF, SDRF और सरकार ने झोंक दी है ताकत

 मेघालय के ईस्ट जयंतिया हिल्स जिले के साइपुंग थानांतर्गत कसान गांव में लाइटेन नदी के नजदीक एक कोयले की खदान में अचानक पानी भर जाने से कुल 15 श्रमिक फंस गए थे. 370 फुट गहरे कोयला खदान में 13 दिसम्बर 2018 से फंसे 15 खनिकों में से एक के शव को निकाला गया. खादान में फंसे अन्य श्रमिकों की अभी भी तलाश जारी है. सरकार का दावा है कि उसने तत्परता दिखाते हुए पहले एसडीआरएफ को बचाव अभियान में लगाया. उसके अगले ही दिन एनडीआरएफ की टीम भी घटनास्थल पर बचाव कार्य के लिए पहुंची.

इन खदानों में बचाव कार्य में आने वाली मुश्किलों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पानी के अंदर बचाव कार्य चलाने वाली नौसेना को भी ‘डिकंप्रेशन सिकनेश’ हो गया. इन खदानों की गहराई तीस मंजिला इमारत जितनी है. साथ ही पानी में सल्फर की प्रचूर मात्रा है.

मेघालय सरकार के महाधिवक्ता अमित कुमार ने बताया कि सरकार को 13 दिसंबर को स्थानीय विधायक ने दो बजे दिन में जानकारी दी कि खदान में 13 श्रमिक फंसे हुए हैं. जानकारी मिलते ही एसपी लगभग साढ़े चार बजे मौके पर पहुंचे. कोयला खदान मेघालय के दुर्गम जगह पर स्थित है, जहां तीन नदियों को पार कर जाना पड़ता है. यह जगह जिला मुख्यालय से लगभग तीस किलोमीटर दूर स्थित है. साढ़े दस बजे तक सरकार ने एसडीआरएफ की टीम को मौके पर भेज दिया था. वहीं, सुबह चार बजते-बजते एनडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंच गई. 

एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम ने संयुक्त प्रयास से बचाव अभियान चलाया. खदान से पानी निकालने के लिए 25 एचपी के सबमर्सिबल पंप लगाए गए, जिससे नौ घंटे में एक लाख आठ हजार लीटर पानी निकाल दिया गया. 15 दिसंबर को एनडीआरएफ की टीम पानी के 30 फीट नीचे तक गई, जहां से तीन हेलमेट मिले. 15 दिसंबर तक खादान से ढाई लाख लीटर पानी निकाल दिया गया, बावजूद वाटर लेवल कम नहीं हुआ.

ज्ञात हो कि एनजीटी ने अप्रैल 2014 में यहां के खादानों से कोयला खनन पर रोक लगा दिया था. इससे पहले वहां खनन का काम करने वाले एक स्थानीय खनिक ने बचाव दल को बताया कि पांच साल पहले तक 200 खादान मालिक दो महीने तक लगातार पानी निकालने का काम करते थे, तब जाकर माइनिंग का काम करते थे. उनका कहना था कि यहां मौजूद लगभग 200 कोयला खादान एक-दूसरे से कनेक्ट हैं.

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